हाई कोर्ट ने दहेज हत्या के अभियुक्त को सात साल कैद की सजा सुनाई, जानिए पूरा मामला
हाई कोर्ट ने दहेज हत्या के मामले में निचली कोर्ट से बरी अभियुक्त को दोषी करार देते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही अभियुक्त को निचली कोर्ट में आत्मसमर्पण करने को कहा है।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने दहेज हत्या के मामले में निचली कोर्ट से बरी अभियुक्त को दोषी करार देते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही अभियुक्त को निचली कोर्ट में आत्मसमर्पण करने को कहा है। कोर्ट ने सरकार की विशेष अपील स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया है।
शांतिनगर जिला रामपुर (उप्र) निवासी सुनील यादव ने 31 जुलाई 2001 को थाना खटीमा जिला ऊधमसिंह नगर में रिपोर्ट लिखवाई थी। सुनील के अनुसार उसकी छोटी बहन ममता का विवाह 19 जून 1998 को खटीमा निवासी राजेंद्र यादव के साथ हिंदु रीति रिवाज से हुई थी। शादी में हैसियत के अनुसार दहेज भी दिया था, लेकिन शादी के बाद बहन का पति 50 हजार रुपये की डिमांड करने लगा। उसे कई बार समझाया, लेकिन वह नहीं माना। 30 जुलाई 2001 की रात करीब दस बजे एक अन्य व्यक्ति द्वारा फोन कर बताया कि उसकी बहन को उसके पति राजेंद्र मूल निवासी ग्राम अलियापुरा, थाना शिवालाकलां, जिला बिजनौर (उप्र), हाल निवासी खटीमा ने मिट्टी का तेल डालकर जला दिया है।
तहरीर के आधार पर पुलिस ने इस मामले में मृतका के पति राजेंद्र के खिलाफ 304 बी व दहेज निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। सात जुलाई 2002 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ऊधमसिंह नगर की कोर्ट से साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त को दोषमुक्त करार दिया। निचली कोर्ट के आदेश को सरकार द्वारा विशेष अपील दायर की गई। न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक सिंह की एकलपीठ ने निचली कोर्ट के आदेश को गलत मानते हुए दोषी को सात साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पत्रावली व साक्ष्यों के परीक्षण के बाद माना कि विवाहिता की मौत मिट्टी का तेल उड़ेलकर आग लगाने से हुई है। कोर्ट ने दोषी पति को निचली कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश भी दिया है।
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