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एमकेपी कॉलेज दून में 45 लाख के गबन मामले में हाईकोर्ट ने 13 फरवरी तक मांगा जवाब

हाई कोर्ट ने देहरादून के एमकेपी कॉलेज व महादेवी कन्या पाठशाला में किए गए 45 लाख गबन के मामले में सुनवाई की।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 09:35 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 09:35 AM (IST)
एमकेपी कॉलेज दून में 45 लाख के गबन मामले में हाईकोर्ट ने 13 फरवरी तक मांगा जवाब
एमकेपी कॉलेज दून में 45 लाख के गबन मामले में हाईकोर्ट ने 13 फरवरी तक मांगा जवाब

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने देहरादून के एमकेपी कॉलेज व महादेवी कन्या पाठशाला में किए गए 45 लाख गबन के मामले में सुनवाई की। इस मामले में राज्य सरकार की रिपोर्ट पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने असहमति जताते हुए कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार द्वारा बिना मौके पर गए जांच रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में पेश कर दी। जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार से 13 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

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पूर्व छात्रा सोनिया ने दायर की है याचिका

गुरुवार को मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में महादेवी कन्या पाठशाला की पूर्व छात्रा सोनिया बेनीवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि एमकेपी कॉलेज में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी 45 लाख गबन किया गया है। यूजीसी द्वारा जारी यह ग्रांट एमकेपी कॉलेज में छात्राओं की शिक्षा में सुविधाओं के विस्तार के लिए जारी की गई थी। एमकेपी किसी भी बुनियादी सुधार के लिए यूजीसी की ग्रांट पर ही निर्भर करता है। इसी ग्रांट से पूर्व में कैंपस में वाई फाई इत्यादि लगा था। लेकिन 2012-2013 की अवधि में इस रकम का उपयोग एप्पल के महंगे उपकरण खरीदने में किया गया। उपकरण 2019 तक के परीक्षण में पाए ही नहीं गए। कानून के मुताबिक टेंडर न करते हुए केवल कोटेशन के आधार पर बजट की बंदरबांट की गई। एक जगह आर्डर तय डेट के बाद का कोटेशन लगाया गया।

सरकार द्वारा कराए गए ऑडिट में मिला झोल

किसी जगह बिल से अधिक, किसी जगह बिल से कम भुगतान किया गया। अधिक रुपये लेने वाले से पैसे वापिस लेने के लिए न कोई कदम उठाए और न कम पैसे वाले से कभी पूर्ण बिल की मांग की गई, इसे राज्य सरकार द्वारा कराए ऑडिट में सरासर गलत पाया गया और वसूली की बात की गई। सीएजी से भी इस प्रकरण की जांच कराई गई। जिसमें सभी खरीदारी को शक के घेरे में बताया गया है।  हैं। इस मामले में  2016-2017 में प्राथमिकी भी दर्ज हुई लेकिन मामले को दबाया रखा गया। जनवरी 2019 में शासन के स्थलीय निरीक्षण के दौरान भी 7.68 लाख  की सामग्री पाई ही नहीं गई। इस वजह से यूजीसी ने एमकेपी को अगले पंचवर्षीय योजना में जीरो बजट दिया। जिससे छात्राओं की शिक्षा की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

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