जमरानी बांध के लिए हैड़ाखान मंदिर और आश्रम को करना पड़ेगा शिफ्ट
जमरानी बांध बनने से हैड़ाखान मंदिर और आश्रम को सरकार व ग्रामीणों को शिफ्ट करवाना पड़ेगा। इसके साथ ही डूब क्षेत्र में आने वाले साढ़े 22 हजार पेड़ भी परियोजना के लिए काटने पड़ेंगे।
हल्द्वानी, संदीप मेवाड़ी : पेयजल, सिंचाई व बिजली उत्पादन को ध्यान में रखते हुए बनाए जाने वाले जमरानी बांध परियोजना के निर्माण के लिए कुछ त्याग भी करने होंगे। इस परियोजना के बनने से देश-विदेश में ख्याति प्राप्त हैड़ाखान बाबा मंदिर व आश्रम का वर्तमान आस्तित्व खत्म हो जाएगा। मंदिर और आश्रम को सरकार व ग्रामीणों को शिफ्ट करवाना पड़ेगा। इसके साथ ही डूब क्षेत्र में आने वाले साढ़े 22 हजार पेड़ भी परियोजना के लिए काटने पड़ेंगे।
केंद्रीय जल आयोग ने तीन दिन पहले 2584 करोड़ रुपये की बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना की डीपीआर को मंजूरी दी है। 44 साल बाद परियोजना को मंजूरी मिलने से हल्द्वानी शहर से लेकर ग्रामीणों के चेहरे खिले हैं। शासन से लेकर सिंचाई विभाग के आला अफसर परियोजना की डीपीआर को वित्तीय मंजूरी व केंद्र पोषित परियोजना घोषित करने के प्रयास में जुट गए हैं। जमरानी में बनने वाली इस परियोजना के तहत 10 किमी लंबी झील बनेगी। इस दूरी में सुप्रसिद्ध हैड़ाखान बाबा मंदिर व आश्रम का कुछ हिस्सा भी डूब क्षेत्र में आ रहा है। सिंचाई विभाग के अफसरों के मुताबिक डूब क्षेत्र में कुछ हिस्सा आने से अधिक पानी भरने पर पूरा मंदिर व आश्रम भी खतरे में पड़ सकता है। इससे बचने के लिए सरकार व ग्रामीणों को मिलकर मंदिर व आश्रम को विस्थापित करना होगा।
351 हेक्टेयर वन भूमि होगी प्रभावित
सिंचाई विभाग के अफसरों के मुताबिक बांध बनाने में 351 हेक्टेयर भूमि वन विभाग व 47 हेक्टेयर ग्रामीणों की जमीन डूब क्षेत्र में आएगी। वन विभाग को जमीन के बदले 89 करोड़ रुपये सिंचाई विभाग देगा। डीपीआर में इसका प्रस्ताव भी शामिल किया गया है। परियोजना की वित्तीय स्वीकृति मिलने पर बजट आवंटन होते ही सिंचाई विभाग धनराशि देकर फॉरेस्ट क्लीयरेंस लेगा। वहीं, कुल साढ़े 22 हजार पेड़ों को काटना पड़ेगा। छह गांवों में रहने वाले 129 परिवारों के 47 हेक्टेयर जमीन पर बने मकान व खेत भी डूब जाएंगे। डीपीआर को वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद शासन इन परिवारों को विस्थापित करने की नीति तय करेगा।
मोदी के भाषण पर टिकी सरकार से लेकर अफसरों तक की नजर
जमरानी बांध परियोजना को लेकर सरकार से लेकर सिंचाई विभाग के आला अफसरों की नजरें रुद्रपुर में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली पर टिक गईं हैं। अफसरों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी जनसभा में परियोजना को वित्तीय स्वीकृति देने की घोषणा कर सकते हैं। वहीं, सरकार भी वित्त मंत्रालय से लगातार पत्राचार कर परियोजना को वित्तीय स्वीकृति दिलाने की कोशिश कर रही है।
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