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छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सात तक सरकार को शपथपत्र प्रस्‍तुत करने के निर्देश

पांच सौ करोड़ रुपए की छात्रवृति घोटाले के मामले में आज एसआइटी के अध्यक्ष डॉक्टर के. मंजुनाथ हाई कोर्ट में पेश हुए।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 04:22 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 06:41 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सात तक सरकार को शपथपत्र प्रस्‍तुत करने के निर्देश
छात्रवृत्ति घोटाला मामले में सात तक सरकार को शपथपत्र प्रस्‍तुत करने के निर्देश

नैनीताल, जेएनएन। पांच सौ करोड़ रुपए की छात्रवृति घोटाले के मामले में आज एसआइटी के अध्यक्ष डॉक्टर के. मंजुनाथ हाई कोर्ट में पेश हुए। सरकार के शपथपत्र से सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने सात जनवरी तक सरकार से विस्तृत शपथपत्र पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई 7 जनवरी की तिथि नियत की है। आज सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव की तरफ से शपथपत्र पेश किया गया है। इस शपथपत्र में सरकार ने मुख्य सचिव व सचिव समाज कल्याण की जांच रिपोर्ट पेश की।

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सुनवाई के दौरान एसआईटी के अध्यक्ष डॉक्टर के. मंजुनाथ ने कोर्ट को अवगत कराया कि जांच के लिए उन्होंने जिला समाज कल्याण अधिकारी व सयुक्त निदेशक से सूचना मांगी है परन्तु अभी तक इस सम्बन्ध में न तो कोइ जानकारी उपलब्ध कराई गयी है न ही सहयोग किया गया है। एसआईटी द्वारा जितनी भी जांच की गयी है वे दस्तावेज सामान्य व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं उन्ही के आधार पर जांच चल रही है। पिछली तारीख को कोर्ट ने  मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि वह इसमें तीन सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्‍तुत करें और साथ में खण्डपीठ ने यह कहा था कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाय।

ये है घोटाले का पूरी कहानी

मामले के अनुसार देहरादून निवासी रविन्द्र जुगरान ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है प्रदेश के हजारों अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को केंद्र सरकार द्वारा छात्रवृत्ति दी जाती है, परन्तु समाज कल्याण विभाग द्वारा इस सरकारी धन का दुरुपयोग किया। हजारों छात्रों के मामले हरिद्वार व देहरादून जिले के सामने आये हैं। इस घोटाले में लगभग पांच सौ करोड़ से अधिक का घपला हुआ है। महालेखाकार भारत सरकार, निदेशक समाज कल्याण व अपर सचिव समाज कल्याण के नोटिंग के आधार पर इस घपले के तार राज्य से बहार भी जुड़े हैं लिहाजा इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआइ से कराई जाय। मुख्यमन्त्री ने पूरे प्रकरण की जांच 2017 में एसआईटी द्वारा कराई गयी लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गयी। इस पर सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया था कि उन्होंने बीस माह बीत जाने के बाद एक दिसम्बर 2018 को एसआईटी ने सिडकुल हरिद्वार थाने में देहरादून व हरिद्वार जिले में हुए घपले के सम्बन्ध में आईपीसी की धारा 420 का मुकदमा दर्ज कराया है। खण्डपीठ ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए पूर्व में मुख्य सचिव को स्वतः ही पक्षकार बनाया गया था और एसआईटी के इंचार्ज डॉक्टर के. मंजू नाथ और अप्पर सचिव रणवीर सिंह को दस्ती नोटिस जारी किया था।कोर्ट ने पूर्व में जाँच कर रहे अपर सचिव समाज कल्याण को इससे हटाये जाने का भी सज्ञान लिया था। खण्डपीठ ने माना है कि जनता के पैसो का दुर्प्रयोग हुआ है।

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