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    सरकार ने हाईकोर्ट में माना एमकेपी कॉलेज देहरादून में किया गया गबन, ऑडिट रिपोर्ट प्रस्‍तुत

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 20 Mar 2020 04:04 PM (IST)

    हाईकोर्ट में आज महादेवी कन्या पाठशाला एमकेपी कॉलेज देहरादून में किए गए 45 लाख के गबन मामले में राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई ।

    सरकार ने हाईकोर्ट में माना एमकेपी कॉलेज देहरादून में किया गया गबन, ऑडिट रिपोर्ट प्रस्‍तुत

    नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट में आज महादेवी कन्या पाठशाला एमकेपी कॉलेज देहरादून में किए गए 45 लाख के गबन मामले में राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई । रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि एमकेपी के प्रधानाचार्य और तत्कालीन सचिव द्वारा घोटाला किया गया है। कोर्ट ने सरकार से 25 मार्च तक इस मामले में की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

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    छात्रओं की सहूिलयत के लिए जारी हुई थी ग्रांट

    मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति न्यायाधीश आरसी खुल्बे की खंडपीठ में महादेवी कन्या पाठशाला की पूर्व छात्र सोनिया बेनीवाल की जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी 45 लाख रुपए का एमकेपी में गबन किया गया है। यह ग्रांट एमकेपी में छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए जारी की गई थी। एमकेपी किसी भी बुनियादी सुधार के लिए यूजीसी की इन ग्रांट पर ही निर्भर करता है। इसी ग्रांट से पूर्व में कैंपस में वाईफाई इत्यादि लगा था।

    बिल भुगतान में की गई धांधली

    2012-2013 सत्र में इस पैसे का इस्तेमाल एप्पल के महंगे उपकरण खरीदने में किया गया और ऐसे की उपकरण 2019 तक के परीक्षण में पाए ही नहीं गए। कानून के मुताबिक टेंडर न करते हुए केवल कोटेशन के आधार पर पैसों की बन्दर बांट की गई। एक जगह आर्डर कि डेट के बाद का कोटेशन लगाया गया। किसी जगह बिल से अधिक का भुगतान किया गया और किसी जगह बिल से कम भुगतान किया गया। इतना ही नहीं ज़्यादा वालों से पैसे वापिस लेने के कोई प्रयास नहीं किया गया और न कम पैसे वाले ने कभी पूर्ण बिल की मांग की।

    ऑडिट में हुआ गड़बड़ी का खुलासा

    राज्य सरकार द्वारा कराए ऑडिट में सरासर गलत पाया गया और डॉ सूद और जितेंद्र नेगी से वसूली की बात की गई। सीएजी से भी इस प्रकरण की जांच कराई गई जिसमें कहा गया कि सभी खरीददारी शक के घेरे में हैं। इस विषय में 2016-2017 में एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन मामले को दबाया रखा गया। 2019 जनवरी में शासन के स्थलीय निरक्षण के दौरान भी 768000 की सामग्री पाई ही नहीं गई। इस वजह से यूजीसी ने एमकेपी को अपने अगले पंचवर्षीय योजना में शून्‍य रुपए दिए - जिससे छात्राओं की शिक्षा स्थिति  बद से बदतर होती जा रही है।

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