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कुमाऊं विश्‍वविद्वयाल के निवर्तमान कुलपति राणा ने अंब्रेला एक्ट का किया स्वागत

उत्तराखंड में सरकारी विवि में नियम कानून में एकरूपता लाने को लेकर मंत्रिमंडल की उपसमिति ने एक प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 12:20 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 12:20 PM (IST)
कुमाऊं विश्‍वविद्वयाल के निवर्तमान कुलपति राणा ने अंब्रेला एक्ट का किया स्वागत
कुमाऊं विश्‍वविद्वयाल के निवर्तमान कुलपति राणा ने अंब्रेला एक्ट का किया स्वागत

हल्‍द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड में सरकारी विवि में नियम कानून में एकरूपता लाने को लेकर मंत्रिमंडल की उपसमिति ने एक प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया है। जिसके तहत सभी सरकारी विवि के लिए अंब्रेला एक्ट रहेगा। कुलपति पद के लिए अधिकतम आयु 65 से बढ़ाकर 70 साल करने पर भी मुहर लगा दी गई है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति प्रो.केएस राणा ने इस पहल का स्वागत किया है।

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कुमाऊं विवि के निर्वतमान कुलपति व मेवाड़ विवि राजस्थान के प्रति कुलाधिपति प्रो. केएस राणा का मामले में कहना है कि अंब्रेला एक्ट उत्तराखंड राज्य गठन के साथ ही बन जाना चाहिए था। प्रदेश में अलग एक्ट के साथ तमाम विवि बना दिए गए जिससे विषमता थी । उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कई बार कुलपतियों के साथ बैठक लीं। प्रो. राणा ने बताया कि उन्होंने खुद यह लिखित सुझाव दिए थे कि यूजीसी गाइड लाइन के अनुसार कुलपति के लिए अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने भी उस बैठक में गौर से उनके सुझाव सुनकर उपसमिति बना दी थी।

अम्‍ब्रेला एक्‍ट को लेकर बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक

प्रदेश में सरकारी विश्वविद्यालयों को जल्द अपना एकीकृत एक्ट मिलने जा रहा है। जिसे अम्‍ब्रेला एक्‍ट कहा गया है। बुधवार को मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में एक्ट के मसौदे को अंतिम रूप दिया गया। समिति ने कुलपति, कुलसचिव, सहायक कुलसचिव, वित्त अधिकारी समेत तमाम अहम पदों पर नियुक्तियों के लिए पात्रता शर्तो में एकरूपता को लेकर सिफारिश की है। एक्ट में कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल की भूमिका को भी अहमियत दी गई है। उपसमिति अपनी सिफारिशें मंत्रिमंडल के समक्ष रखेगी। सूत्रों के मुताबिक बैठक में सर्च कमेटी की सदस्य संख्या पांच रखने पर विचार किया गया। अंब्रेला एक्ट बनने से सभी सरकारी विश्वविद्यालयों में एकरूपता आएगी। वर्तमान में विश्वविद्यालयों के अलग-अलग एक्ट होने से कई विसंगतियां पेश आ रही हैं।

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