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    नए कप्तान के सामने हैं पांच पुरानी चुनौतियां, ज‍ानिए इनके बारे में

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Wed, 02 Jan 2019 07:05 PM (IST)

    अपराध के आंकड़ों पर गौर करें तो ऊधमसिंह नगर की तुलना में जनपद नैनीताल में कानून व्यवस्था बेहतर है। ...और पढ़ें

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    नए कप्तान के सामने हैं पांच पुरानी चुनौतियां, ज‍ानिए इनके बारे में

    हल्द्वानी, जेएनएन : अपराध के आंकड़ों पर गौर करें तो ऊधमसिंह नगर की तुलना में जनपद नैनीताल में कानून व्यवस्था बेहतर है। इसके बावजूद पांच पुरानी चुनौतियां ऐसी हैं, जिनसे नए कप्तान सुनील कुमार मीणा को पार पाना होगा। नए साल के पहले दिन उन्होंने बतौर एसएसपी जन्मेजय खंडूरी की जगह चार्ज ले लिया। वहीं, पत्रकार वार्ता के दौरान मीणा ने साफ कहा कि स्थितियों को समझने के बाद पुलिस व्यवस्था को पहले से और अधिक दुरुस्त किया जाएगा। पुरानी घटनाओं के खुलासे व अपराध पर नियंत्रण को लेकर योजना तैयार होगी।

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    चुनौती-1

    पूनम पांडे हत्याकांड : बीते साल गोरापड़ाव का पूनम पांडे हत्याकांड सबसे अधिक चर्चा में रहा। जनपद से लेकर मुख्यालय तक में बैठे अधिकारी खुलासे को लेकर परेशान रहे। एसटीएफ, एसआइटी से लेकर स्थानीय पुलिस जुटी, लेकिन हत्यारों का सुराग नहीं लगा। खुद पूर्व एसएसपी जन्मेजय खंडूरी व आइजी पूरन सिंह रावत के मन में घटना का खुलासा नहीं होने की वजह से टीस रही। पुलिस ने अब पॉलीग्राफ टेस्ट का सहारा लिया है। इस घटना का खुलासा मीणा के लिए पहली चुनौती होगा।

    चुनौती-2

    ट्रैफिक व्यवस्था : वाहनों का बढ़ता दबाव शहर की सड़कों पर आम आदमी का सिरदर्द बढ़ा रहा है। जिस वजह से अक्सर जाम की स्थिति बन जाती है। नैनीताल जनपद पर्यटन स्थल के तौर पर प्रसिद्ध है। वहीं इस साल जून में पीक सीजन के दौरान टूरिस्ट वाहनों को नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छुट गए थे। वीकेंड के दौरान हमेशा सड़क पर वाहनों की कतार लग जाती है। जिससे पुलिस व लोगों की फजीहत होती है। ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारना भी नए कप्तान के लिए बड़ी चुनौती है।

    चुनौती-3

    शवों की शिनाख्त व हत्यारों की पहचान : कालाढूंगी से नैनीताल मार्ग, भीमताल आदि जगहों पर लगातार अज्ञात शव मिले। जिनमें कईयों की हत्या भी हुई थी। पुलिस आंकड़ों की मानें तो पिछले सात साल में जनपद में 281 शव मिले। जिनमें से करीब सौ शवों की शिनाख्त हुई। बीच में पुलिस ने शिनाख्त को लेकर अभियान भी चलाया, लेकिन खास सफलता नहीं मिली।

    चुनौती-4

    नशे के फैलते पांव : नशे के खिलाफ पुलिस लंबे समय से अभियान चला रही है। इसके बावजूद स्मैक व चरस की तस्करी पर लगाम नहीं लग सकी। हल्द्वानी में स्मैक की सप्लाई बहेड़ी व बरेली से होती है। फुटकर में माल मंगवाया जाता है। मध्यम से लेकर अमीर परिवारों के बच्चे स्मैक की चपेट में आ चुके हैं। इसे खत्म कर नशामुक्त जिला बनाना एसएसपी के लिए एक चुनौती है।

    चुनौती-5

    साइबर ठगी : तकनीक का इस्तेमाल कर आर्थिक अपराध को अंजाम देने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हल्द्वानी में हर माह ठगी के करीब दस मामले सामने आ जाते हैं। लंबे समय से अलग साइबर थाने की मांग अब भी लंबित पड़ी है। मैनुअल तरीके से एक्सपर्ट ठगों को हैंडल करना नामुमकिन है। एसओजी सर्विलांस तक सीमित रहती है। अब देखना यह है कि नए कप्तान साइबर क्राइम से निपटने को क्या रणनीति बनाते हैं।

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