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    पूनम मर्डर मिस्ट्री की नहीं खुली हिस्ट्री, जानिए क्‍या हुआ अब तक

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 01 Jan 2019 09:25 PM (IST)

    पूनम हत्याकांड पुलिस के लिए एक ऐसा केस बन चुका है। जिसकी तह तक जाने के लिए जिले से लेकर मुख्यालय तक के अधिकारियों ने जोर लगा डाला कि सब नाकाम रहे। ...और पढ़ें

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    पूनम मर्डर मिस्ट्री की नहीं खुली हिस्ट्री, जानिए क्‍या हुआ अब तक

    हल्द्वानी, जेएनएन : पूनम हत्याकांड पुलिस के लिए एक ऐसा केस बन चुका है। जिसकी तह तक जाने के लिए जिले से लेकर मुख्यालय तक के अधिकारियों ने जोर लगा डाला कि सब नाकाम रहे। यही कारण रहा कि घटना को चार माह बीतने के बावजूद हत्यारों की तलाश में साल बीत गया। पुलिस अब पॉलीग्राफ टेस्ट का सहारा ले रही है। हालांकि इस टेस्ट में भी लंबा समय लगेगा।

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    बरेली रोड गोरापड़ाव से सटे हरिपुर पूर्णानंद गांव में 26 अगस्त की देर रात बदमाशों ने घर में घुसकर ट्रांसपोर्ट्रर लक्ष्मीदत्त पांडे की पत्नी पूनम की निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी। जबकि बेटी अर्शी को गंभीर रूप से घायल कर गए। अगली सुबह यह जानकारी पूरे इलाके में फैल गई। ट्रांसपोर्टर के घर पर लोगों का जमावड़ा लग गया। जिसके बाद आइजी पूरन सिंह रावत व एसएसपी जन्मेजय खंडूरी ने घटनास्थल का मौका-मुआयना कर पीडि़त परिवार व आसपास के लोगों से जानकारी जुटाई। इसके बाद से पुलिस की टीम संदिग्धों की धरपकड़ के साथ सर्विलांस की मदद से उस एरिया के नंबरों के लोकेशन तलाशने में जुट गई। शुरू में पुलिस हत्या की वजह डकैती मान रही थी। लेकिन घर से गायब स्कूटी रोडवेज से बरामद हो गई। जबकि पैसे भी घर पर मिले। जिसके बाद पुलिस की शक की सूई परिवार से जुड़े लोगों की ओर घूमी। वहीं एक अदद सुराग की तलाश में पुलिस बार-बार जांच टीमों की संख्या बढ़ाती गई। हालांकि कुछ हासिल नहीं हुआ।

    जिसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर सितंबर में सीआइडी डीआइजी पुष्पक ज्योति के नेतृत्व में एसआइटी का गठन कर उसे हत्यारों की तलाश का जिम्मा सौंपा गया। उसके बाद से जांच व गोपनीय बैठकों का दौर चलने में है। लेकिन शहर के सबसे चर्चित हत्याकांड का छोटा सा सुराग तक पुलिस को नहीं मिल सका। पुलिस की सारी उम्मीदें अब पालीग्राफ टेस्ट पर टिकी हुई हैं।

    सनसनीसेज मर्डर में अब तक

    • 26 अगस्त की रात बदमाशों ने घर में घुसकर पूनम की हत्या कर डाली। साथ ही बेटी को घायल कर गए।
    • 27 अगस्त की सुबह आइजी पूरन सिंह रावत व एसएसपी जन्मेजय खंडूरी मौके पर पहुंचे। संदिग्धों की धरपकड़ का दौर भी शुरू हो गया।
    • 28 अगस्त को एक युवतियों के बीच मारपीट का एक वीडियो वायरल हुआ। पुलिस ने उसकी जांच की, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ।
    • 29 अगस्त को पुलिस ने रोडवेज स्टेशन के पास से घर से गायब स्कूटी बरामद कर ली।
    • 30 सितंबर को चार दिन बीतने पर भी सुराग नहीं मिलने पर पुलिस ने 18 जांच टीमें बनाकर अलग-अलग राज्यों में भेजी।
    • 30 अगस्त को ही दून से स्पेशल टॉस्क फोर्स को बुलाया गया। आइजी लॉ एंड आर्डर दीपम सेठ भी शहर पहुंचे।
    • दो सितंबर को अस्पताल में भर्ती अर्शा के होश में आने पर पुलिस ने फोटो दिखाकर संदिग्धों की जानकारी जुटाने का प्रयास किया, लेकिन कुछ पता नहीं चला।
    • 3 सितंबर को फेसबुक दोस्तों की लिस्ट खंगालने के बाद पुलिस ने सौ से अधिक लोगों से पूछताछ की। पर कोई फायदा नहीं हुआ।
    • चार सितंबर को हाई कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेकर एसआइटी गठन का निर्देश दिया।
    • छह सितंबर को सीआइडी पुष्पक ज्योति के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया गया। फिर टीम जांच में जुट गई।
    • 14 सितंबर को अस्पताल में भर्ती घायल अर्शा को 18 दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। सुरक्षा के मद्देनजर घर के आसपास पुलिस तैनात कर दी गई।
    • 15 सितंबर को छह टीमें खुलासे को लेकर और गठित की गई। सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई।
    • 24 दिसंबर को पुलिस ने दो युवती समेत तीन लोगों को कोर्ट में पेश कर उनके पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति हासिल कर ली।

    जांच में क्या हुआ

    • दो हजार से अधिक नंबरों को सर्विलांस में लगाया जा चुका है।
    • पांच सौ से अधिक संदिग्धों से पूछताछ हो चुकी।
    • जिस-जिस के बयान में विरोधाभ्यास मिला। उसके दोबारा बयान दर्ज करवाएं गए।
    • हरियाणा, यूपी, दिल्ली, राजस्थान में इस तरह की वारदात को अंजाम देने की सूचना पर स्थानीय पुलिस ने गिरोह की जानकारी जुटाई।
    • छैमार, बावरिया आदि गैंग के जेल में बंद सदस्यों से पूछताछ हुई।
    • मृतका व उसकी बेटी की जिन लोगों से दोस्ती के बाद अनबन हुई। उनसे पूछताछ की गई।

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