Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Famous Ghorakhal Temple In Nainital : घोड़ाखाल मंदिर, जहां मनोकामनाएं पूरी होेने पर घंटियां चढ़ाते हैं श्रद्धालु

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 21 Jun 2022 11:55 AM (IST)

    Famous Ghorakhal Temple In Nainital कुमाऊं की धरती पर न्याय के देवता गोल्ज्यू में जन जन की आस्था है। गाेल्ज्यू के मंदिरों में अर्जी लगाई जाती है और मनाेकामना पूरी होने पर श्रद्धालु जिस मंदिर जो विधान होता है उसे पूरा करते हैं।

    Hero Image
    Famous Ghorakhal Temple In Nainital : घोड़ाखाल मंदिर, जहां मनोकामनाएं पूरी होेने पर घंटियां चढ़ाते हैं श्रद्धालु

    नैनीताल, जागरण संवाददाता : Famous Ghorakhal Temple In Nainital : कुमाऊं की धरती पर न्याय के देवता गोल्ज्यू में जन जन की आस्था है। गाेल्ज्यू के मंदिरों में अर्जी लगाई जाती है और मनाेकामना पूरी होने पर श्रद्धालु जिस मंदिर जो विधान होता है, उसे पूरा करते हैं। नैनीताल जिले के घोड़ाखास में गोल्ज्यू देवता का ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर है। भवाली से महज पांच किमी की दूरी पर स्थित सैनिक स्कूल के पीछे चाेटी पर बने इस मंदिर में हजारों घंटियां हैं। यहां नैसर्गिक सौंदर्य हर किसी को मुग्ध कर देता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घोड़ाखाल मंदिर की मान्यता

    घोड़ाखाल मंदिर में श्रद्धालु मंदिर में अपनी अपनी मन्नते कागज और पत्रों में लिखकर एक स्थान पर टांगते हैं और माना जाता है गोल्ज्यू देवता उन मन्नतों से ही भक्तों की पुकार सुनते हैं। जब मन्नत पूरी होती है, तो लोग उपहार के रूप में “घंटियाँ” चढ़ाते हैं। यहां ऐसी भी मान्यता है। अगर कोई नवविवाहित जोड़ा इस मंदिर में दर्शन के लिए आता है तो उनका रिश्ता सात जन्मों तक रहता है । उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले के घोड़ाखाल मंदिर में स्थित गोलू देवता के मंदिर में एक पत्र भेजकर ही मुराद पूरी होती है। यहां शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रम भी हाेते हैं।

    गोलू देवता के दरबार से कोई निराश नहीं लौटता

    गोलू देवता को स्थानीय संस्कृति में सबसे बड़े और त्वरित न्याय के देवता के तौर पर पूजा जाता है। इन्हें राजवंशी देवता के तौर पर पुकारा जाता है। गोलू देवता को उत्तराखंड में कई नामों से पुकारा जाता है। इनमें से एक नाम गौर भैरव भी है। गोलू देवता को भगवान शिव का ही एक अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार गोलू देवता के मंदिर में जिसका भी विवाह होता है उसका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है। मान्यता है कि गोल्ज्यू के दरबार से कभी भी कोई दुखियारा निराश नहीं लौटता।

    यह है गोलू देवता की कथा

    कुमाऊं क्षेत्र के चंपावत के कत्यूरी राजा झलराई की सात रानियां थी। किसी भी रानी से कोई संतान नहीं थी जिसके बाद राजा ने पंडित और ज्योतिषियों से परापर्श लिया। उन्होंने राजा की जन्म कुंडली देखकर बताया कि वे आठवां विवाह करें तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी।

    सपने में मिली कलिंका

    जिसके बाद एक दिन राजा झलराई ने आधी रात को सपने में नीलकंठ पर्वत पर बैठे कलिंका नामक सुन्दर कन्या को देखा और दूसरे दिन यह बात सभी दरबारियों को बताते अपनी सेना के साथ नीलकंठ पर्वत की ओर चल दिए। काफी वर्षों बाद उन्हें तपस्या में लीन कलिंका मिली।

    इस तरह मिली शादी की अनुमति

    राजा झलराई ने अपना परिचय कलिंका को बताया कि सात रानियां होने के बावजूद मेरी कोई संतान नहीं है और कलिंका से अपनी आठवी रानी बनने का निवेदन किया। कलिंका ने राजा को सलाह दी कि वे साधु के पास जाकर शादी की अनुमति मांगें। जिसके बाद साधु ने राजा की पीड़ा सुनकर विवाह की अनुमति दे दी।

    जलन में रानियों ने बच्चे की जगह रख दिया सिलबट्टा

    रानी कलिंका से राजा को संतान हुई तो दूसरी रानियों ने जलन के कारण बच्चे की जगह पर खून से सना सिलबट्टा (एक प्रकार का पत्थर) रख दिया और बच्चे को खतरनाक गायों के गोशाला में फेंक दिया। बालक गोलू गायों का दूध पीकर बढ़ने लगा और रानी से कहा कि तेरे गर्भ से यह सिलबट्टे पैदा हुए हैं जिस कारण रानी काफी दुखी हुई।

    संदूक में रखकर नदी में छोड़ा

    रानियों ने गोशाला जाकर देखा कि नवजात बालक सुरक्षित है। उन्होंने उसे बिच्छु घास की झाड़ियो में फेंक दिया। जब सारी चाल नाकामयाब रहीं तो आखिर में उन्होंने एक काठ के संदूक में बच्चे को रखा और काली नदी में फेंक दिया। संदूक सात दिन तक बहते -बहते आठवें दिन गोरीघाट में भाना मछुवारे के जाल में फंस गया।

    मछुवारे से बच्चे ने बताई सपने की बात

    भाना मछुआरे ने संदूक खोलकर देखा उसमे हंसता खेलता बच्चा निकला। मछुआरे की कोई संतान नहीं थी, ऐसे में वह बच्चे को घर ले गया उसे पालने लगा। बच्चे का नाम गोलू रखा गया। गोलू ने सपने में एक बार अपनी मां कलिंका और पिता झलराई को देखा और भाना को सारी बात बता दी। यह भी कहा की वे ही उसके असली मां -बाप हैं। गोलू ने अपने मां-बाप से घोड़ा मांगा।

    काठ का घोड़ा कैसे पानी पी सकता है

    भाना ने एक लकड़ी (काठ) का घोड़ा बनाकर दे दिया। वह काठ के घोड़े पर घुमने लगा। एक बार वह अपने घोड़े को पानी पिलाने उस जगह ले गया जहां वे सातों रानियां नहाने के लिए आती थीं। रानियों ने उसके घोड़े को पानी न पीने दिया। उनहोंने ने कहा कि काठ का घोड़ा पानी कैसे पी सकता है।

    इसलिए कहा गया न्याय का देवता

    गोलू ने उत्तर दिया कि जब एक औरत सिलबट्टे को जन्म दे सकती है तो काठ का घोड़ा कैसे पानी नहीं पी सकता है। रानियां यह बात सुनकर भयभीत हो गईं। यह बात राजा के कानों तक पहुंची तो उन्होंने गोलू को बुलाया और अपनी बात सिद्ध करने को कहा। गोलू ने अपनी माता कलिंका के साथ हुए अत्याचारों की सारी कहानी सुनाई। राजा ने उसी समय गोलू को अपना पुत्र स्वीकार किया और सातों रानीयों को प्राण दंड दे दिया। हालांकि, न्याय के देवता गोलू ने उन्हें क्षमादान देनी की अपील की। इसी कारण उन्हें न्याय का देवता कहा जाता है और उनका वाहन घोड़ा है।

    कैसे पहुंचे घोड़ाखाल

    घोड़ाखाल में गोलू (गोल्ज्यू) देवता का भव्य मंदिर है। मंदिर के अंदर सफेद घोड़े में सिर पर सफेट पगड़ी बांधे गोलू देवता की प्रतिमा है, जिनके हाथों में धनुष बाण है। यहां पहुंचने के लिए आपको दिल्ली से सीधे काठगोदाम तक के लिए ट्रेन, पंतनगर के लिए फ्लाइट मिलती है। जहां से आपको आसानी से घोड़ाखाल के लिए टैक्सीसी मिल जाएगी।

    यह भी पढें 

    महादेव ने बाघ के रूप में लिया था अवतार इसलिए नाम पड़ गया बागनाथ मंदिर

    न्याय देवता के नाम से विख्यात हैं अल्मोड़ा के गोलू देवता  

    नैनी देवी मंदिर, जिसने दिया नैनीताल को अस्तित्व, दूर करती है भक्तों के नेत्र रोग