Uttarakhand News: बारिश कम होने, पर्यटकों का दबाव बढ़ने से नैनी झील की सेहत गिरी
यदि बारिश नहीं हुई और पर्यटकों की भीड़ बढ़ती रही तो इस बार पीक पर्यटन सीजन में जलस्तर और कम हो सकता है। जिसको लेकर शहरवासी सहित पर्यावरण प्रेमी बेहद चिंता में हैं। झील में मानसूनी बारिश में मलबा तो अन्य समय पर तमाम स्थानों से सीवर आदि झील की सेहत खराब कर ही रहा है अब बारिश नहीं होने से जलस्तर में कमी भी चिंता बढ़ा रही है।

किशोर जोशी, नैनीताल। सरोवर नगरी की प्रसिद्ध नैनी झील में इस बार बारिश कम होने व बर्फबारी ना के बराबर होने का असर साफ नजर आने लगा है। इसके अलावा समय से पहले पर्यटन सीजन के दस्तक देने से बढ़ी पानी की सप्लाई ने भी झील के जलस्तर को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
आलम यह है कि झील का सामान्य जलस्तर घटकर चार फिट दो इंच रह गया है। यदि बारिश नहीं हुई और पर्यटकों की भीड़ बढ़ती रही तो इस बार पीक पर्यटन सीजन में जलस्तर और कम हो सकता है। जिसको लेकर शहरवासी सहित पर्यावरण प्रेमी बेहद चिंता में हैं।
सरोवर नगरी की शान व पहचान झील में मानसूनी बारिश में मलबा तो अन्य समय पर तमाम स्थानों से सीवर आदि झील की सेहत खराब कर ही रहा है, अब बारिश नहीं होने से जलस्तर में कमी भी चिंता बढ़ा रही है। इस बार बारिश नहीं होने तथा पर्यटकों की भीढ़ बढ़ने से झील पर दबाव बढ़ गया है।
नैनी झील का जलस्तर घट रहा है। सिंचाई विभाग की ओर से लगाया गया गेज मीटर साफ संकेत दे रहा है। जागरण
दो सप्ताह से बढ़ाई पानी की सप्लाई
नैनीताल: जल संस्थान के सहायक अभियंता डीएस बिष्ट के अनुसार आफ पर्यटन सीजन में रोजाना पानी की सप्लाई आठ एमएलडी की जाती है जबकि पर्यटन सीजन में यह बढ़ जाती है। इस बार मार्च पहले सप्ताह से बढ़े पर्यटन की वजह से सप्लाई दस एमएलडी कर दी गई है।
यहां झील किनारे मल्लीताल क्षेत्र में दस ट्यूबवैल स्थापित हैं, जिनकी क्षमता 800 से 1200 लीटर प्रति मिनट है। यहां घरेलू व व्यावसायिक पानी संयोजनों की संख्या आठ हजार दो सौ है।
पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत बताते हैं कि बारिश कम होने से जलस्तर घट रहा है तो झील में मलबा आदि आने से दायरा भी सिमट रहा है, जो चिंता का विषय है। झील के जलागम क्षेत्रों में निर्माण कार्य होने से स्थिति अधिक चिंतित करने वाली है। यहां पहाड़ों से आने वाले नालों के पानी व प्राकृतिक जलस्रोतों से झील रिचार्ज होती है, इस बार बारिश कम हुई तो नालों से बेहद कम रिचार्ज हो रही है।
नैनी झील किनारे नौकाएं निचली सीढ़ी तक खड़ी होने लगी हैं। जागरण
झील से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
मानसूनी बारिश की समाप्ति पर अक्टूबर 15 के बाद जलस्तर की अधिकतम सीमा 12 फिट सुनिश्चित की गई है। जून में अधिकतम सीमा सात फिट का नियम था जबकि जुलाई में जलस्तर की सीमा आठ से, अगस्त में दस तथा विशेष परिस्थिति में 11 फिट रखने के निर्देश थे।
प्रसिद्ध भूगोलविद प्रो. जीएल साह की किताब के अनुसार 2002, 2004, 2006, 2009 , 2010 के अलावा 2011 में तीन मई से एक जुलाई, 2012 में 30 अप्रैल से 16 जुलाई, 2013 में 20 मई से 16 जून, 2014 में 17 मई से 17 जून तथा 2016 में 16 फरवरी से 15 जून तक जलस्तर शून्य पहुंच गया था।
ऐसे समझें झील का जलस्तर
झील नियंत्रण कक्ष प्रभारी रमेश सिंह ने बताया कि झील की अधिकतम गहराई 27 मीटर है। झील के किनारे पर जलस्तर को मापने के लिए ब्रिटिश काल से ही गेज मीटर लगाए गए हैं। जिसमें 0-12 फीट तक ऊंचाई इंगित है। गेज मीटर में जब पानी शून्य से नीचे जाता है तो माइनस और ऊपर को प्लस में मापा जाता है।
झील की गहराई के परिपेक्ष में 24.5 मीटर जलस्तर को सामान्य माना जाता है। जलस्तर शून्य पहुंचने पर भी झील में 24.5 मीटर पानी बना रहता है। वर्तमान में झील का जलस्तर सामान्य से 4.2 फीट ऊपर बना हुआ है। झील नियंत्रण कक्ष प्रभारी के अनुसार मार्च 2024 में जलस्तर 4.5 इंच, 2023 में पांच इंच, 2022 में 5.4 इंच जबकि 2021 में जलस्तर 2.1 इंच था।
इस साल मार्च में झील का जलस्तर पिछले साल से ढाई इंच कम है, यदि बारिश हो गई तो जलस्तर में सुधार आ जाएगा, झील के जलस्तर को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
डीडी सती, सहायक अभियंता सिंचाई।
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