Dharchula Disaster : धारचूला आपदा प्रभावितों का आरोप, तीन सालों से बना था खतरा, बीआरओ ने ध्यान दिया न प्रशासन ने
Dharchula Disaster आपदा से प्रभावित परिवारों में जहां आक्रोश है वहीं भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। मकान और दुकान पूरी तरह खतरे में आ चुके हैं। आजीविका भी संकट है। प्रभावितों ने बीआरओ और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

संवाद सूत्र, धारचूला : Dharchula Disaster : पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में हुए भारी भूस्खलन के बाद से सीमांत जनता और बीआरओ के बीच तकरार फिर तेज हो गई है। जनता ने इस आपदा के लिए सीधे बीआरओ को जिम्मेदार ठहराया है। बीते दिनों लोगों ने बीआरओ और ठेकेदार कंपनी हिलवेज के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पुतला फूंका।
व्यापार संघ अध्यक्ष बीएस थापा का कहना है कि विगत तीन साल से एलधारा के पास आपदा आ रही है । पूर्व में भी नुकसान हो चुका है। एलधारा के ट्रीटमेंट के लिए प्रशासन द्वारा प्रस्ताव तैयार किया गया था। यह प्रस्ताव 37 लाख का था लेकिन बीआरओ के चलते ट्रीटमेंट का कार्य नहीं हो सका और प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्रशासन सुरक्षात्मक कार्य करने मेंं विफल रहा है।
थापा ने कहा कि आज 55 परिवार घर छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं। धारचूला में कुटियाल खेड़ा से लेकर मल्ली बाजार खतरे मेंं है। इसका जिम्मेदार सीमा सड़क संगठन और हिलवेज कंपनी है। घटना के बाद तो सभी पहुंच रहे हैं परंतु तीन साल में सुरक्षा के नाम पर एक इंच भी कार्य नहीं किया गया। अब बीआरओ और हिलवेज कंपनी की मनमानी को जनता सहन नहीं करेगी।
अभी तो शिविर है, कुछ दिन बाद यह भी बंद हो जाएगा
आपदा से प्रभावित परिवारों में जहां आक्रोश है वहीं भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। मकान और दुकान पूरी तरह खतरे में आ चुके हैं। आजीविका भी संकट है। प्रभावितों ने बीआरओ और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। कहा कि अभी तो शिविर बने हैं । कुछ दिनों बाद सब कुछ बंद हो जाएगा। उनका भविष्य तो दांव पर है।
प्रभावितों ने कहा, न्यायालय की शरण में जाएंगे
आपदा प्रभािवतों का कहना है कि यदि तीन वर्ष पूर्व प्रकृति के दिए गए संकेत और प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिए तैयार की गर्ई कागजी कार्यवाही को अमल में लाया गया होता तो आज यह नहीं होता। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उनका प्रशासन, शासन और बीआरओ पर कोई विश्वास नही रह चुका है। अपनी जान की सुरक्षा के लिए अब वह न्यायालय की शरण लेंगे ।
स्कूल भवन हो चुका है ध्वस्त
प्रधानाचार्य मोहन चंद्र जोशी ने बताया कि आपदा से सरस्वती शिशु मंदिर का भवन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। आधा भवन टूट चुका है। अन्य कक्षों में मलबा घुस चुका है। विद्यालय के आसपास के तीन मकान ध्वस्त हो चुके हैं। नीचे का मकान भी ध्वस्त हो गया है। प्रशासन ने अभी विद्यालय भवन वाले प्रभावित क्षेत्र में जाने पर रोक लगाई है। जिससे नुकसान का पूरा आकलन करना संभव नहीं है। दूर से जो नजर आ रहा है उससे प्रतीत होता है कि भवन की हालत बुरी है।
एलधारा के पास सुरक्षात्मक कार्य कराए जाएंगे
संयुक्त मजिस्ट्रेट धारचूला नंदन कुमार का कहना है कि प्रशासन द्वारा एलधारा के पास विगत दो माह में कुछ कार्य किए गए है। शुक्रवार चार बजे यहां भूस्खलन हुआ और विशाल बोल्डर गिरा। देर शाम को फिर से भूस्खलन हुआ और विशाल बोल्डर गिरा । पहले के भूस्खलन और दूसरे भूस्खलन के बीच के दो घंटे में प्रशासन ने खतरे में आए मकानों में रहने वाले लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट किया। इन सभी परिवारों को प्रशासन द्वारा बनाए गए पांच शिविरों में रखा गया है जहां पर भोजन की व्यवस्था की गई है। एलधारा के पास सुरक्षात्मक कार्य कराया जाएगा।
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