Delhi Pollution: दिल्ली की हवा नैनीताल से 10 गुना ज्यादा 'जहरीली', सैलानियों की भीड़ बढ़ी नैनीताल की ओर
नैनीताल की तुलना में दिल्ली की हवा 10 गुना अधिक प्रदूषित है। नैनीताल में पीएम 2.5 की मात्रा 15 दर्ज की गई, जबकि दिल्ली में यह 156 रिकार्ड की गई। एरीज ...और पढ़ें

नैनीताल में पीएम 2.5 की मात्रा 15 के मुकाबले दिल्ली में दर्ज की गई 156। आर्काइव
रमेश चंद्रा, नैनीताल। नैनीताल की तुलना में दिल्ली की हवा 10 गुना अधिक प्रदूषित हो चली है। बुधवार को नैनीताल में पीएम 2.5 की मात्रा 15 दर्ज की गई, जबकि दिल्ली में यह 156 रिकार्ड की गई। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के पीएम 2.5 की जांच करने वाले उपकरण सीयूपीआइ दिल्ली के कई स्थानों में लगे हुए हैं। दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के बीच नैनीताल सहित आसपास के पर्यटन स्थलों में आफ सीजन में भी पर्यटकों की आमद होने से कारोबारी उत्साहित हैं।
एरीज के वरिष्ठ वायुमंडलीय विज्ञानी डा. नरेंद्र सिंह के अनुसार दिल्ली में खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक के कई कारण हैं। इनमें एक बड़ा प्राकृतिक कारण हवा की मंद गति है, जिसके चलते प्रदूषण दिल्ली की हवा में ठहर सा गया है। हवा की गति बढ़ाने वाले चक्रवात भी रूठे हुए प्रतीत हो रहे हैं। इसकी तुलना में नैनीताल सरीखे दो हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पछुवा हवाएं चल रही हैं, जिनकी रफ्तार 25 किमी प्रति घंटे से अधिक पहुंच रही हैं। जिस कारण हिमालय से लगे पर्वतीय क्षेत्रों में इन दिनों वायु प्रदूषण लेसमात्र भी नहीं रह गया है, बल्कि सामान्य अवस्था से भी काफी नीचे पहुंच गया है।
दिल्ली में अत्यधिक प्रदूषण की वजह अत्यधिक वाहन, कूड़े का जलना, दिल्ली के समीपवर्ती क्षेत्रों में उद्योग धंधों का धुआं और ठंड से बचाव के लिए अलाव आदि कारणों से दिल्ली एनसीआर में हवा की स्थिति खराब हो चली है। एरीज ने जापान के सहयोग से दिल्ली के विभिन्न स्थानों में काम्पैक्ट यूजफूल 2.5 इंस्ट्रूमेंट (सीयूपीआइ) उपकरण लगाए हैं। यूएस एंबेसी में स्थापित सीयूपीआइ में बुधवार को पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 की मात्रा 156 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज की गई। यह उपकरण सिर्फ पीएम 2.5 की मात्रा दर्ज करते हैं, जबकि एक्यूआइ छह मुख्य प्रदूषकों के मिश्रण को मापता है, जिनमें पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 के अलावा पीएम 10, ओजोन, नाइट्रोजन डाइआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और शीशा शामिल होते हैं, जो हवा की गुणवत्ता को दर्शाते हैं।
एरीज हिमालय से लेकर दिल्ली तक पीएम 2.5 पर रखता है नजर
डा नरेंद्र सिंह ने बताया कि एरीज वर्तमान में हिमालय समेत दिल्ली की हवा पर नजर रख रहा है। पीएम 2.5 की जांच करने वाला उपकरण सीयूपीआइ हिमालय क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में लगाए गए हैं, जबकि दिल्ली में भी कई स्थानों में यह उपकरण स्थापित किए गए हैं। एरीज के विज्ञानियों के रिसर्च के लिए इन उपकरणों को ईजाद किया गया है।
एक्यूआई में शामिल हानिकारक गैस
पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और 10 हवा में मौजूद ठोस कण और तरल बूंदें होती हैं, जो फेफड़ों में गहराई में पहुंचकर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। ओजोन जमीनी स्तर पर बनने वाली गैस श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ाती है। नाइट्रोजन डाइआक्साइड वाहनों और औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाली गैस है, जो सांस को प्रभावित करती है। सल्फर डाइआक्साइड जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न होने वाली गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। कार्बन मोनोआक्साइड रंगहीन व गंधहीन गैस है, जो वाहनों और औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकलती है और स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब मानी जाती है। सीसा एक भारी धातु है, जो औद्योगिक प्रक्रियाओं और पुराने वाहनों से निकलकर स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।
खराब हवा से निजात पाने को आ रहे हैं पर्यटक
दिल्ली एनसीआर की प्रदूषित हवा के कारण सैलानी बड़ी संख्या में नैनीताल समेत पर्वतीय क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं। इस वीकेंड पर शुक्रवार से रविवार तक 20 हजार से अधिक सैलानी नैनीताल पहुंचे थे, जबकि नजदीकी पर्यटन स्थल मुक्तेश्वर, रामगढ़, नौकुचियाताल, पगोठ, कैंची धाम समेत अन्य स्थल भी दिल्ली एनसीआर के सैलानियों से पटे रहे। पर्यटन कारोबारी रुचिर साह के अनुसार स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए इन दिनों बड़ी में मैदानी हिस्सों से सैलानी यहां पहुंच रहे हैं, जिनमें सर्वाधिक संख्या में दिल्ली एनसीआर के सैलानी शामिल हैं। रामगढ़ मुक्तेश्वर से लेकर धानाचूली तो होम स्टे व फ्लैट्स व कोठियों के ताले समय से पहले खुल गए हैं।

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