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भारतमाला सड़क खोलेगी अनछुए पर्यटक स्थलों के द्वार, पहली बार गर्म जलकुंडों तक सीधे पहुंचेंगे पर्यटक

भारतमाला परियोजना अब तक अनछुए पर्यटक स्थलों के द्वार खोलेगी। पहली बार गोरी और मंदाकिनी नदी घाटी के मध्य स्थित गर्म जलकुंडों तक पर्यटकों की सीधी पहुंच होगी। नेपाल और चीन सीमा से लगे क्षेत्र में पर्यटन के नए अवसर बनेंगे।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 01:40 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 01:40 PM (IST)
स्कीईंग स्थल बन रहे खलिया टाप तक पहुंचना भी आसान हो जाएगा।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : नेपाल और चीन सीमा पर सरयू घाटी से लेकर काली और गोरी नदियों के संगम स्थल तक सड़क निर्माण चार नदी घाटियों की तस्वीर और तकदीर बदल देगा। भारतमाला परियोजना अब तक अनछुए पर्यटक स्थलों के द्वार खोलेगी। पहली बार गोरी और मंदाकिनी नदी घाटी के मध्य स्थित गर्म जलकुंडों तक पर्यटकों की सीधी पहुंच होगी। नेपाल और चीन सीमा से लगे  क्षेत्र में पर्यटन  के नए अवसर बनेंगे। क्वीटी की रसीली लीची को जहां बाजार मिलेगा वहीं इस मार्ग से  हिमनगरी मुनस्यारी जुड़ेगी। जिससे स्कीईंग स्थल बन रहे खलिया टाप तक पहुंचना भी आसान हो जाएगा।

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भारतमाला परियोजना के तहत बागेश्वर से जौलजीबी तक लगभग 195 किमी लंबी सड़क चार नदी घाटियों को जोडऩे वाली पहली सड़क होगी। यह सड़क सरयू नदी, रामगंगा नदी, गोरी गंगा नदी और काली नदी घाटियों को एक साथ जोडऩे वाली है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह तीन नदियों के समानांतर होगी। नदी घाटियों से चोटियों तक से पहुंचने वाली इस सड़क से कालामुनि, बिटलीधार, मुनस्यारी तो जुड़ेंगे ही, मदकोट क्षेत्र में मंदाकिनी और गोरी नदी किनारे स्थित गर्म जलकुंडों तक पहुंचना आसान होगा। वहीं बागेश्वर जनपद के सामा व धूरा जैसे पर्यटक स्थल भी इस सड़क से जुड़ेगे।

इस तरह होगी सड़क

बागेश्वर से सरयू नदी घाटी से होते हुए सड़क सामा व धूरा से रामगंगा नदी घाटी में उतरेगी। रामगंगा नदी पार करने के बाद मुनस्यारी के लीची उत्पादक क्षेत्र क्वीटी पहुंचेगी। क्वीटी से आगे बिर्थी झरना, कालामुनि, बिटलीधार, बलाती होते हुए मुनस्यारी पहुंचेगी। इस सड़क से खलिया टाप की पैदल दूरी मात्र चार से पांच किमी रहेगी। मुनस्यारी से आगे मदकोट पहुंचने के बाद सड़क गोरी नदी किनारे जौलजीबी पहुंचेगी। जौलजीबी से तवाघाट हाईवे में मिलेगी। यह हाईवे भी अब आलवेदर रोड बनने जा रहा है। इससे आगे यह चीन सीमा पर स्थित लिपुलेख और दारमा घाटी से मिलेगी। 

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