Cyber ठगी से सावधान: कुमाऊं में हर महीने दो करोड़ की ठगी, लोगों की गाढ़ी कमाई पर जालसाजों की नजर
Cyber Crime साइबर अपराधियों ने कुमाऊं के लोगों को निशाना बनाया है। हर महीने 2 करोड़ रुपये की ठगी हो रही है। पुलिस-प्रशासन के लिए साइबर अपराधियों को पकड़ना चुनौती बन गया है। दैनिक जागरण आज से वृहद स्तर पर अभियान शुरू कर रहा है इसके तहत लोगों को जागरूक करने के साथ सतर्कता बरतने के बारे में बताया जाएगा।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। साइबर अपराध अब गंभीर किस्म के अपराधों के मामले पुलिस-प्रशासन के लिए कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो चुका है। इस किस्म के अपराधों में पीड़ित को लाखों करोड़ों आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। ज्यादातर मामलों में पुलिस अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती और जिन तक पहुंचती भी है तो उनमें ज्यादातर को सजा भी नहीं मिल पाती है।
इससे साइबर अपराधियों के हौसले और बुलंद हो चुके हैं। साइबर अपराध को लेकर के आम जनता को जागरूक करने और इस किस्म के अपराधों से बचने के लिए दैनिक जागरण आज से वृहद स्तर पर अभियान शुरू कर रहा है, इसके तहत लोगों को जागरूक करने के साथ सतर्कता बरतने के बारे में बताया जाएगा।
कुमाऊं में लोग भविष्य के लिए रखी गई जमापूंजी को साइबर ठगों के चंगुल में फंसकर गंवा रहे हैं। मोबाइल पर अज्ञात काल, ब्लैकमेल करना, अनजान लिंक को खोलना और खाते संबंधी जानकारियां साझा करना ठगी का प्रमुख कारण बन रहा है। साइबर पुलिस के पास दर्ज आंकड़ों की बात करें तो कुमाऊं के लोगों के खातों से हर महीने दो करोड़ रुपये की ठगी हो रही है।
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मैदानी इलाकों की तरह ही पहाड़ में भी साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है। आबादी के लिहाज से ऊधम सिंह नगर जिला बड़ा होने के कारण ठगी का शिकार होने में भी कुमाऊं में नंबर वन है। इस जिले में नौ माह में 15 करोड़ से अधिक की साइबर ठगी दर्ज की गई।
इसमें छह करोड़ से अधिक रुपये पुलिस ने लोगों के खाते में वापस कराए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर नैनीताल जिला है। पहाड़ की बात करें तो सबसे छोटा जिला चम्पावत के लोग सर्वाधिक साइबर ठगी के शिकार हुए हैं। यहां बीते नौ महीने में एक करोड़ से अधिक की ठगी हो चुकी है।
यद्यपि इसमें से 61 लाख से अधिक की रकम पुलिस ने बरामद की है। बरामदगी दर चम्पावत में 58 प्रतिशत है। साइबर ठगी में गंवाए पैसे की रिकवरी में बागेश्वर जिला फिसड्डी है। बागेश्वर की बरामदगी दर 3.92 प्रतिशत है।
स्मार्ट साइबर अपराधी, पुलिस प्रशासन का कमजोर तंत्र
साइबर अपराधी पुलिस से दो कदम आगे बढ़ चुके हैं। एक मामले को पुलिस जब तब समझती है और लोगों को जागरूक करती है तब तक ठगी का नया मामला सामने आ जाता है।
पुलिस-प्रशासन को बैंक से बनाना होगा समन्वय
पुलिस-प्रशासन को साइबर अपराध के बढ़ते मामलों को लेकर और संजीदगी बरतनी होगी। ठगी के मामलों को रोकने व बैंक खातों को होल्ड करने के लिए समन्वय बनाना होगा। बैंक से लोगों की जानकारी लीक कैसे हो रही है। इसकी भी तह तक जाना होगा।
साइबर सेल को तकनीकी रूप से बना होगा दक्ष
आज से पांच साल पहले तक लूट, डकैती व चोरी की अधिकांश घटनाओं से लोगों में दहशत होती थी, लेकिन ऐसी घटनाएं अब कम ही सामने आती हैं। क्योंकि अपराधी दूसरे राज्यों में बैठकर खातों में सेंधमारी कर रहे हैं। इसलिए साइबर सेल को तकनीकी रूप से और दक्ष बनना होगा।
अन्य राज्यों से बेहतर समन्वय
साइबर ठगों को पकड़ने के लिए पुलिस को अन्य राज्यों से बेहतर समन्वय बनाने की जरूरत महसूस होने लगी है। कई बार देखने को मिलता है कि पुलिस दूसरे राज्यों में दबिश लेने जाती, लेकिन लोकल पुलिस का सहयोग नहीं मिल पाता। इस स्थिति में अपराधी को फायदा होता है।
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आम लोगों को करना होगा जागरूक
साइबर ठगी रोकने के लिए अब आम लोगों को भी जागरूक करना होगा। इसके लिए स्कूलों में साइबर अपराध को लेकर कार्यशाला और गांव में जाकर साइबर पंचायत जैसे आयोजन होने चाहिए। जिससे लोगों को पता चले कि साइबर अपराध कैसे और किस स्थिति में हो सकता है। क्या करना है और क्या नहीं करना है।
कुमाऊं में जनवरी से सितंबर तक ठगी का आंकड़ा
जिला | ठगी गई रकम | बरामद रकम | प्रतिशत |
यूएस नगर | 154805293 | 65911618 | 42.58% |
नैनीताल | 11874808 | 2499900 | 21.05% |
चम्पावत | 10473001 | 6148369 | 58.71% |
पिथौरागढ़ | 791598 | 306688 | 38.74% |
अल्मोड़ा | 8506839 | 4423449 | 52.00% |
बागेश्वर | 2695292 | 105639 | 3.92% |
(नोटः आंकड़े पुलिस विभाग के हैं।)
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