शराब और सिगरेट पीने वाले सावधान! ये फैक्ट जानकर नशा करने से लगेगा डर
Alcohol and Cigarette Addiction शराब और सिगरेट की लत न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि यह आपकी हड्डियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। नशे की वजह से कूल्हे की हड्डी गलने लगती है और कम उम्र में ही जोड़ों के दर्द कमर दर्द जैसी समस्याएं होने लगती हैं। जानिए हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ शर्मा से नशे के कारण होने वाली हड्डियों की समस्याओं के बारे में।

उदय सेठ, हल्द्वानी। Alcohol and Cigarette Addiction: युवाओं में बढ़ती नशे की लत चिंताजनक विषय बनता जा रहा है। नशा युवाओं के स्वास्थ्य और भविष्य को अधिक कमजोर बना रहा है। यहां तक शराब, सिगरेट आदि के सेवन से हड्डियां जल्दी गलने लगती हैं।
प्रमुख तौर पर नशे से कूल्हे की हड्डी गलने की बात सामने आ रही है। इससे कम उम्र के युवाओं में जोड़ो के दर्द, कमर दर्द आदि हड्डी संबंधित रोग का खतरा बढ़ रहा है। इसके अलावा लापरवाह ड्राइविंग भी हड्डी रोग का खतरा बढ़ाती है।
युवाओं के शरीर में तेजी से कम होती है कैल्शियम की मात्रा
रामपुर रोड स्थित होटल में शुक्रवार को उत्तराखंड आर्थोपेडिक एसोसिएशन की तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में पीजीआइ चंडीगढ़ से आए हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. सिद्धार्थ शर्मा ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि नशे से युवाओं में हड्डी रोग की समस्या बढ़ रही है। नशे का सेवन करने से युवाओं के शरीर में कैल्शियम की मात्रा तेजी से कम होती है, इससे जोड़ों में दिक्कत होने लगती है।
हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. सिद्धार्थ शर्मा
कूल्हे का जोड़ हमारे शरीर का वजन सहने वाले प्रमुख जोड़ों में से एक है। यह जांघ की हड्डी (फीमर) और कूल्हे की हड्डी (पेल्विस) से जुड़ा रहता है। इसकी सहायता से ही पैरों को मोड़ना, घुटनों के बल बैठने आदि किया जाता है। लेकिन, बढ़ते नशे की लत के कारण यह जल्दी कमजोर होने लगती है। इससे कई तरह की परेशानी शुरू हो जाती है। डा. शर्मा ने हड्डी की परेशानी से बचने के लिए सेफ्टी का ध्यान रखने की बात कही।
भारत में तेजी से बढ़ रहा बोन कैंसर का खतरा
डा. सिद्धार्थ शर्मा ने बताया कि भारत में युवाओं में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका कारण खराब खान-पान और खराब लाइफस्टाइल बताया जा रहा है। बोन कैंसर से हड्डी में गांठ बन जाती है। ज्यादातर 14-24 आयु वर्ग में यह खतरा बढ़ता है। कैंसर का वक्त पर इलाज ही इससे बचाव का तरीका है। ऐसे में हड्डी में कोई परेशानी लगने पर व्यक्ति को तुरंत डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
तेजी से हो रहा 3-डी प्रिंटिंग तकनीक का प्रयोग
डा. शर्मा ने बताया कि वर्तमान में हड्डी रोग विशेषज्ञ की ओर से 3-डी प्रिंटिंग तकनीक का प्रयोग तेजी से हो रहा है। इसके उपयोग से रोगियों के रोगग्रस्त या फ्रैक्चर वाले हिस्से का माडल बनाया जाता है।
इस माडल की मदद से सर्जन स्थिति को बेहतर ढंग से समझते हैं। इसके जरिये कुछ घंटों में बिल्कुल उसी तरह का कृत्रिम अंग तैयार किया जा सकता है। इससे सर्जरी में काफी समय कम लगता है। बताया कि गंभीर शारीरिक समस्याओं के निराकरण के लिए यह तकनीक वरदान है।
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