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    Chamoli Avalanche: पीएमओ भी ले रहा पल-पल की जानकारी, यहां पहले भी कई बार आ चुके हैं एवलांच

    Chamoli Avalanche चमोली में एवलांच की घटना के बाद रेस्क्यू अभियान में खराब मौसम बाधक बना हुआ है। वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो घटना स्थल पर पहले भी कई बार एवलांच आ चुके हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भी घटना पर लगातार नजर बनाए हुए है और जिला प्रशासन से जानकारी मांगी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को जोशीमठ पहुंचकर रेस्क्यू कार्यों की समीक्षा करेंगे।

    By Devendra rawat Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 28 Feb 2025 08:29 PM (IST)
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    Chamoli Avalanche: घटना स्थल पर पहले भी कई बार आ चुके हैं एवलांच। साभार सेना

    संवाद सहयाेगी, जागरण, गोपेश्वर। Chamoli Avalanche: माणा में एवलांच की घटना के बाद खराब मौसम से रेस्क्यू अभियान में बाधा पहुंची है। हालांकि राज्य से लेकर केंद्र तक सरकार इस घटना की अपडेट ले रही है। खुद मुख्यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी शनिवार के जोशीमठ आकर रेस्क्यू कार्यों की समीक्षा करने के सूचना है। पीएमओ भी घटना के बाद रेस्क्यू को लेकर जानकारी ले रहा है।

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    जिला प्रशासन से मांगी गई जानकारी

    माणा पास सड़क पर कार्य करने वाले मजदूरों के हिमस्खलन में दबने की घटना को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय से भी जिला प्रशासन से जानकारी मांगी गई है।

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    जिलाधिकारी डॉ संदीप तिवारी ने बताया कि पीएमओ से रेस्क्यू को लेकर पल पल की जानकारी मांगी जा रही है। बताया कि मुख्यमंत्री शनिवार को रेस्क्यू कार्यों को तेजी लाने के लिए जोशीमठ पहुंच रहे हैं। हालांकि रेस्क्यू को लेकर सबकी नजर मौसम पर टिकी हुई है। अगर मौसम साफ हुआ और बर्फबारी वर्षा बंद हुई तो हेली के जरिए ही रेस्क्यू में तेजी लाई जा सकती है। फिलहाल तो लगतार बर्फबारी व वर्षा के चलते रेस्क्यू को लेकर सारा दारोमदार मौसम पर है। दिनभर खराब मौसम के चलते सड़क से लेकर हवाई रेस्क्यू तक नहीं हो पाया है। ऐसे में माणा में मौजूद सेना व आईटीबीपी रेस्क्यू के लिए वरदान साबित हुई है।

    नाले में बनता है हिमखंड, पहले आते रहे हैं एवलांच

    गोपेश्वर: वहीं स्थानीय लोगों की मानें तो घटना स्थल पर पहले भी कई बार एवलांच आ चुके हैं। हालांकि एक दशक से यहां पर एवलांच की घटनाएं नहीं हुई थी। परंतु यहां हर वर्ष शीतकाल में ग्लेशियर बनता रहा है। माणा के दोणा गदेरे से नर पर्वत की चोटी पांच किमी से अधिक ऊंची है। इस चोटी की तलहटी पर अलकनंदा तट पर माणा गांव बस है।

    साभार प्रशासन।

    माणा गांव से एक किमी पहले कमना नामक तोक पर यह घटना हुई है। यहां पर माणा के ग्रामीण काश्तकारी करते हैं। बताया गया कि माणा के ग्रामीणों ने यहां पर एवलांच के चलते ही बसना वाजिब नहीं समझा।

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    माणा गांव के निवासी धन सिंह घरिया का कहना है कि इस स्थान पर शीतकाल में हिमखंड नाले में हमेशा बनते हैं। लेकिन एवलांच की घटना एक दशक से देखने को नहीं मिली थी। पहले इस स्थान पर एवलांच आए थे, यही कारण रहा कि ग्रामीणों द्वारा आस पास के क्षेत्र में बसावट नहीं की गई। जबकि बदरीनाथ से नजदीक होने के कारण इसका व्यवसायिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान है।

    एवलांच आना आम बात

    इससे लगे क्षेत्र में ही सेना का कैंप भी है तथा सेना के बंकर भी हैं। हिमआच्छादित पर्वतों के बीच में घाटीनुमा क्षेत्र में एवलांच आना आम बात है। इन्हीं हिमखंडों से निकलकर ये नाले बहते हैं।