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    शनि ग्रह को खूबसूरत बनाने वाले छल्ले हो रहे हैं गायब, जानिए इस खगोलीय घटना के बारे में

    Updated: Fri, 28 Feb 2025 05:47 PM (IST)

    Saturn Ring Disappearing शनि के छल्ले जो ग्रह को उसकी विशिष्ट सुंदरता प्रदान करते हैं धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं। यह घटना हर 14.5 साल में होती है जब शनि अपने अक्ष में झुकाव और कक्षा के कारण पृथ्वी से अलग कोण पर होता है। अगले तीन सालों में शनि के छल्ले चौड़ाई में नजर आने लगेंगे। आइए शनि के छल्लों के बारे में विस्तार से जानें।

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    Saturn Ring Disappearing: नासा द्वारा जारी शनि ग्रह की तस्वीर।

    रमेश चंद्रा, नैनीताल। Saturn Ring Disappearing: शनि ग्रह को बेपनाह खूबसूरत बनाने वाले उसके छल्ले अब अदृश्य होने लगे हैं। शनि के अपने अक्ष में झुकाव व ऑर्बिट के कारण यह बदलाव लगभग हर 14.5 साल में आता है। अगले तीन साल बाद ही इसके छल्ले चौड़ाई आकार में नजर आने शुरू हो जाएंगे।

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    आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा शशिभूषण पांडेय के अनुसार चांदी जैसे रंग में सुंदर दिखाई देने वाले शनि ग्रह के छल्लों का अदृश्य होने का क्रम सामान्य घटना है, जो पृथ्वी से देखे जाने पर घटते बढ़ते रहते हैं। अब यह यह लगभग अदृश्य होने लगे हैं, छोटी दूरबीन से देखे जाने पर भी एक पतली सी लकीर ही नजर आएगी, जबकि बड़ी दूरबीन से एक मामूली सा हिस्सा नजर आएगा।

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    23 मार्च को इसके छल्ले पूर्णतः गायब हो जाएंगे, जो बड़ी दूरबीन से भी नहीं देखे जा सकेंगे। शनि भी अपने अक्ष में 26.7 डिग्री झुकाव लिए है। जिस कारण छल्लों में बदलाव आता है। साथ ही अपनी लंबी ऑर्बिट ( कक्षा) में आगे बढ़ने के साथ छल्लों की दशा में भी परिवर्तन आता है।

    पृथ्वी की तुलना में शनि का एक वर्ष 29.5 वर्ष का होता है। इस अवधि के मध्य एक समय ऐसा भी आता है, जब उसके छल्ले पूर्ण रूप से नजर आने लगते हैं। शनि ग्रह को इन दिनों पश्चिम के आकाश में सूर्यास्त के लगभग 20 मिनट बाद देखा जा सकता है। शनि अपनी कक्षा में सूर्य के करीब पहुंचने लगा है। जिस कारण कुछ समय बाद उसे नग्न आंखों से देखना मुश्किल हो जाएगा।

    चांदी जैसा नजर आता है शनि के छल्लों का रंग

    नैनीताल : भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरू के सेवानिवृत्त खगोल विज्ञानी प्रो आरसी कपूर के अनुसार शनि ग्रह के छल्ले 4.5 अरब साल पुराने हैं। इनका जन्म शनि के साथ ही शुरू हो गया था। इसके छल्ले धूल के कण व बर्फ के हैं।

    सूर्य की किरणें टकराने पर छल्ले बेहद चमक के लिए खूबसूरत नजर आने लगते हैं। शनि के चारों ओर फैले छल्ले आमने सामने से पृथ्वी से 21 गुना बड़े हैं। शनि सूर्य से छठा स्थान रखने वाला ग्रह है और हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।

    शनि ग्रह के चंद्रमा

    शनि ग्रह के 62 ज्ञात चंद्रमा हैं। इनमें से सबसे बड़ा चंद्रमा टाइटन है, जो सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है। शनि का वातावरण हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। जहां तूफान और तेज हवाएं चलती हैं। शनि ग्रह की खोज 1610 में गैलीलियो गैलीली ने की थी और छल्लों का पता 1655 में चला था। शनि ग्रह का व्यास लगभग 116,460 किलोमीटर है, जो पृथ्वी से लगभग 9 गुना अधिक है।

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