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    बाइपास पुल बनने के बाद सालों पुराना कोसी बैराज पुल भारी वाहनों के लिए बंद nainital news

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    Updated: Fri, 03 Jan 2020 11:09 AM (IST)

    बाइपास पुल बनने के बाद सालों पुराना कोसी बैराज पुल भारी वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है। सिंचाई विभाग ने गेट लगाकर बुधवार रात से आवाजाही बंद कर दी है।

    बाइपास पुल बनने के बाद सालों पुराना कोसी बैराज पुल भारी वाहनों के लिए बंद nainital news

    रामनगर, जेएनएन : बाइपास पुल बनने के बाद सालों पुराना कोसी बैराज पुल भारी वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है। सिंचाई विभाग ने गेट लगाकर बुधवार रात से आवाजाही बंद कर दी है। पुल बंद होने से हल्द्वानी व नैनीताल को आने जाने वाली बसें अब हल्द्वानी बस अड्डे से रानीखेत रोड, लखानपुर, बैराज के बाहर से बालाजी मंदिर होते हुए नए बाईपास पुल को जाएंगी।

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    2011 में कोसी नदी पर बाइपास पुल की नींव रखी गई थी

    कोसी बैराज से सिंचाई विभाग के बनाए गए पुल से ही हल्द्वानी, नैनीताल, कालाढूंगी, बैलपड़ाव के लिए वाहनों की आवाजाही होती है। अन्य कोई पुल का विकल्प नहीं था। इस पुल पर भारी व छोटे अन्य वाहनों का दबाव काफ रहता रहा था। ऐसे में नए पुल की जरूरत को समझते हुए वर्ष 2011 में कोसी नदी पर बाइपास पुल की नींव रखी गई। वर्ष 2019 में पुल बनकर तैयार हुआ। 29 नवम्बर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कोसी नदी पर बनाए गए नए बाइपास पुल का लोकार्पण करने के बाद इसे वाहनों के लिए खोल दिया गया। नया पुल बनने के बाद सिचाई विभाग ने नए साल से कोसी बैराज के पुल को बस, ट्रक , डंपरों, मिनी बस के लिए बंद कर दिया। भारी वाहनों को रोकने के लिए विभाग ने दोनों ओर गेट लगा दिए हैं जबकि बाइक व कार की बैराज पुल से आवाजाही हो सकेगी।

    कोसी बैराज पुल को सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा

    सिंचाई विभाग के अधिशासी अधिकारी केसी उनियाल ने बताया कि विभाग अब इस पुल का सेफ्टी ऑडिट कराएगा। इसके लिए डीएम को पत्र भेजा गया है। जल्द ही सेफ्टी ऑडिट टीम बैराज का निरीक्षण कर बैराज पुल की मजबूती उस पर बढ़ रहे खतरे का आकलन करेगी। टीम के आकलन की रिपोर्ट के आधार पर ही सिंचाई विभाग बैराज पुल को लेकर आगे की कार्यवाही करेगा। 48 साल बाद बंद हुआ बैराज पुल रामनगर : बैराज पुल करीब 48 साल बाद बंद हुआ है। अभिभाजित उप्र के सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा ने वर्ष 1971 में पुल का शिलान्यास किया था। यह पुल विभाग ने अपने निजी कार्य के लिए बनाया था। इसके बाद से यह पुल आम रास्ता बनता चला गया।

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