Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड के ऊन को मिलेगी आस्ट्रेलिया की कोमलता, मेरीनो भेड़ की पहली खेप पहुंची nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 03 Jan 2020 05:02 PM (IST)

    आस्ट्रेलिया की विश्वविख्यात कोमल बारीक मजबूत और लचीली मेरीनो ऊन का उत्पादन अब उत्तराखंड में भी मुमकिन होगा। आस्ट्रेलियाई प्रजाति के इन भेड़ों की पहली खेप उत्तराखंड पहुंच गई हैं।

    उत्तराखंड के ऊन को मिलेगी आस्ट्रेलिया की कोमलता, मेरीनो भेड़ की पहली खेप पहुंची nainital news

    पिथौरागढ़, जेएनएन : आस्ट्रेलिया की विश्वविख्यात कोमल, बारीक, मजबूत और लचीली मेरीनो ऊन का उत्पादन अब उत्तराखंड में भी मुमकिन होगा। आस्ट्रेलियाई प्रजाति के इन भेड़ों की पहली खेप उत्तराखंड पहुंच गई हैं। जल्द ही इन्हें पर्वतीय जिलों में वितरित किया जाएगा। भारतीय भेड़ की तुलना में तीन गुना अधिक ऊन देने वाली इन भेड़ से पिछड़ रहे उत्तराखंड के ऊन उद्योग को संजीवनी मिलने की उम्मीद है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हिमालयी भेड़ों की ऊन देने की क्षमता गिरी

    उत्तराखंड के पर्वतीय जनपद पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, उत्तरकाशी और टिहरी में सर्दियों से ऊन का उत्पादन होता रहा है। ऊन के लिए हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोग भेड़ पालते हैं। इनसे निकलने वाली ऊन स्थानीय हस्तशिल्प में उपयोग होने के साथ ही देश के बड़े शहरों में भी भेजी जाती रही है। पिछले कुछ वर्षो में हिमालयी भेड़ों की ऊन देने की क्षमता गिरने से लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है। इसे  देखते हुए सरकार ने दुनिया में ऊन उत्पादन में अग्रणी आस्ट्रेलिया से मेरिनो प्रजाति की भेड़ मंगाई हैं।

    पहली खेत में 240 भेड़े मंगाई गईं

    राज्य को मिली भेड़ों की पहली खेप फिलहाल टिहरी जनपद स्थित पशुपालन विभाग के कोपड़धार फार्म में रखी गई हैं, जहां ब्रीडिंग के बाद इन्हें अन्य पर्वतीय जनपदों को उपलब्ध कराया जाएगा। पहले चरण में 240 भेड़ आस्ट्रेलिया से मंगाई गई हैं, जिनमें 200 मादा तथा 40 नर हैं। सरकार ने इस पर साढ़े आठ करोड़ की धनराशि खर्च की है।

    भारतीय भेड़ों से तीन गुना अधिक  देती हैं ऊन

    आस्ट्रेलियन प्रजाति की मेरिनो भारतीय भेड़ों की तुलना में तीन गुना अधिक ऊन देती हैं। भारतीय भेड़ों से साल में जहां से दो से ढाई किलो तक ऊन मिलता है, वहीं मेरिनो छह किलो से अधिक ऊन देती है। गुणवत्ता में भी यह बेहतर है। उत्तराखंड में इन भेड़ों का प्रसार होने के बाद पशुपालकों की आजीविका बेहतर होने की उम्मीद है। सीमांत जिला पिथौरागढ़ में वर्तमान में 45000 भेड़ हैं, जिनसे सालाना 900 क्विंटल ऊन उत्पादित होता है। यह ऊन काशीपुर, लुधियाना आदि शहरों में भेजा जाता है।

    भेड़ों को कोपड़धार में रखा गया

    डॉ. पंकज जोशी नोडल अधिकारी ऊन बोर्ड उत्तराखंड ने बताया कि आस्ट्रेलियन प्रजाति की मेरिनो भेड़ उत्तराखंड पहुंच गई हैं। फिलहाल इन्हें टिहरी जनपद के कोपड़धार फार्म में रखा गया है। जल्द इन्हें भेड़ पालक जनपदों को वितरित किया जाएगा। मेरिनो भेड़ के प्रसार से राज्य में ऊन उत्पादन बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

    यह भी पढ़ें : पानी बर्बाद करने वाले इसे खबर नहीं चेतावनी समझें, हल्‍द्वानी में वाटर लेवल क्रिटिकल जोन में पहुंचा

    यह भी पढ़ें : पहाड़ के इस नौवजवान ने बता दिया- सबसे बड़ा रिस्‍क है, रिस्‍क ना लेना

    comedy show banner
    comedy show banner