Coronavirus Tips योगगुरु रामदेव बोले, दिनचर्या बदलने से आएगी मानसिक दृढ़ता
बाबा रामदेव कहते हैं कि हमें अपनी दिनचर्या में बदलाव लाना होगा। यह बदलाव आता है योग ध्यान अध्यात्म स्वाध्याय व्यवहार खान-पान और जीवन में शुचिता लाकर।
हरिद्वार, अनूप कुमार। वैश्विक महामारी कोविड-19 के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए हमारे पास घर में ही रहने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। लेकिन, घर में अकर्मण्य होकर बैठे रहने से अकेलापन, तनाव, एसिडिटी, शुगर, बीपी जैसी तमाम समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इनमें भी एकाकीपन और तनाव ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे बचने के लिए मानसिक दृढ़ता का होना जरूरी है। योग गुरु बाबा रामदेव कहते हैं कि इसके लिए हमें अपनी दिनचर्या (लाइफ स्टाइल) में बदलाव लाना होगा। यह बदलाव आता है योग, ध्यान, अध्यात्म, स्वाध्याय, सात्विक एवं सकारात्मक विचार, व्यवहार, खान-पान और जीवन में शुचिता लाकर। वैज्ञानिक सोच, अहिंसक जीवन पद्धति और रोज कुछ नया सीखने की प्रवृत्ति इसमें सहभागी बनते हैं।
बाबा कहते हैं कि बच्चों में बिना सकारात्मकता और शीलता के गुस्सा और हीन भावना पैदा होने लगती है। जबकि, बुजुर्ग, जवान और महिलाएं 10-12 घंटे व्यस्त न रहें तो परस्पर विवाद, झगड़े और घरों में अशांति का वातावरण निर्मित हो जाता है। अब जबकि, लॉकडाउन की अवधि बढ़ गई है, तो दिहाड़ी मजदूरों व कामगारों के साथ ही बड़े व्यवसायियों के सामने भी अलग-अलग रूपों में बढ़ता खर्च मानसिक संत्रस का कारण बन रहा है। एक ही जगह, एक ही दायरे में कई-कई दिन खाली बैठे हुए इन मुश्किलों के साथ वक्त बिताना सचमुच बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसे में वक्त की जरूरत और नजाकत को समझते हुए जरूरी हो जाता है कि हम अपनी दिनचर्या में इन बदलावों को शामिल कर खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखें। ताकि तनाव और एकाकीपन हमारे पास भी न फटके।
योग गुरु के अनुसार तनाव और अकेलेपन को दूर करने के लिए पर्याप्त नींद का आना सबसे जरूरी है। युवाओं और बड़ों के लिए छह से सात घंटे सोना पर्याप्त है, जबकि पांच से सात साल के बच्चों को सात से नौ घंटे की नींद चाहिए।
दूसरी बात यह कि घरेलू एवं नजदीकी संबंधों में विवाद और बहुत अधिक चिंता करने से बचें। क्योंकि इससे नींद में खलल पड़ता है। स्वस्थ रहने के लिए कम से कम एक घंटे व्यायाम जरूर करना चाहिए। लेकिन, व्यायाम ऐसा हो, जिससे हमारे चारों प्रकार के बल यानी शरीर बल, मनोबल, प्राणबल और आत्मबल में वृद्धि हो। वह हमारे शरीर में प्राण वायु का संचार करे, तनाव और अकेलेपन को दूर भगाए। इन चारों बल के एक साथ विकसित होने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) सुदृढ़ होती है।
बाबा रामदेव कहते हैं कि योग, अध्यात्म और स्वाध्याय साधना इसका नियमित हिस्सा होना चाहिए। सूर्य नमस्कार से व्यायाम के साथ-साथ हमारे शरीर में, इंद्रियों में, मन में, विचारों में और भावनाओं में संवेदना का संचार होता है। जबकि, प्राणायाम से ध्यान और प्राणायाम साथ-साथ हो जाते हैं। प्राणायाम प्राण वायु को बढ़ाता है और प्राण शक्ति में वृद्धि करता है। इसी तरह ध्यान हमारी आत्म-शक्ति को बढ़ाता है, जिससे अकेलापन व तनाव दूर भागता है और हम मानसिक रूप से मजबूत होते हैं।
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