आस्था की गंगोत्री से बह रही गंगा-जमुनी तहजीब, शमशेर हुसैन ने तैयार किए मां गंगा की पोषाक व डोली वस्त्र
उत्तरप्रदेश के रामपुर निवासी शमशेर हुसैन ने अपने कमरे में बैठकर मां गंगा की पोषाक व डोली वस्त्र तैयार किए हैं। वह इसे अपना सौभाग्य और मां गंगा का आशीर्वाद मानते हैं।
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। गंगोत्री से होकर देश के मैदानी इलाकों में पहुंचने वाली मां गंगा के साथ गंगा-जमुनी तहजीब भी गंगोत्री से ही बह रही है। मंदिर में पूजा-पाठ सनातन संस्कृति की परंपराओं के अनुसार होता है, लेकिन मां गंगा की पोशाक तैयार करने का जिम्मा पिछले तीन वर्षों से उत्तरप्रदेश के रामपुर निवासी शमशेर हुसैन संभाल रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन के इन दिनों में शमशेर ने अपने कमरे में बैठकर मां गंगा की पोषाक व डोली वस्त्र तैयार किए हैं। वह इसे अपना सौभाग्य और मां गंगा का आशीर्वाद मानते हैं।
कोरोना कहर के बीच देशभर से मजहब से जुड़े कई घटनाक्रम सामने आए हैं। सोशल मीडिया में एक-दूसरे के खिलाफ आग भी उगली गई। ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस ने सख्त कार्रवाई की है। उत्तरकाशी में चार लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज हुए हैं। लेकिन, समाज में अधिकांश लोग गंगा जमुनी-तहजीब की समरसता के पैरोकार हैं। इन्हीं में टेलर मास्टर शमशेर हुसैन और गंगोत्री मंदिर समिति भी शामिल है। गंगा की तरह ही गंगोत्री समिति की भावनाएं विश्व कल्याण की हैं।
समिति हर वर्ष की तरह गंगोत्री धाम के कपाट खोलने की तैयारी में जुटी है। कपाट खुलने पर मां गंगा को नई पोषक पहनायी जाती है। मां गंगा की डोली पर नया वस्त्र चढ़ाया जाता है। मां गंगा की पोषक और डोली वस्त्र तैयार करने वाले शमशेर हुसैन ने बताया कि 24 मार्च से उन्होंने मां गंगा की पोषक को बनाना शुरू कर दिया था। वह हर दिन चार से पांच घंटे का समय पोषक तैयार करने में देते हैं।
बुधवार को मां गंगा की पोषक पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। वह पिछले तीन वर्षों से मां गंगा की पोषक बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसका मेहनताना जो कुछ भी समिति सम्मान से देती है, उसे मां गंगा के आशीर्वाद स्वरूप में वह रख लेते हैं। आज तक वे गंगोत्री धाम तो नहीं गए हैं। लेकिन, इस बार मां गंगा के दर्शन करने जाएंगे।
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सुरेश सेमवाल (अध्यक्ष, गंगोत्री मंदिर समिति हिमालय धाम) का कहना है कि मां गंगा का स्वरूप विश्व कल्याण का है। गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक सभी धर्म-मजहब की भूख प्यास मां गंगा पूरी कर रही है। मां गंगा भेदभाव नहीं करती है, हम तो मां गंगा के सेवक हैं। विश्व कल्याण के लिए मां गंगा को सदियों से पूजते आ रहे हैं।
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