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    विनय त्यागी हत्या: पुलिस की चुप्पी से गहराया रहस्य, 750 करोड़ के आरोपों पर भी नहीं जांच

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 03:24 PM (IST)

    कुख्यात विनय त्यागी की हत्या पर पुलिस की चुप्पी रहस्य गहरा रही है। परिजनों के 750 करोड़ रुपये के दावों और आरोपों के बावजूद कोई जांच कमेटी नहीं बनी। दे ...और पढ़ें

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    विनय त्यागी की फाइल फोटो।

    मेहताब आलम, हरिद्वार: विनय त्यागी पर जिन परिस्थितियों में जानलेवा हमला हुआ, वह पहले दिन से संदेह के दायरे में है। चोरी के जिस मुकदमे में देहरादून की पुलिस ने विनय को गिरफ्तार किया, उसको लेकर स्वजनों के 750 करोड़ के दावों और आरोपों ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि शासन-प्रशासन की ओर से कोई जांच कमेटी तक गठित नहीं की गई।

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    पुलिस की भूमिका और कार्यशैली पर उठ रहे सवालों को लेकर भी किसी बड़े पुलिस अधिकारी ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। इतने संगीन आरोपों के बावजूद पुलिस की चुप्पी इस केस को और रहस्यमयी बना रही है।

    उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 60 मुकदमों वाला भारी भरकम आपराधिक इतिहास रखने वाले मेरठ के कुख्यात गैंगेस्टर विनय त्यागी को देहरादून की पुलिस ने कार का शीशा तोड़कर चोरी के मामले में गिरफ्तार किया था। विनय की हत्या से साफ हो गया है कि यह चोरी कोई आम घटना नहीं थी। इसके आगे के आरोप और ज्यादा संगीन है।

    पूरे मामले में दिल्ली-एनसीआर निवासी एक्सप्रेस वे के एक ठेकेदार का नाम स्वजनों की जुबान पर है। एम्स ऋषिकेश में विनय की बहन से साफ आरोप लगाया है कि ठेकेदार से अदावत के चलते विनय उसकी 350 करोड़ की रकम देहरादून से चोरी करने के बाद ईडी को सौंपने जा रहा था। जबकि पूरा मामला 750 करोड़ से जुड़ा बताया जा रहा है।

    पुलिस के वाहन में विनय पर हमले के साथ ही हमलावरों की नाटकीय ढंग से गिरफ़्तारी भी स्वजनों के गले नहीं उतर रही है। गोलियां लगने के बाद पुलिस ने उसके बयान क्यों नहीं दर्ज किए, इसको लेकर खुद विनय की बेटी ने सवाल उठाए हैं।

    इतने संगीन आरोप लगने के बावजूद सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस महकमे के किसी बड़े व जिम्मेदार अधिकारी की ओर से अभी तक आरोपों की जांच के संबंध में कोई बयान जारी नहीं किया है।

    आमजन के मन में यह सवाल उठ रहे हैं कि उत्तराखंड पुलिस की छवि को दागदार करने वाले इस केस को लेकर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों ने चुप्पी क्यों साधी हुई है। कुछ तो ऐसा है, जिसे अधिकांश अधिकारी भी जानते हैं, मगर जुबान बंद रखना मजबूरी है। हालांकि, दबी जुबान पर चर्चाएं हर तरफ हैं।

    जेलों में बंद कुख्यातों में खलबली

    पुलिस अभिरक्षा में विनय त्यागी की हत्या से प्रदेश की जेलों में बंद कुख्यातों में खलबली है। उनके गुर्गे भी इस मामले को लेकर सन्न जैसी हालत में हैं। विनय को पुलिस की मौजूदगी में सरेआम गोलियां मारने वाले हमलावरों को लेकर भी उत्सकुता बनी हुई है।

    दरअसल, दोनों इतने खूंखार या कुख्यात अपराधी नहीं हैं कि पुलिस के वाहन पर फायरिंग कर भारी भरकम कुख्यात की हत्या कर सकें। फिर उनके तार आखिर किस गैंग या बदमाश से जुड़े हुए हैं, यह बात मुखबिर तंत्र के लिए भी पहेली बनी हुई है।

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