एसआइटी करती रही जांच और खाते हो गए साफ, जानिए पूरा मामला
एसआइटी ने करीब 12 संस्थानों के खातों को खंगाला तो किसी संस्थान के खाते में 25 रुपये तो किसी के खाते में महज 150 रुपये मिले। आखिर रकम कहां गई इस बारे में छानबीन की जा रही है।
हरिद्वार, मेहताब आलम। एसआइटी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच करती रही और घोटालेबाजों ने खाते साफ कर दिए। जब तक एसआइटी खातों तक पहुंचती, खाते ही खाली हो गए। दरअसल, छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में एसआइटी अभी तक हरिद्वार जिले में 60 करोड़ से अधिक का गड़बड़झाला पकड़ चुकी है। अब तक अनुराग शंखधर समेत 13 लोग गिरफ्तार भी हो चुके हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि करोड़ों रुपये डकारने वाले संस्थानों के बैंक खाते खाली हैं। एसआइटी ने मदरहुड और फोनिक्स समेत करीब 12 संस्थानों के खातों को खंगाला तो किसी संस्थान के खाते में 25 रुपये तो किसी के खाते में महज 150 रुपये मिले। खातों से आखिरी बार रकम कब निकाली गई है या किन खातों में ट्रांसफर की गई है, इस बारे में छानबीन की जा रही है।
समाज कल्याण विभाग और निजी शिक्षण संस्थानों ने नेताओं के संरक्षण में वर्ष 2012 से वर्ष 2016 के बीच छात्रवृत्ति की कितने बड़े पैमाने पर बंदरबांट की है, एसआइटी की पड़ताल में हर रोज इसकी परतें खुल रही हैं। अभी तक 10 संस्थानों की पड़ताल में ऐसा कोई भी संस्थान सामने नहीं आया है, जिसने ढाई से तीन करोड़ से कम की छात्रवृत्ति ली हो।
अकेले भगवानपुर स्थित मदरहुड इंस्टीटयूट आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी को पांच सालों में लगभग 14.5 करोड़, रिम्स (रुड़की इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट साइंस) को 10.35 करोड़ और महावीर इंस्टीट्यूट एंड टेक्नोलॉजी रुड़की को लगभग 2.89 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति आवंटित की गई। जबकि आइएमएस कॉलेज को करीब 4.13 करोड़ की छात्रवृत्ति बांटी गई है। यह आंकड़ा पिछले एक सप्ताह की खोजबीन में सामने आया है।
इससे पहले आइपीएस कॉलेज कलियर को करीब छह करोड़, अमृत लॉ डिग्री कॉलेज, अमृत कॉलेज आफ एजेकुशन व अमृत आयुर्वेदिक कॉलेज धनौरी को लगभग 14 करोड़, टेकवर्ड वली ग्रामोद्योग संस्थान मंगलौर को लगभग ढाई करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिलने की बात सामने आ चुकी है। अकेले फोनिक्स इंस्टीटयूट को पांच सालों में करीब 25.5 करोड़ की छात्रवृत्ति मिलने और इसमें 25 प्रतिशत रकम के गबन का दावा एसआइटी अपनी पड़ताल में कर चुकी है।
इतनी बड़ी रकम हजम करने वाले अधिकांश संस्थानों के बैंक खातों में चंद रुपये ही पड़े हैं। सूत्र बताते हैं कि एसआइटी ने मदरहुड, फोनिक्स जैसे बड़े कॉलेजों के बैंक खातों को खंगाला तो चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। एसआइटी को शक है कि जांच का शिकंजा कसने पर रकम निकाली या ट्रांसफर की गई है। एसआइटी अब संस्थान और संचालकों के गुप्त बैंक खातों का पता लगाने में जुटी है।
वहीं एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि समाज कल्याण विभाग से ली गई छात्रवृत्ति की कुल रकम में कितनी रकम फर्जी छात्रों के नाम से हजम की गई है, इसकी पड़ताल अभी जारी है।
गांव देहात से गायब हो गई आइटीआइ
जनपद में पिछले चार-पांच सालों से निजी कॉलेज और प्राइवेट आइटीआइ खोलने का धंधा खूब फल-फूल रहा था। गांव देहात में बड़े पैमाने पर कॉलेज और आइटीआइ खोले गए। छात्रवृत्ति घोटाले की जांच शुरू होने पर पता चला कि आखिरकार जनपद में प्राइवेट उच्च और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में इतनी क्रांति क्यों और किस कारण से हुई है। मगर बड़े अधिकारियों और रसूखदारों पर शिकंजा कसते ही गांव देहात से बड़े पैमाने पर आइटीआइ गायब हो गई हैं। गांवों में चलने वाले कई कॉलेजों पर भी ताले लटक गए हैं। हालांकि एसआइटी जिस ऊर्जा के साथ काम कर रही है, उससे घोटालेबाजों का बचना फिलहाल नामुमकिन लग रहा है।
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