Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    श्रीहरि के योगनिद्रा से जागते ही प्रारंभ हुए मांगलिक कार्य

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sat, 12 Nov 2016 06:55 AM (IST)

    भगवान श्रीहरि के योगनिद्रा से जागते ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो गए हैं। अब विवाह समारोह की शहनाइयां गुजेंगी। महिलाओं ने घरों की साफ-सफाई कर स्नान आदि करने के बाद व्रत रखा।

    हरिद्वार, [जेएनएन]: भोर भई आंवला, उठो देव सांवला, गाजर खाओ, मूली खाओ, कुवारों का ब्याह कराओ, ब्याहतन का गौना, हरबोले के जयघोष के साथ पिछले चार माह से क्षीर सागर शयन कर रहे भगवान श्री हरि विष्णु को देव उठनी एकादशी पर जगाया गया। इस दौरान शंखनाद, घंटे-घडियाल व पूजा-अर्चना कर लोगों ने श्रीहरि की ध्यान कर घर-परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की।
    भगवान श्रीहरि के योगनिद्रा से जागते ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो गए हैं। अब विवाह समारोह की शहनाइयां गुजेंगी। देवउठनी एकादशी को सुबह से ही महिलाओं ने घरों की साफ-सफाई कर स्नान आदि करने के बाद व्रत रखा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ें:-केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद
    सुबह ही लोगों ने अपने घरों के आगे रंगोली सजा कर शाम को घरों को रंग बिरंगी रोशनी से सजाया। पूजन से पहले गन्ना और जुवार के भुट्टे के साथ मंडप सजाया।
    इस दौरान भगवान का पूजन अर्चना कर गन्ना, बेर व सिंघाड़े रख शंखनाद, घंटे घडियाल बजाकर भगवान श्रीहरि को जगाया गया। इस दौरान लक्ष्मीपति श्रीहरि को भक्तों ने नए अनाज, फल सब्जी का भोग लगाया। इसके बाद महिलाओं ने फलाहार ग्रहण कर व्रत खोला।

    पढ़ें: सुबह बालिका, दिन में युवा और शाम को वृद्धा के रूप में दर्शन देती हैं मां धारी देवी
    20 से 30 रुपए तक बिका गन्ना
    देवउठनी एकादशी पर पूजन के महत्व को देखते हुए बाजार में गन्ने की बहार दिखाई दी। शहर में गन्ने की दुकानें सजी हुई थीं। मुख्य बाजार के अलावा रानीपुर मोड़, ज्वालापुर, बस स्टैंड पर गन्ने की दुकानें लगाई गईं, जहां देर शाम तक गन्ना बिक्री का दौर चलता रहा। गन्ने के दाम इस बार 20 से 30 रुपये प्रति गन्ना रहा।

    पढ़ें:-शीतकाल के लिए तृतीय केदार के दर्शन अब मक्कूमठ में
    धूमधाम से हुआ तुलसी सालिगराम विवाह
    देवउठनी एकादशी पर गन्ना, जुवार, चुन्नी के मंडप में तुलसी को सजा कर सालगिगराम से विवाह कराया गया। यह क्रम देव उठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलेगा। ज्योतिषयों के अनुसार देव उठनी एकादशी को अबूझ मर्हूत रहता है। इस दिन से ही मांगलिग कार्य शुरु हो जाते हैं।
    पढ़ें: यहां गिरा था देवी सती का सिर, देवी के दर्शन मात्र से दुख होते दूर