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बूढ़ी दीपावली मनाने संबित पात्रा पहुंचे उत्‍तराखंड, पलायन रोकने को लेकर कही ये बात

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि संस्कृति परंपरा और उत्सव पलायन रोकने में सहायक हो सकते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 08:34 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 09:30 PM (IST)
बूढ़ी दीपावली मनाने संबित पात्रा पहुंचे उत्‍तराखंड, पलायन रोकने को लेकर कही ये बात
बूढ़ी दीपावली मनाने संबित पात्रा पहुंचे उत्‍तराखंड, पलायन रोकने को लेकर कही ये बात

हरिद्वार, जेएनएन। संस्कृति, परंपरा और उत्सव पलायन रोकने में सहायक हो सकते हैं। उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहारों में शामिल होने के लिए यदि युवा अपने गांव लौटते हैं तो यह पलायन पर हमारी जीत होगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने हरिद्वार में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। 

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बूढ़ी दीपावली (इगास) मनाने सांसद अनिल बलूनी के पैतृक गांव नकोट जाते समय हरिद्वार में कुछ देर के लिए रुके संबित पात्रा ने कहा कि पलायन उत्तराखंड की एक गंभीर चिंता है। उन्होंने ईगास जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक लोगों के इसमें शामिल होने पर जोर दिया। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना में मुख्यमंत्री को लेकर खींचतान के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली।

उन्होंने कहा कि वे उत्तराखंड में धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने आए हैं, इसलिए न तो कोई राजनीतिक बात करेंगे और न ही किसी राजनीतिक सवाल का जवाब देंगे। हरिद्वार कुंभ की तैयारियों और केंद्र सरकार से मिलने वाले आर्थिक सहयोग संबंधी प्रश्न पर उन्होंने राज्य सरकार का मामला बताते हुए कोई जवाब नहीं दिया। इस दौरान उनके साथ भाजपा नेता और पूर्व जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश जमदग्नि भी मौजूद थे।

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स्पीकर इगास मनाने जाएंगे अनिल बलूनी पैतृक गांव

ऋषिकेश 7 नवंबर। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचंद अग्रवाल ने दीपावली के 11 दिन बाद मनाए जाने वाले इगास-बग्वाल पर्व की प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। उन्‍होंने कहा है कि इगास-बग्वाल पर्व हम सभी के जीवन में नया प्रकाश लेकर आए और हमारा प्रदेश सदा सुख, समृद्धि और सौभाग्य से आलोकित रहे। विधानसभा अध्यक्ष ने अपने संदेश में कहा है कि उत्तराखंड की सभ्यता, संस्कृति और पर्व-त्योहार को मनाने का तरीका अपने आप में अनूठा है। उन्होंने कहा कि इगास पर्व के दिन वर्षों से चली आ रही परंपराओं को निभाया जाता है। देवभूमि में इस दौरान भैलो खेलने का रिवाज है, जो कि खुशियों को एक दूसरे के साथ बांटने का माध्यम है। इस दिन रक्षा बंधन पर हाथ पर बंधे रक्षासूत्र को बछड़े की पूंछ पर बांधकर मन्नत पूरी होने के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है।

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