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    चीन सीमा पर सड़क निर्माण का कार्य पकड़ेगा रफ्तार, झारखंड से पहुंचे 230 श्रमिक

    By Bhanu Prakash SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 15 Jun 2020 09:13 AM (IST)

    चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण और मरम्मत का कार्य तेज किया जा रहा है। इसके लिए झारखंड से 230 श् ...और पढ़ें

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    चीन सीमा पर सड़क निर्माण का कार्य पकड़ेगा रफ्तार, झारखंड से पहुंचे 230 श्रमिक

    रुड़की, जेएनएन। लद्दाख में चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण और मरम्मत का कार्य तेज किया जा रहा है। सड़क निर्माण के कार्य से जुड़ी एजेंसी सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने छत्तीसगढ़ और झारखंड से 540 श्रमिक बुलाए गए हैं। इनमें से झारखंड से 230 श्रमिक श्रमिक स्पेशल ट्रेन से रुड़की पहुंचे। 

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    बीआरओ के मुख्य अभियंता (शिवालिक परियोजना) एएस राठौर ने बताया कि लॉकडाउन के कारण श्रमिक घर लौट गए गए थे। अब अनलॉक हुआ तो श्रमिक वापस आ रहे हैं। इससे सड़कों की मरम्मत और ऑलवेदर रोड के निर्माण में गति लाई जा सकेगी। 

    उन्होंने कहा कि यह एक रूटीन प्रक्रिया है। पिथौरागढ़ के लिपुलेख तक सड़क निर्माण के बाद अब इसी जिले में मुनस्यारी से चीन सीमा पर स्थित मिलम तक तो सड़क निर्माण का कार्य तेज गति से किया ही जा रहा है। इसके अलावा गढ़वाल मंडल में भी सीमावर्ती इलाकों में सड़क के मरम्मत और निर्माण कार्य की गति बढ़ाई जा रही है।

     

    रुड़की रेलवे स्टेशन के प्रभारी स्टेशन अधीक्षक जेके मलिक ने बताया कि सभी श्रमिकों की थर्मल स्क्रीनिंग के बाद सबकों बसों से देहरादून के पास लालतप्पड़ भेजा गया है। यहां श्रमिक सात दिन क्वारंटाइन की अवधि बिताएंगे। इसके बाद इन सभी को गंतव्य के लिए रवाना किया जाएगा। 

    बीआरओ कर रहा श्रमिकों से संपर्क

    आमतौर पर सीमा क्षेत्र में सड़कों के निर्माण का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) बिचौलियों के जरिए श्रमिकों की व्यवस्था करता है। इस बार बीआरओ ने झारखंड और छत्तीसगढ़ में सीधे श्रमिकों से संपर्क साधा है। 

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    बताया जा रहा है कि झारखंड सरकार ने बिचौलियों के जरिए श्रमिकों को भेजने पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बीआरओ ने सीधे संपर्क करना शुरू किया है। झारखंड के दुमका जिले के रहने वाले श्रमिक गणोश एवं अजीत ने बताया कि वे पहली बार उत्तराखंड आए हैं। बीआरओ ने उनसे संपर्क साध पंजीकरण किया।

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