हरिद्वार अर्धकुंभ से पहले हरियाली पर संकट, 870 पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने की तैयारी
हरिद्वार में अर्धकुंभ की तैयारियों के बीच, घाट निर्माण के कारण 700 से अधिक पेड़ों पर खतरा मंडरा रहा है। नहर किनारे बन रहे घाटों के लिए सिंचाई विभाग ने बिना अनुमति के नींव डाल दी, जिसमें दरारें भी आ गईं। पेड़ों को काटने के लिए भी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से अनुमति नहीं ली गई है। अगर ये पेड़ काटे गए, तो शहर का हरा-भरा क्षेत्र खत्म हो जाएगा।

हरिद्वार में नहर पटरी के किनारे घाट निर्माण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने की तैयारी है। जागरण
शैलेंद्र गोदियाल, जागरण हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार में प्रस्तावित अर्धकुंभ की तैयारियों ने अब विकास के साथ पर्यावरण सुरक्षा का सवाल भी खड़ा हो गया है। डामकोठी अमरापुरघाट से सिंहद्वार तक ढाई किलोमीटर लंबे घाटों के निर्माण की योजना ने नहर पटरी की वह हरी पट्टी निगलने की तैयारी कर ली है, जो दशकों से नगर के प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण की रीढ़ बनी हुई है। इन घाटों की जद में 700 से अधिक पेड़ और हजारों छोटे पौधे आ रहे हैं। भले ही अभी इन पेड़ों को काटने की अनुमति शासन ने मिल पाई है।
दशहरा से लेकर दीपावली के बीच नहर बंदी के दौरान जल्दबाजी में उत्तराखंड सिंचाई विभाग ने नहर पटरी के किनारे घाट निर्माण के लिए फाउंडेशन डाली। जिस पर जगह-जगह दरारे पड़ी, परंतु इस मामले में अभी तक मेला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा घाट निर्माण के लिए भूमि स्वामी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से भी अनुमति नहीं ली। अब नहर किनारे 700 पेड़ों के पातन के लिए भी सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश से पत्राचार नहीं किया गया। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारियों को भी पेड़ों के पातन के संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
धर्मनगरी में ग्रीन बेल्ट पर खतरे की घंटी
हरिद्वार : अमरापुर घाट से सिंहद्वार तक किए गए संयुक्त सर्वे में पेड़ों की संख्या 700 की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा मेला क्षेत्र में शंकराचार्य चौक से सीसीआर तक हाईवे चौड़ी करने का प्रस्ताव भी पेड़ों पर भारी पड़ रहा है। इस हिस्से में 170 से अधिक वृक्ष कटान की जद में हैं। ये पेड़ कटे तो मेला क्षेत्र का वह ग्रीन जोन जो कांवड़ यात्रियों को छाया प्रदान करता है और धर्मनगरी की सुंदरता का केंद्र है, यह लगभग समाप्त हो जाएगा।
उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ओमजी गुप्ता स्वयं स्वीकारते हैं कि पेड़ों के पातन के लिए फाइल वन विभाग को भेज दी गई है। वहीं अपर मेला अधिकारी दयानंद सरस्वती बताते हैं कि अनुमति के लिए प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा जा चुका है। जो पेड़ कटेंगे, उनके स्थान पर बैरागी कैंप क्षेत्र में पौधा रोपण किया जाएगा।
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