हरिद्वार अर्धकुंभ के आयोजन को लेकर संतों में नाराजगी, सरकार और अधिकारियों की मंशा पर उठाए सवाल
हरिद्वार में अर्धकुंभ के आयोजन को लेकर संतों ने नाराजगी जताई है। भारत साधु समाज ने सरकार और अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाए हैं। संतों ने अर्धकुंभ के पौराणिक स्वरूप से छेड़छाड़ का विरोध किया और कुंभ की परंपराओं का पालन करने की बात कही। उन्होंने पिछले कुंभ के बजट पर भी सवाल उठाए और नई कार्यकारिणी का गठन किया।

भारत साधु समाज ने सरकार और अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाए हैं। File
जागरण संवाददाता, हरिद्वार । अर्धकुंभ के आयोजन को लेकर संतों की नाराजगी एक बार फिर से सामने आई है। जूना अखाड़ा के बाद अब भारत साधु समाज ने सरकार और अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठाए हैं। श्रीजी वाटिका में आयोजित भारत साधु समाज के संतों की बैठक में महामंडलेश्वर स्वामी रुपेंद्र प्रकाश ने कहा कि अर्धकुंभ के पौराणिक स्वरूप से छेड़छाड़ किसी भी सूरत में संत समाज स्वीकार नहीं करेंगे।
प्रशासन का काम व्यवस्था बनाना है। प्रशासन अपने बनाए नियमों को संतों पर न थोपे। महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहा कि पूर्ण कुंभ के 700 करोड़ रुपये कहां गए पता नहीं, अर्धकुंभ को कुंभ कराने की मंशा के पीछे केवल बजट ठिकाने लगाने की योजना है। जैसे पिछले कुंभ में हुई है।
इस अवसर पर भारत साधु समाज की बैठक में नई कार्यकारिणी का भी गठन किया गया। नई कार्यकारिणी में स्वामी सत्य वृत्तानंद को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जबकि विनोद गिरि को महामंत्री व स्वामी अमृतानंद को कोषाध्यक्ष बनाया गया। इस अवसर पर सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए कार्य की उम्मीद जताई गई। अर्धकुंभ को कुंभ के रूप में मनाने को लेकर संतों ने साफ कहा कि कुंभ की परंपराओं और धार्मिक मर्यादाओं के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ स्वीकार नहीं होगी। बैठक में मौजूद संतों ने सरकार के फैसले पर असहमति जताते हुए इसे परंपराओं के विरुद्ध बताया।
कुंभ-अर्धकुंभ का स्वरूप सदियों से तय है और किसी भी राजनीतिक या प्रशासनिक कारणवश इसमें फेरबदल उचित नहीं है। इस अवसर महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज, स्वामी अमृतानंद, स्वामी राजकुमार दास, स्वामी प्रकाशनंद, महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद गिरि महाराज, स्वामी विनोद गिरी महाराज,स्वामी विरेंद्र गिरि, स्वामी कैलाश आनंद गिरि, शुभम गिरि आदि मौजूद रहे।
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