उत्तराखंड के तीर्थाटन से जुड़ेगा AI, हरिद्वार अर्धकुंभ पूरी तरह होगा डिजिटल
उत्तराखंड के तीर्थाटन में एआई का इस्तेमाल होगा। हरिद्वार अर्धकुंभ 2027 डिजिटल होगा, जिसमें एआई की भूमिका दिखेगी। एआई ड्रोन से निगरानी, चेहरा पहचान प्रणाली और भीड़ प्रबंधन में मदद करेगा। केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि एआई तकनीक का लाभ सभी को मिलना चाहिए। भारत स्वदेशी एआई बनाकर दुनिया में पहचान बनाएगा। युवाओं को एआई पर निर्भर न रहने की सलाह दी गई है।

केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद. Jagran
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। एआइ को उत्तराखंड के तीर्थाटन से जोड़ा जाएगा। हरिद्वार में होने वाला अर्धकुंभ 2027 पूरी तरह डिजिटल होगा, जिसमें एआइ की भूमिका को पूरी दुनिया देखेगी। डिजिटल कुंभ में आस्था, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), सूचना प्रौद्योगिकी व प्रबंधन का संगम होगा। एआइ ड्रोन सर्विलांस, चेहरा पहचान प्रणाली, भीड़ प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से मेला क्षेत्र की हर गतिविधि का रीयल टाइम विश्लेषण किया जा सकेगा।
स्मार्ट कैमरे और सेंसर श्रद्धालुओं की आवाजाही, सुरक्षा, ट्रैफिक और स्वच्छता पर नज़र रखेंगे। यह विचार केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने उत्तराखंड एआइ इम्पैक्ट समिट में व्यक्त किए। उन्होंने कहा, एआइ तकनीक का लाभ सभी को समान रूप से मिले। एआइ कुछ देशों तक सीमित नहीं रहेगा। भारत इस तकनीक में स्वदेशी एआइ बनाकर अपना लोहा मनवाएगा। अनुसंधान, इनोवेशन के लिए सरकार एक डालर प्रति घंटे से कम की लागत में विश्वस्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति उपलब्ध करा रही है।
उत्तराखंड सरकार के आइटी विभाग ने इंडिया एआइ मिशन, केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से होटल रमाडा में उत्तराखंड एआइ इम्पैक्ट समिट-2025 का आयोजन किया। यह इंडिया-एआइ इम्पैक्ट समिट-2026 का आधिकारिक प्री-समिट कार्यक्रम है, जो 19-20 फरवरी, 2026 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में होने वाला है। कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने किया।उन्होंने कहा कि जो कभी अकल्पनीय था, वह अब संभव है। भारत कुंभ के प्रबंधन से लेकर शासन और शिक्षा में एआइ से बदलाव कर रहा है।
उन्होंने कहा, भारत ने 34000 जीपीयू खरीद लिए हैं। इसका प्रयोग भारत के लोग करेंगे। उन्होंने कहा, एआई डेटा से चलता है। भारत के पास ऐसा डेटा है, जो दुनिया में कहीं नहीं मिलता। भारतीय एआई का माडल सर्वोत्तम होगा। दुनिया इंडिया के डेटा को प्रयोग करना चाहती है। नई दिल्ली में होने वाले इंपैक्ट समिट में युवा भागीदारी करें, ताकि देश दुनिया को बता सकें कि हमारे पास कितना टैलेंट है। एआइ के प्रयोग को लेकर उन्होंने चेताया भी। युवाओं से कहा, होमवर्क आदि सब कुछ इसी से होगा तो सब खत्म हो जायेगा। इस पर निर्भरता न करें। विचार अपना हो, एआइ का सिर्फ सहयोग लें।
एआइ का निर्माण करना है उद्देश्य: नितेश झा
उत्तराखंड सरकार के आइटी सचिव नितेश कुमार झा ने कहा, भारत सरकार और राज्य का व्यापक उद्देश्य एआइ का उपयोग करना नहीं, बल्कि एआइ का निर्माण करना है। एआइ निर्माता बनने को एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया है। सरकार ने पहला ड्रोन अनुप्रयोग केंद्र भी स्थापित किया है, जहां हम ड्रोन तकनीक में एआइ को एकीकृत कर रहे हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है।
पैनल चर्चा में एआई के विकसित परिदृश्य की पड़ताल की गई। इस दौरान भारत एआई मिशन के निदेशक मोहम्मद वाई सफिरुल्ला, यूसीओएसटी के महानिदेशक डा. दुर्गेश पंत, यूपीईएस के कुलपति प्रो. राम शर्मा, एनआइसी के एसआईओ संजय गुप्ता और एनआइसी मुख्यालय के एआइ प्रभाग की डीडीजी शर्मिष्ठा दास मौजूद रहीं।
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