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इस एंजाइम में है खास क्षमता, जो बढ़ाएगा अनाज की पौष्टिकता

याक के दूध से बने चीज में एक ऐसा एंजाइम (प्रोटीन) है, जो किसी भी प्रकार के अनाज की पौष्टिकता को बढ़ा सकता है। इसकी खोज आइआइटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने की है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 10 May 2018 03:56 PM (IST)Updated: Fri, 11 May 2018 05:00 PM (IST)
इस एंजाइम में है खास क्षमता, जो बढ़ाएगा अनाज की पौष्टिकता
इस एंजाइम में है खास क्षमता, जो बढ़ाएगा अनाज की पौष्टिकता

रुड़की, [रीना डंडरियाल]: आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के वैज्ञानिकों ने याक के दूध से बने चीज से एक ऐसे एंजाइम (प्रोटीन) की पहचान की है, जिसमें किसी भी प्रकार के अनाज की पौष्टिकता को बढ़ाने की क्षमता है। शाकाहारियों में फॉस्फोरस, लौह, कैल्शियम और जस्ता जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से कई स्वास्थ्य समस्या होती है। लिहाजा इनके लिए यह एंजाइम काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

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इस फाइटेज एंजाइम की खोज आइआइटी रुड़की के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर नवीन कुमार नवानी और उनकी टीम ने की है। प्रो. नवानी ने बताया कि पौधों में फॉस्फोरस मुख्य रूप से कार्बनिक फॉस्फोरस के रूप में संग्रहीत होता है। इसे फाइटेट कहा जाता है। यह एक पोषण विरोधी कारक है। मेवे, बीज, फलियां और साबुत अनाज फॉस्फोरस से समृद्ध होते हैं, जबकि सब्जी एवं फलों में इसकी मात्रा कम होती है। बावजूद इसके शाकाहारी लोगों में न केवल फॉस्फोरस, बल्कि अन्य खनिजों की कमी भी देखी गई है। दरअसल, फाइटेट को मुक्त फॉस्फोरस में बदलने के लिए मनुष्य शरीर में आवश्यक फाइटेज नामक एंजाइम की कमी होती है। ऐसे में यह एंजाइम इस समस्या के निदान में सहायक होगा। साथ ही यह लौह, मैग्नीशियम, जस्ता और कैल्शियम की जैव उपलब्धता बढ़ाने में भी सहायता करता है। 

लेह की नुब्रा घाटी में मिला यह एंजाइम

प्रो. नवानी ने बताया कि फाइटेज एंजाइम की पहचान, इसका क्लोन और चरित्र निरुपण लैक्टोबैसिलस फरमेंटम एनकेएन-51 नामक एक प्रो-बायोटिक बैक्टीरिया से किया गया है। इस बैक्टीरिया को लेह स्थित नुब्रा घाटी के खारदोंग गांव में हिमालयी याक के दूध से बने एक खास चीज (चुरपी) से अलग किया गया। जिसे फाइल-एफ नाम दिया गया है। बताया कि डीएनए टेक्नोलॉजी के माध्यम से इस एंजाइम को अधिक मात्रा में बनाया गया। अध्ययन में पता चला कि यह एंजाइम काफी प्रभावी है। जब गेहूं और रागी के आटे में इसे डाला गया तो इसकी पोषकता कई गुना बढ़ गई। बताया कि दीर्घ अवधि में इस एंजाइम का उपयोग शिशुओं, गर्भवतियों और बुजुर्गों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। 

तीन में से एक व्यक्ति में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी

प्रो. नवानी ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में प्रत्येक तीन व्यक्तियों में से एक सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की समस्या से पीड़ि‍त है। बताया कि उत्तराखंड विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद ने इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग की है। प्रो. नवानी की टीम में आइआइटी रुड़की से रेखा शर्मा, पियूष कुमार, वंदना कौशल और भारतीय विज्ञान शिक्षा व शोध संस्थान कोलकाता के राहुल दास शामिल हैं।

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