Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कठोर तपस्वी माता सुभद्रा ब्रह्मलीन, संत समाज में शोक की लहर; पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती की थी गुरु बहन

    By Sumit KumarEdited By:
    Updated: Thu, 04 Feb 2021 11:35 PM (IST)

    तपस्वी माता सुभद्रा 89 वर्ष की आयु में गुरुवार को ब्रह्मलीन हो गई। उनका श्रीरामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के रामकृष्ण मिशन चिकित्सालय में उपचार चल रहा था। उनके ब्रहमलीन होने की खबर से संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई।

    Hero Image
    तपस्वी माता सुभद्रा 89 वर्ष की आयु में गुरुवार को ब्रह्मलीन हो गई।

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार : तपस्वी माता सुभद्रा 89 वर्ष की आयु में गुरुवार को ब्रह्मलीन हो गई। उनका श्रीरामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के रामकृष्ण मिशन चिकित्सालय में उपचार चल रहा था। उनके ब्रहमलीन होने की खबर से संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई। माता सुभद्रा पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण की धर्म माता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती की गुरु बहन थीं। सुभद्रा माता को उनकी इच्छानुसार शुक्रवार को उत्तरकाशी के गंगोरी क्षेत्र में अस्सी गंगा घाट के पास स्थित आश्रम में भू-समाधि दी जाएगी। उन्होंने गंगोत्री धाम से 25 किलोमीटर ऊपर तपोवन के बर्फीले क्षेत्र में लगातार नौ वर्षों तक (वर्ष 1987 से 1996) कठोर तपस्या की थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुभद्रा माता का संन्यास लेने से पूर्व नाम वारिजा था और वे मूल रूप से कर्नाटक के उडुपी की रहने वाली थीं। संन्यास दीक्षा के बाद वे हिमालय भ्रमण को देवभूमि उत्तराखंड आईं और यहीं की होकर रह गईं थीं। भू-समाधि में शामिल होने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती गुरुवार रात रामकृष्ण मिशन अस्पताल पहुंची। उमा भारती अपनी गुरु बहन सुभद्रा मां की  पार्थिव  देह को देखकर भावुक हो गई और फफक-फफक कर रो पड़ी। उन्होंने कहा कि वह महान संत थी और उच्च कोटि की तपस्वी थी और उनका मन बहुत उदार था। 

    आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि वह उन्हें मां की तरह प्यार-दुलार देती थीं। वह एक महान तपस्वी संत थीं, उनकी पूर्ति कभी नहीं की जा सकती। योगगुरु बाबा रामदेव ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि माता सुभद्रा एक उच्च कोटि की संत थी और एक साधक की तरह उनमें मातृ भाव कूट-कूट के भरा था। उनकी सेवा में लगी मेरठ निवासी उनकी शिष्या मीनाक्षी शास्त्री ने बताया कि सुभद्रा माता ने उडुपी कर्नाटक में स्थित तेजावर मठ के पीठाधीश्वर संत स्वामी विश्वेश्वर तीर्थ महाराज से संन्यास की दीक्षा ली थी।

    यह भी पढ़ें- संत की कलम से : देवलोक से धरती लोक तक कुंभ की जय-जयकार- योगगुरु बाबा रामदेव

    रामकृष्ण मठ और मिशन के सचिव स्वामी नित्यशुद्धानंद महाराज ने कहा कि माता सुभद्रा विनम्रता की प्रतीक थी। वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर संजय शाह ने बताया कि हिमालय तपोवन में नौ वर्षों तक कठोर तपस्या करने से उनके शरीर की मांसपेशियां गल गई थी। 1997 में उनका इलाज किया किया गया। स्वस्थ होने पर 1998 में वे मानसरोवर और मुक्ति नारायण की तीर्थ यात्रा पर गई थीं।  उन्हें तपोवन से आचार्य बालकृष्ण अपने साथ धर्मनगरी हरिद्वार के कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर लेकर आए थे। वे पिछले कुछ महीनों से बीमार थी, रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम स्थित चिकित्सालय में उनका इलाज चल रहा था। आचार्य बालकृष्ण और योगगुरु बाबा रामदेव उनका ख्याल रखते थे। 

    ब्रह्मलीन माता सुभद्र्रा को स्वामी उमेश्वरानंद मंजू महाराज, स्वामी जगदीश महाराज स्वामी दयाधिपानंद महाराज, स्वामी हरि महिमानंद महाराज, स्वामी देवतानंद महाराज, कुलदीप, मुंबई से आई माता सुभद्रा की बहनें बसंती और वनजा, शैलेंद्र सक्सेना, चंद्रमोहन, मीनाक्षी आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। 

    उमा भारती करेंगी माता सुभद्रा का अंतिम संस्कार

    रामकृष्ण मिशन के स्वामी दयाधिपानंद महाराज ने बताया कि उमा भारती अपनी गुरु दीदी मां सुभद्रा का अंतिम संस्कार करेंगी। बताया कि पिछले दिनों जब उमा भारती अपनी माता सुभद्रा को देखने मिशन आई थी, तब स्वामी दयादीपानंद महाराज के समक्ष माता सुभद्रा ने उमा भारती से वचन लिया था कि वह उनका अंतिम संस्कार करेंगी। उमा भारती कर्नाटक के उडुपी के पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेश्वर तीर्थ की शिष्या हैं और उन्हीं से माता सुभद्रा ने दीक्षा ली थी। उमा भारती शुक्रवार को माता सुभद्रा की पार्थिव देह को लेकर उत्तरकाशी के गंगोरी रवाना होंगी। जहां माता सुभद्रा को भू-समाधि की जाएगी।

    यह भी पढ़ें- संत की कलम से: आस्था और भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है कुंभ- उमेश यादव

    comedy show banner
    comedy show banner