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    एफएलएन कार्यक्रम बच्चों को पढ़ना, लिखना और जोड़-घटा, गुणा, भाग जैसी मूलभूत गणनाएं सिखाने का महत्वपूर्ण प्रयास

    By Anuj KatariaEdited By: Sunil Negi
    Updated: Sun, 16 Nov 2025 03:51 PM (IST)

    रुड़की के डायट परिसर में एफएलएन पर पांच दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें 70 प्रतिभागी प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करना और बच्चों को अक्षरज्ञान, संख्या ज्ञान सिखाना है। निपुण पथ के बारे में शिक्षकों को जानकारी दी गई, ताकि 2026 के सर्वे में बेहतर परिणाम मिल सकें। प्रशिक्षण के बाद शिक्षक अपने क्षेत्रों में शिक्षण कौशल प्रदान करेंगे।

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    डायट परिसर रुड़की में आधारभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफएलएन) की पांच दिवसीय कार्यशाला में बोलते वक्ता।

    संवाद सहयोगी जागरण, रुड़की: डायट परिसर रुड़की में आधारभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफएलएन) की पांच दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला के द्वितीय दिवस पर सभी विकास खंडों से आए करीब 70 प्रतिभागी संदर्भदाता के रूप में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

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    रविवार को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) रुड़की में प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से पांच दिवसीय आधारभूत साक्षरता एवं संख्या ज्ञान (एफएलएन) कार्यशाला की शुरुआत हुई।

    रुड़की, नारसन, भगवानपुर समेत सभी विकास खंडों से 70 प्रतिभागी इस कार्यशाला में संदर्भदाता के रूप में शामिल हुए हैं। प्रशिक्षण में पहुंचें सीमेट देहरादून के वरिष्ठ प्रवक्ता डा. मोहन बिष्ट ने निपुण पथ के बारे में शिक्षकों को विस्तार से बताया। उन्होंने निपुण पथ की रूपरेखा और इसके प्रभावी क्रियान्वयन पर शिक्षकों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विभाग का लक्ष्य है कि कक्षा एक से तीन तक के बच्चों को अक्षरज्ञान और संख्या ज्ञान विभागीय मानकों के अनुरूप सुदृढ़ रूप से सिखाया जा सके।

    प्रशिक्षण कार्यक्रम में डायट प्राचार्य कैलाश डंगवाल ने बताया कि एफएलएन कार्यक्रम बच्चों को पढ़ना, लिखना और जोड़, घटा, गुणा, भाग जैसी मूलभूत गणनाएं सिखाने का महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक कक्षाओं में मजबूत नींव ही आगे की शिक्षा का आधार बनती है। बच्चों का सीखने का स्तर बढ़ेगा, तभी वे उच्च कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।

    कार्यक्रम समन्वयक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिगम स्तर में सुधार लाना है, ताकि 2026 में होने वाली सर्वे परख में बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों को प्रशिक्षण के दौरान आधुनिक शिक्षण विधियों, गतिविधि-आधारित सीखने, मूल्यांकन तकनीकों और कक्षा प्रबंधन पर विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद यही संदर्भदाता अपने-अपने क्षेत्रों के शिक्षकों को एफएलएन कार्यक्रम के अनुरूप शिक्षण कौशल उपलब्ध कराएंगे।

    कार्यशाला में प्रतिभागियों के लिए भाषा व गणित की समझ विकसित करने के नवीन तरीकों और शिक्षण-सामग्री निर्माण पर भी विस्तृत सत्र रखे गए हैं। डायट का मानना है कि इस प्रशिक्षण के परिणाम प्रारंभिक कक्षाओं में सीखने की गुणवत्ता को बढ़ाएंगे और बच्चों की बुनियादी शिक्षा को नई मजबूती देंगे।

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