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यहां आंदोलन में शामिल नहीं हुए किसान, खेतों में रहे व्यस्त; पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड में कृषि क्षेत्र के तौर पर पहचाने जाने वाले हरिद्वार जिले में ज्यादातर किसान खेतों में नजर आए। कोई गन्ने की छिलाई में व्यस्त रहा तो कोई गेहूं की बुआई में।किसानों ने कहा कि यह समय आंदोलन का नहीं बल्कि खेतों में काम करने का है।

By Edited By: Published: Tue, 08 Dec 2020 05:56 PM (IST)Updated: Tue, 08 Dec 2020 10:28 PM (IST)
यहां आंदोलन में शामिल नहीं हुए किसान, खेतों में रहे व्यस्त; पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में कृषि क्षेत्र के तौर पर पहचाने जाने वाले हरिद्वार जिले में ज्यादातर किसान खेतों में नजर आए।

 जागरण संवाददाता, रुड़की।  उत्तराखंड में कृषि क्षेत्र के तौर पर पहचाने जाने वाले हरिद्वार जिले में ज्यादातर किसान खेतों में नजर आए। कोई गन्ने की छिलाई में व्यस्त रहा तो कोई गेहूं की बुआई में। दरअसल, गेहूं की बुआई के लिए समय कम बचा है, गन्ने की छिलाई भी चल रही है। किसानों ने कहा कि यह समय आंदोलन का नहीं, बल्कि खेतों में काम करने का है। किसान की एक ही मांग है मिलों से वक्त पर गन्ने का भुगतान मिल जाए और बीज व खाद के लिए भटकना न पड़े।

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जिले में कृषि योग्य भूमि 94 हजार हेक्टेयर है। अधिकतर किसान गन्ने की कटाई के बाद गेहूं की बुआई करते हैं। जिले में अभी करीब 50 फीसद भूमि पर ही गेहूं की बुआई हो सकी है। किसानों के लिए मुश्किल से 10 दिन का समय और है। इसलिए अब किसान गन्ने की कटाई एवं गेहूं की बुआई में व्यस्त है। रुड़की के पास झबरेड़ा कस्बे के रहने वाला भोला गेहूं की बुआई कर रहे हैं। किसान आंदोलन पर बोले 'किसान के पास आराम की फुर्सत तक नहीं, ऐसे में आंदोलन की कौन कहे। ' भोला कहते हैं कि गेहूं की बुआई का समय निकला जा रहा है। पहले अपना काम है।

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हमें तो सिर्फ इतना चाहिए कि समय पर भुगतान मिल जाए और खाद, बीज के लिए परेशान न होना पड़े। भगवानपुर कस्बे से सटे खानपुर गांव में गन्ने की छिलाई कर रहे शमशेर कहते हैं यह सब राजनीति है। किसान से बड़ा संतोषी प्राणी धरती पर दूसरा कोई नहीं है। इसलिए सरकार से इतनी गुजारिश है कि समय से गन्ने का भुगतान दिलाया जाए। बिजली-पानी की व्यवस्था ठीक हो। बस इतना ही चाहिए।

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