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    क्रिकेटर ऋषभ पंत का संघर्ष अभी नहीं हुआ पूरा

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 29 Jan 2018 09:06 PM (IST)

    ऋषभ का संघर्ष अभी पूरा नहीं हुआ है। जब तक वह सीनियर भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा नहीं बन जाता है। तब तक उसका सपना अधूरा है।

    क्रिकेटर ऋषभ पंत का संघर्ष अभी नहीं हुआ पूरा

    रुड़की, [जेएनएन]: ऋषभ का संघर्ष अभी पूरा नहीं हुआ है। जब तक वह सीनियर भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा नहीं बन जाता है। तब तक उसका सपना अधूरा है। यह बात इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) 2018 की नीलामी में दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम की ओर से रिटेन किए गए युवा क्रिकेटर ऋषभ पंत की मां सरोज पंत ने दैनिक जागरण से बातचीत में कही। आइपीएल-11 की नीलामी में रुड़की के अशोक नगर निवासी ऋषभ पंत को आठ करोड़ रुपये में खरीदा गया है, जबकि गत वर्ष दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.80 करोड़ में ऋषभ को खरीदा था।

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    ऋषभ के इस प्रदर्शन ने अपने परिवार के साथ ही प्रदेश और शहर का भी नाम रोशन किया है।

    आइपीएल की नीलामी के बाद सोमवार को ऋषभ अपने अशोक नगर स्थित आवास पहुंचे। ऋषभ के घर पहुंचने से उनके घर में खुशी का माहौल है। उधर, ऋषभ ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। वहीं मां सरोज पंत ने बातचीत में बताया कि ऋषभ और उनका परिवार इस कामयाबी से बहुत खुश है लेकिन अभी उनका बेटा संतुष्ट नहीं है। 

    उसका सपना तभी पूरा होगा, जब वह सीनियर भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलेगा। बताया कि उनके बेटे की पहली प्राथमिकता उसका खेल ही है।

    वह हमेशा क्रिकेट के मैदान और घर को अलग-अलग रखता है। ऋषभ की बड़ी बहन साक्षी पंत ने बताया कि जिस उम्र में बच्चे एंज्वाय करने के लिए खेलते हैं उनके भाई ने मैदान में संघर्ष करना शुरू कर दिया था। उसकी कड़ी मेहनत का ही परिणाम है कि आज उनका भाई इस मुकाम तक पहुंचा है। 

    उधर, ऋषभ के प्रारंभिक कोच अवतार सिंह चौधरी के अनुसार ऋषभ की इस कामयाबी से वे बेहद खुश हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि जल्द ही वह सीनियर भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनेगा। 

    पापा ने दिलाया 14 हजार का बैट

    ऋषभ की मां सरोज पंत कहती हैं कि ऋषभ के प्रथम कोच उसके पापा राजेंद्र पंत थे। उन्होंने ही उसे क्रिकेट की बारीकियां सिखाई। वे बताती हैं कि जब ऋषभ प्रथम कक्षा में पढ़ता था उस वक्त उसके पापा ने उसे 14 हजार रुपये का बैट खरीद कर दिया था। इस बात पर वह उस समय काफी नाराज हुई थी। उस वक्त उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनका बेटा कड़े संघर्ष के दम पर इस मुकाम तक पहुंचेगा। वे कहती हैं कि ऋषभ अब सिर्फ हमारा बेटा ही नहीं है, बल्कि देश का बेटा बन गया है। 

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