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    Buddha Purnima: विशाखा नक्षत्र में पड़ रही वैशाख पूर्णिमा, ये है सही पूजा विधि और इन चिजों का करें दान

    Updated: Sun, 11 May 2025 06:46 PM (IST)

    Buddha Purnima वैशाख पूर्णिमा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है जो इस बार 12 मई को है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार विशाखा नक्षत्र में पूर्णिमा होने से यह अधिक फलदायी है। इस दिन भगवान सत्यनारायण और धर्मराज की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पूरे महीने के स्नान का फल मिलता है। भगवान बुद्ध को इसी दिन बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

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    Buddha Purnima: विशाखा नक्षत्र में वैशाख पूर्णिमा होने से काफी फलदायी है. File Photo

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार । Buddha Purnima: सनातनी मास में वैशाख की पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) का विशेष महत्व है। इस बार वैशाख पूर्णिमा 12 मई को होगी। वैशाख पूर्णिमा का स्नान और व्रत सोमवार को ही होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार विशाखा नक्षत्र में वैशाख पूर्णिमा होने से काफी फलदायी है।

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    ज्योतिषविद् डॉ. भगवती बिजल्वाण के अनुसार वैशाख मास का नाम विशाखा नक्षत्र (12 मई को सुबह 6:14 बजे से 13 मई की सुबह 9:04 बजे तक) से ही पड़ा था। इस बार विशाखा नक्षत्र वैशाख मास में ही पड़ने से और ही फलदायक है।

    पूरी होती हैं व्यक्ति की सभी इच्छाएं

    इस दिन भगवान सत्यनारायण, धर्मराज की पूजा होती है। जबकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है। इस तिथि को स्नान से पूरे मास में स्नान का फल मिलता है।

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    ऐसी मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को बताया था कि वैशाख मास की पूर्णिमा का व्रत करें तो उनकी दरिद्रता और दुख दूर हो जाएगा।

    ऐसे करें पूजा

    • सुबह स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
    • व्रत का संकल्प लें।
    • धर्मराज, सत्यनारायण की भी पूजा करें।
    • तिल का दीप जलाएं, मिष्ठान, ऋतुफल का भोग लगाएं।
    • तिल से ही दर्पण करें।
    • सत्यनारायण कथा का पाठ करें।

    ये करें दान

    पानी से भरा घड़ा, सत्तू, मिठाई, अन्न, वस्त्र, ऋतुफल, खीरा, ककड़ी, तरबूज, पंखा का दान किसी ब्राह्मण को करें। व्रत के पारण के पूर्व ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।

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    पूर्णिमा पर हुई थी बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति

    हरिद्वार : गृह त्याग करने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। यहां उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके अलावा वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान बुद्ध का जन्म भी माना जाता है। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बौद्ध संप्रदाय के अनुयायी उनकी पूजा करते हैं।