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    जीवन में रोग मिटाने में योग सबसे भरोसेमंद सहयोगी, पढ़िए पूरी खबर

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    Updated: Thu, 18 Jun 2020 09:28 PM (IST)

    ऋषिकेश को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी यूं ही नहीं कहा जाता है। साधकों की नजर में योग जीवन में रोग मिटाने का एक सशक्त माध्यम है।

    जीवन में रोग मिटाने में योग सबसे भरोसेमंद सहयोगी, पढ़िए पूरी खबर

    ऋषिकेश, जेएनएन। तीर्थ नगरी ऋषिकेश को योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी यूं ही नहीं कहा जाता है। साधकों की नजर में योग जीवन में रोग मिटाने का एक सशक्त माध्यम है। आगरा निवासी गीता भट्ट का अनुभव कम से कम यही बताता है। कमर दर्द, संक्रमण व अन्य व्याधियों से ग्रस्त इस महिला ने योग के जरिए रोग पर विजय हासिल की है।

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    परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में रह रही शहीद नगर इंदिरापुरम आगरा निवासी 45 वर्षीय गीता भट्ट ऐसी साधक है जिन्होंने जीवन में नियमित रूप से योग को अपनाया और वह पूरी तरह से स्वस्थ हुई है। साधक गीता ने बताया कि उन्हें योग के बारे में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से प्रेरणा मिली। समाचार पत्र, विभिन्न चैनल और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने योग के बारे में गहन जानकारी हासिल की। क्योंकि उन्होंने यह सुना था कि नियमित योग से कई तरह के रोगों से व्यक्ति मुक्ति पा जाता है। 

    उन्होंने बताया कि उन्हें अक्सर सिर दर्द, कमर दर्द, यौन संक्रमण और तनाव जैसी समस्या रहती थी। करीब चार महीने पहले वह परमार्थ निकेतन आई थी। यहां उन्होंने नियमित योग के बारे में जानकारी हासिल की। लॉकडाउन के कारण शारीरिक दूरी का पालन करना जरूरी था। इसलिए प्रशिक्षक से आवश्यक जानकारी लेने के बाद उन्होंने आश्रम की वाटिका में ही नियमित योग करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि योग को अपनाने से पूर्व वह दर्द के लिए दवाओं का प्रयोग करती थी मगर अब वह दवाओं के सहारे नहीं रहती। 

    साधक गीता का कहना है कि जिस तरह जीवन में एक अच्छे गुरु का होना जरूरी है इसी तरह योग के लिए भी एक कुशल प्रशिक्षक का होना भी जरूरी है। उन्होंने यहां रहकर सूर्य नमस्कार, माझीजी आसन, व्याघ्रासन, धनुरासन आदि का प्रशिक्षण हासिल किया। ध्यान और प्राणायाम का वह नियमित अभ्यास करती रही। महिलाओं के लिए यह योग लाभकारी साबित हुआ है। उनका कहना है कि देश और दुनिया में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं स्वस्थ रहने के लिए योगाभ्यास करती हैं।

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    यही कारण है कि भारतीय योग कक्षाओं में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा देखने को मिलती है। गीता बताती है कि योग से मेरी ही नहीं बल्कि कई महिलाओं की दुनिया बदल गई है। योग से महिलाएं अंदर से भी सशक्त हो रही हैं। शारीरिक, मानसिक, हार्मोनल और व्यवहार में आने वाले बदलाव को देखते हुए योग सबसे भरोसेमंद सहयोगी बनकर सामने आया है। 

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