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    YEAR ENDER 2025: स्वच्छता, विकास और नवाचार से उत्तराखंड के शहरों की नई पहचान

    By Ashwani Kumar TripathiEdited By: Sunil Negi
    Updated: Wed, 31 Dec 2025 02:01 AM (IST)

    उत्तराखंड में 2025 शहरी विकास, स्वच्छता और बुनियादी ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष रहा। स्वच्छ भारत मिशन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, अमृत योजना और डिजिटल श ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर।

    अश्वनी त्रिपाठी, जागरण देरहादून: वर्ष 2025 उत्तराखंड के शहरी विकास के लिए स्वच्छता सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास का साल रहा। शहरी विकास के तहत राज्य में स्वच्छता अभियान, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जलापूर्ति एवं सीवरेज, सड़क सुधार, डिजिटल शासन व अन्य कई परियोजनाएं संचालित हुईं।

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    उत्तराखंड को इसका बड़े पैमाने पर लाभ मिला। वर्ष के दौरान उत्तराखंड शहरी विकास विभाग ने सिर्फ योजनाओं को आगे नहीं बढ़ाया बल्कि नई पहल, प्रशिक्षण व संस्थागत सुधारों के जरिये स्वच्छता सर्वेक्षण और आधारभूत सुविधाओं में सुधार किया। राज्य के शहरी विकास विभाग के अनुसार, उत्तराखंड में शहरी जनसंख्या लगातार बढ़कर करीब 30.5 लाख हो गई है, जबकि शहरीकरण की दर 30.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो राष्ट्रीय औसत के करीब है।

    स्वच्छता को जनभागीदारी से जोड़ा

    वर्ष 2025 में उत्तराखंड ने शहरी विकास में स्वच्छता को केंद्र में रखा। शहरी विकास विभाग की जानकारी के अनुसार, स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत राज्य के 107 शहरी निकायों में घर-घर कचरा संग्रहण, सार्वजनिक स्थलों की सफाई और शौचालयों के रखरखाव का कार्य लगातार किया गया।

    स्वच्छता ही सेवा महोत्सव को राज्यव्यापी स्तर पर लागू किया गया, जिससे स्वच्छता को प्रशासनिक प्रयास के साथ-साथ जनभागीदारी से जोड़ा गया। स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में उत्तराखंड के 27 शहरी निकायों की राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार दर्ज किया गया, जबकि ऋषिकेश के गंगा घाट को सर्वाधिक स्वच्छ घाटों में शामिल किया गया। इससे स्पष्ट हुआ कि शहरी स्वच्छता कार्यक्रमों का प्रभाव जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है।

    पृथक्करण, कंपोस्टिंग और रिसाइक्लिंग को रफ्तार

    ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को केवल सफाई तक सीमित न रखकर कचरे से संसाधन निर्माण की दिशा में आगे बढ़ाया गया। शहरी विकास विभाग के अनुसार, देहरादून, हल्द्वानी और रुद्रपुर जैसे शहरों में मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी को सुदृढ़ किया गया।

    रुद्रपुर में 50 टन प्रतिदिन क्षमता वाला बायो-कम्प्रेस्ड गैस प्लांट कचरे से ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आया। गीले और सूखे कचरे के पृथक्करण, कंपोस्टिंग और रिसाइक्लिंग से लैंडफिल पर निर्भरता कम करने का प्रयास किया गया, जिससे शहरी पर्यावरण संतुलन को मजबूती मिली।

    शहरों में बरसा विकास का अमृत

    शहरी आधारभूत ढांचे में वर्ष 2025 में अमृत योजना के जरिए उल्लेखनीय प्रगति हुई। शहरी विकास विभाग के अनुसार राज्य में अमृत के अंतर्गत कुल 151 परियोजनाएं स्वीकृत की गईं, जिनमें से 145 परियोजनाएं लगभग 564.53 करोड़ रुपये की लागत से पूर्ण की जा चुकी हैं।

    इन परियोजनाओं में जलापूर्ति योजनाएं, सीवरेज नेटवर्क, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और ड्रेनेज सुधार के कार्य शामिल हैं। अमृत 2.0 के तहत 650 करोड़ रुपये के कुल अनुमोदन के साथ 19 नई परियोजनाएं स्वीकृत की गईं, जिन पर कार्य वर्ष 2025 में प्रगति पर रहा। इसके साथ ही जल ही अमृत पहल के अंतर्गत 21 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए प्रोत्साहन राशि स्वीकृत की गई, जिससे शहरी जल प्रबंधन को और मजबूती मिली।

    डिजिटल गवर्नेंस और शहरी सेवाओं का आधुनिकीकरण

    उत्तराखंड के शहरी प्रशासन में डिजिटल गवर्नेंस मजबूत आधार के रूप में उभरा। शहरी विकास विभाग ने जीआइएस आधारित प्रापर्टी टैक्स मैपिंग, आनलाइन भुगतान प्रणाली, नागरिक सेवाओं के लिए डिजिटल पोर्टल और शिकायत निवारण तंत्र को प्रभावी रूप से लागू किया गया। इन पहलों से स्थानीय निकायों के राजस्व संग्रह में सुधार हुआ और नागरिकों को कर भुगतान, सेवाओं और शिकायत समाधान में पारदर्शिता व सुविधा मिली। डिजिटल प्रणालियों के कारण शहरी सेवाओं की निगरानी और जवाबदेही भी बेहतर हुई।

    सेवाओं के विस्तार और नीतिगत सुधारों पर फोकस

    शहरी विकास केवल स्वच्छता और ढांचे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सेवाओं के विस्तार और नीतिगत सुधारों पर भी ध्यान दिया गया। राज्य सरकार द्वारा 52 शहरी निकायों में 115 अर्बन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की शुरुआत की गई, जिससे शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिली।

    इसके साथ ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नए वाहनों और उपकरणों को शामिल किया गया। शहरी स्थानीय निकायों की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, वित्तीय प्रबंधन और निगरानी व्यवस्था को मजबूत किया गया। कुल मिलाकर वर्ष 2025 उत्तराखंड के शहरी विकास के लिए स्वच्छता सुधार, बुनियादी ढांचा विस्तार, डिजिटल शासन और नागरिक-केंद्रित सेवाओं के लिहाज से एक मजबूत आधार तैयार करने वाला वर्ष साबित हुआ।

    आवास विभाग की उपलब्धियां

    • उत्तराखंड सरकार ने लगभग 16,000 किफायती आवास निर्धन और निम्न-आय वर्ग परिवारों के लिए तैयार करने का लक्ष्य रखा, जो कार्य जारी है।
    • 15 परियोजनाओं के तहत 12,856 घरों का निर्माण 15 प्राइवेट पार्टनरशिप प्रोजेक्ट्स के जरिये सुनिश्चित किया गया है, जो राज्य में किफायती आवास की सबसे बड़ी पहल है।
    • विभिन्न स्थानीय विकास प्राधिकरण अन्य प्रोजेक्ट के माध्यम से 3,104 घरों का निर्माण कर रहे हैं, जिससे कुल आवास लक्ष्य पूरा हो सके।
    • पीएम आवास योजना शहरी के तहत उत्तराखंड को 66,341 घरों के लिए मंजूरी मिल चुकी है, जिनमें से 45,124 घरों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और इन्हें लाभार्थियों को सौंपा जा चुका है।
    • पीएम आवास योजना शहरी 2.0 के अंतर्गत राज्य को 69.21 करोड़ तक की केंद्रीय सहायता जारी की जा चुकी है।

    उत्तराखंड आवास विभाग ने बनाईं कई प्रमुख नीतियां

    1. लैंड पूलिंग नीति: उत्तराखंड सरकार ने लैंड पूलिंग नियमावली-2025 लागू की। इसके तहत शहरी क्षेत्रों में भूमि मालिक स्वेच्छा से अपनी जमीन योजना में शामिल करेंगे और बदले में उन्हें विकसित भूखंड, बुनियादी सुविधाएं और आर्थिक मुआवजा मिलेगा। यह नीति शहरी विस्तार को अव्यवस्थित फैलाव से बचाने की दिशा में एक बड़ा सुधार मानी जा रही है।
    2. टाउन प्लानिंग स्कीम : इस नीति को लागू कर शहरी क्षेत्रों के विकास को मास्टर प्लान आधारित और चरणबद्ध बनाने का निर्णय लिया गया। इस योजना के अंतर्गत सड़क नेटवर्क, पार्क, सामुदायिक सुविधाएं और आवासीय भूखंडों का संतुलित विकास सुनिश्चित किया गया। नये शहरों के विकास की दिशा में इस नीति के जरिये कदम बढ़ाया गया।
    3. रेंटल हाउसिंग नीति : शहरी प्रवासी श्रमिकों और कामकाजी गरीबों के लिए 2025 में रेंटल हाउसिंग नीति पर काम किया गया। इससे कम आय वर्ग को सुरक्षित और किफायती किराये पर आवास मिल सकेगा। शहरी झुग्गियों में रहने वालों की संख्या घटाने में मदद मिलेगी। श्रमिकों को कार्यस्थल के पास आवास सुविधा मिल सकेगी। पर्वतीय क्षेत्रों के लिए विशेष आवास प्रावधान (हिल एरिया फोकस) किया जा सकेगा। आवास नीतियों में पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पारंपरिक निर्माण शैली (बाखली माडल) और आपदा-संवेदनशील डिजाइन को प्राथमिकता दी गई।

    191 पार्किंग को विकसित करने की योजना, 49 का निर्माण पूरा

    उत्तराखंड में यातायात प्रबंधन और पर्यटन सुविधाओं को सुधारने के लिए पार्किंग परियोजनाओं पर आवास विभाग तेजी से काम कर रहा है। राज्य भर में कुल 191 पार्किंग स्थानों को विकसित करने की योजना है, अब तक 49 पार्किंग स्थलों का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि अन्य का कार्य प्रगति पर है।

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