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उत्तराखंड की जैवविविधता के बारे में जानेगी दुनिया, सीएमएस कॉप-13 में उत्तराखंड कर रहा भागीदार

सीएमएस कॉप-13 के दौरान उत्तराखंड वन विभाग यहां की जैवविविधता के संरक्षण को हुए अभिनव प्रयोग और सफलता की कहानियों को विश्व समुदाय के सामने प्रस्तुत करेगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 09:23 AM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 08:07 PM (IST)
उत्तराखंड की जैवविविधता के बारे में जानेगी दुनिया, सीएमएस कॉप-13 में उत्तराखंड कर रहा भागीदार
उत्तराखंड की जैवविविधता के बारे में जानेगी दुनिया, सीएमएस कॉप-13 में उत्तराखंड कर रहा भागीदार

देहरादून, केदार दत्त। जैवविविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड की जैवविविधता और इसके संरक्षण को किए गए उपायों के बारे में अब दुनिया भी जानेगी। संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन ऑनमाइग्रेटरी स्पीशीज (सीएमएस) यानी प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर समझौते को लेकर गुजरात में हो रहे कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज (कॉप) के 13 वें आयोजन में उत्तराखंड भी भागीदारी कर रहा है। सीएमएस कॉप-13 के दौरान उत्तराखंड वन विभाग यहां की जैवविविधता के संरक्षण को हुए अभिनव प्रयोग और सफलता की कहानियों को विश्व समुदाय के सामने प्रस्तुत करेगा।

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गुजरात की राजधानी गांधीनगर में हो रहे सीएमएस कॉप-13 में भाग लेने के लिए उत्तराखंड से वन मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के साथ ही राज्य के मुख्य वन्यजीव राजीव भरतरी समेत अन्य अधिकारी गांधीनगर रवाना हो गए हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक भरतरी ने बताया कि प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण को उठाए जाने वाले कदमों के मद्देनजर यह कॉन्फ्रेंस महत्वपूर्ण है। इसकी थीम 'प्रवासी प्रजातियां पृथ्वी को जोड़ती हैं और हम सब मिलकर उनका अपने घर में स्वागत करते हैं' रखी गई है। कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन 17 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। कॉन्फ्रेंस में भारत समेत 110 देशों के 1200 प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं, जो नए वैश्विक जैवविविधता ढांचे में प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण, प्राथमिकताओं पर मंथन करेंगे।

भरतरी के मुताबिक उत्तराखंड के लिए भी सीएमएस कॉप-13 अहम है। इसमें उत्तराखंड वन विभाग अपने स्टाल के जरिये उत्तराखंड की जैवविविधता, इसके संरक्षण को हुए अभिनव प्रयोग, सफलता की कहानियों की जानकारी दी जाएगी। यह भी बताएंगे कि जैवविविधता संरक्षण में किस तरह ड्रोन, ई-सर्विलांस समेत अन्य नवीनतम तकनीकी का उपयोग किया गया।

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भरतरी ने बताया कि बाघों की बढ़ी संख्या के बावजूद उत्तराखंड बेहतर ढंग से इनका प्रबंधन कर रहा है। वासस्थल विकास को चुनौती के रूप में लिया गया और इसमें सफलता मिली। ये भी विश्व समुदाय को बताया जाएगा। इसके अलावा पक्षी विविधता और इनके संरक्षण को किए गए प्रयासों के साथ ही हाथी, गुलदार जैसे वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व के मद्देनजर चल रहे कार्यों पर भी रोशनी डाली जाएगी। कॉन्फ्रेंस में स्टेक होल्डर डायलॉग भी होगा, जिसके लिए कुमाऊं माटी नैनीताल के नवीन उपाध्याय और सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट की प्रोजेक्ट अफसर अपर्णा पांडे को नामित किया गया है। उन्होंने बताया कि लद्दाख व हिमाचल के साथ मिलकर इंडिया पवेलियन में हिमालय में जैवविविधता संरक्षण को कैसे और बेहतर किया जाए, इस पर मंथन होगा।

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