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    देहरादून में फ्लाईओवर पर अटके सीएम के आदेश, पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 04 Nov 2019 12:07 PM (IST)

    हादसों का सबब बन चुके बल्लीवाला फ्लाईओवर और आइएसबीटी के फोर लेन फ्लाईओवर के खतरों से लोगों को नहीं मिल रही निजात। अधिकारी सीएम के आदेशों का पालन भी नहीं कर रहे।

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    देहरादून में फ्लाईओवर पर अटके सीएम के आदेश, पढ़िए पूरी खबर

    देहरादून, सुमन सेमवाल। वैसे तो नियम यह कहते हैं कि मुख्यमंत्री की घोषणा ही एक तरह का शासनादेश है, फिर भी बिना घोषणा व्यवहारिक तौर पर भी सूबे के मुखिया के हर दिशा-निर्देश पर शासनादेश की भांति ही काम होना चाहिए। यह बात और है कि हमारे अधिकारी मुख्यमंत्री की उस बात पर भी समय पर अमल नहीं कर पा रहे, जो उन्होंने धरातलीय निरीक्षण के बाद स्पष्ट रूप से अधिकारियों से कही। बात हो रही है हादसों का सबब बन चुके बल्लीवाला फ्लाईओवर से लोगों को निजात दिलाने और अच्छे खासे आइएसबीटी के फोर लेन फ्लाईओवर को अटपटे प्रयोग से संकरा कर देने की।

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    बल्लीवाला फ्लाईओवर का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अप्रैल 2019 में स्थलीय निरीक्षण कर फ्लाईओवर को विस्तार देने या इसके साथ एक और डबल लेन फ्लाईओवर बनाने के निर्देश दिए थे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने जून माह में जब आइएसबीटी में वाईशेप फ्लाईओवर (पुराने फ्लाईओवर के बीच में जुड़कर बना यह आकार) का लोकार्पण किया तो जोड़ वाले भाग पर अटपटे प्रयोग से संकरी हुई लेन उनको भी खटक गई। लिहाजा, उन्होंने जांच के आदेश दिए थे और जांच शुरू भी कर दी गई थी। न तो इस जांच का कहीं अता-पता है, न ही बल्लीवाला फ्लाईओवर पर दिए गए दिशा-निर्देश का। इस बात से स्पष्ट होता है कि हमारे अधिकारी मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं।

     

    आइएसबीटी वाईशेप

    उद्घाटन होते ही परेशान करने लगा था अटपटा प्रयोग

    आइएसबीटी पर वाईशेप के नए फ्लाईओवर को लेकर जिस तरह आशंका व्यक्त की जा रही थी, वह उद्घाटन के बाद प्रत्यक्ष रूप से नजर भी आने लगी थी। नए फ्लाईओवर को 10 जून 2019 को वाहनों के लिए खोलते ही दिखने लगा कि यहां पर नया डेंजर जोन बन गया है। डेंजर जोन भी ऐसा कि जिसे खुद अधिकारियों ने अपनी लापरवाही से ईजाद किया।

    आइएसबीटी के पुराने फ्लाईओवर के जिस भाग पर नया फ्लाईओवर जुड़ रहा है, उसके बड़े हिस्से पर एक लेन को भी आधा कर स्प्रिंग पोस्ट लगा दिए गए। यह स्प्रिंग पोस्ट एक लेन को संकरा कर ही रहे हैं, साथ ही नए फ्लाईओवर के मुहाने को भी काफी हद तक ढक रहे हैं। इस भाग पर दोनों तरफ के मुहाने से आने वाले वाहन एक-दूसरे की रफ्तार पर ब्रेक लगाते हैं। कई दफा स्थिति यह भी पैदा हो जाती है कि वाहन आपस में टकराते-टकराते बचते हैं। कम चौड़ाई वाले भाग पर दोनों तरफ के वाहनों के पहुंचने पर उन्हें थोड़ा इंतजार भी करना पड़ता है। ऐसे में रात के समय जब सड़कें थोड़ा सूनी रहती हैं और वाहनों की रफ्तार कुछ अधिक हो जाती है तो यहां पर हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। उद्घाटन के समय ही ऐसे हालात भांपकर मुख्यमंत्री ने फ्लाईओवर की जांच करने को कहा था। जिस पर शासन ने झटपट अगले ही दिन 11 जून को जांच भी बैठा दी थी। लंबे समय तक मामला इस कारण फंसा रहा कि अधिकारी जांच टीम को रिकॉर्ड नहीं दे रहे हैं। इसके बाद रिकॉर्ड दिए गए और जांच आगे भी बढ़ी, मगर उसका निष्कर्ष क्या रहा, यह किसी को नहीं पता।

     

    बल्लीवाला

    सीएम को बोलना पड़ा था, जान से बड़ा नहीं बजट

    जागरण की खबर का संज्ञान लेकर 22 अप्रैल 2019 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बल्लीवाला फ्लाईओवर का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने पाया कि यह फ्लाईओवर वाकई संकरा है और इसमें सुधार की जरूरत है। उन्होंने जब फ्लाईओवर के बगल में एक और फ्लाईओवर बनाने पर लोनिवि अधिकारियों से बात की तो उन्होंने 110 करोड़ रुपये की भारी-भरकम बजट का रटारटाया राग अलाप दिया। इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट जान से बड़ा नहीं है। लिहाजा, इस संभावना को भी तलाशा जाए और फ्लाईओवर के तीव्र मोड़ को कम करने के लिए इसकी लंबाई बढ़ाने पर भी काम किया जाए। इन निर्देशों पर अमल करने की जगह अधिकारियों ने नया प्रयोग करते हुए पूरे फ्लाईओवर पर रंबल स्ट्रिप्स वाले स्पीड ब्रेकर बना दिए। जिसका नतीजा यह हुआ कि लोगों ने इस पर चलने से भी परहेज कर दिया और इससे फ्लाईओवर के नीचे जाम लगने लगा। उल्टे पांव लौटे अधिकारियों ने कुछ स्पीड ब्रेकर हटाए भी, मगर बात नहीं बनी। अभी भी करीब 50 फीसद लोग फ्लाईओवर का प्रयोग करने से बच रहे हैं। 

    बल्लीवाला में इसलिए जरूरी है एक और फ्लाईओवर

    महज डबल लेन फ्लाईओवर पर दोनों तरफ के वाहन गुजरते हैं। ऐसे में एक तरफ महज सिंगल लेन होने के चलते मोड़ वाले हिस्सा पर वाहन दुर्घटाग्रस्त हो जाते हैं। यदि यहां पर एक और फ्लाईओवर बन जाए तो एक फ्लाईओवर से एक ही दिशा वाले वाहन गुजरेंगे और यातायात सुगम हो पाएगा। क्योंकि इस बेढ़ंगे फ्लाईओवर पर अब तक 13 युवाओं की मौत हो चुकी है।

    अगस्त 2016 में जब यह फ्लाईओवर बनकर शुरू हुआ, तभी इस बात की आशंका भी तेज हो गई थी कि यह यातायात के लिए सुरक्षित नहीं है। क्योंकि फोरलेन में पास किए गए फ्लाईओवर का जबरन दो लेन में निर्माण करा दिया गया। अधिकारियों ने यह जानते हुए भी इसमें सुधार नहीं किया कि फ्लाईओवर पर तीव्र मोड़ भी है और इसका संकरापन हादसों का सबब बनेगा। जब फ्लाईओवर पर हादसे बढऩे लगे तो राजमार्ग खंड के अधिकारियों ने सेफ्टी ऑडिट भी कराया। इसकी कुछ संस्तुतियों के आधार पर फ्लाईओवर को फाइबर डिवाइडर लगाकर दो भागों में भी बांटा गया। ताकि कोई भी वाहन एक दूसरे को ओवरटेक करने की जगह आगे-पीछे चलते रहें। हालांकि, फ्लाईओवर के संकरेपन को दूर न करने के चलते इसके बाद भी हादसे होने से हाईकोर्ट ने मई 2018 में फ्लाईओवर को फोर लेन करने या बगल में एक और फ्लाईओवर निर्माण पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट तलब की थी। यह रिपोर्ट भी बनाई गई और तय किया गया कि बल्लूपुर चौक से बल्लीवाला की तरफ आते हुए दायीं तरफ एक और डबल लेन फ्लाईओवर बनाया जा सकता है। इसकी लागत जमीन अधिग्रहण को मिलाकर करीब 110 करोड़ रुपये बैठ रही है। यह रिपोर्ट पिछले साल शासन को भेजी जा चुकी थी और हाईकोर्ट को भी इसकी प्रति भेजकर अधिकारियों ने खानापूर्ति कर दी। क्योंकि जब बात उठी कि एक और डबल लेन फ्लाईओवर के निर्माण को स्वीकृति कब मिलेगी, तब शासन ने टका सा जवाब दे दिया कि इसके लिए बजट ही नहीं है।

    फिजिबिलिटी रिपोर्ट में इस तरह बनाया गया खाका

    -जमीन अधिग्रहण पर करीब 90 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और लगभग 7000 वर्गमीटर जमीन का अधिग्रहण करना होगा। इसमें यूटिलिटी शिफ्टिंग का खïर्च भी शामिल है।

    -दूसरी तरफ फ्लाईओवर के निर्माण में महज 20 करोड़ रुपये का ही खर्च आंका गया है।

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     फ्लाईओवर बना तो यह होगा स्वरूप

    -लंबाई, करीब 800 मीटर

    -एप्रोच रोड, दोनों तरफ करीब 100-100 मीटर

    -चौड़ाई, 8.50 मीटर (डबल लेन)

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