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    जल, जंगल और जमीन से बड़ा मुद्दा बना कचरा निस्तारण

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 09 Sep 2020 11:21 AM (IST)

    जल जंगल और जमीन के मुद्दे दशकों से उत्तराखंड में पर्यावरण से जुड़े रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के मामले में जब भी कोई बात होती है तो इन तीनों के संरक्षण का मुद्दा सामने होता है।

    जल, जंगल और जमीन से बड़ा मुद्दा बना कचरा निस्तारण

    देहरादून, जेएनएन। जल, जंगल और जमीन के मुद्दे दशकों से उत्तराखंड में पर्यावरण से जुड़े रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के मामले में जब भी कोई बात होती है तो इन तीनों के संरक्षण का मुद्दा सामने होता है। आमजन का मानना है कि आज प्रदेश में कचरा पर्यावरण के लिए जल, जंगल और जमीन से बड़ी चुनौती है। पर्यावरण के बड़े मुद्दों को लेकर कराए गए सर्वे में 50 फीसद प्रतिभागियों ने कचरे को सबसे बड़ा मुद्दा बताया। 

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    हिमालय दिवस के उपलक्ष्य में सोशल डेपलपमेंट फॉर कम्युनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन ने यह सर्वे कराया। सर्वे में सवाल किया गया था कि प्रदेश में पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है। उत्तर के रूप में चार विकल्प दिए गए थे, जल, जंगल, जमीन और कचरा। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बताया कि छह और सात सितंबर को कराए गए सर्वे में 359 लोगों ने भाग लिया। इसमें 22 फीसद ने जंगल को, 15 फीसद ने जल और 13 फीसद व्यक्तियों ने जमीन के मुद्दों को सबसे बड़ी चुनौती माना। वहीं, 50 फीसद ने कचरे को पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना है।

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    फाउंडेशन ने सर्वे के परिणाम साझा करते हुए कहा कि यह एक वैज्ञानिक विधि नहीं है। यह भी जरूरी नहीं कि हम इस ऑनलाइन सर्वे के नतीजों से कोई निश्चित धारणा बना लें, लेकिन यह सर्वे कम से कम इस तरफ तो संकेत करता ही है कि आम नागरिकों की नजर में कचरा प्रदेश में एक बड़ी समस्या है और अब लोग इसे पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा मानने लगे हैं। 

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