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    उत्तराखंड के 12 शहरों में 26 लाख मीट्रिक टन लीगेसी वेस्ट बड़ी चुनौती, यहां जमा है पुराना कूड़ा

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    Updated: Tue, 08 Sep 2020 10:06 PM (IST)

    उत्तराखंड के 12 शहरों में वर्षाें से जमा 26 लाख मीट्रिक टन लीगेसी वेस्ट (पुराना और प्रत्यक्त कूड़ा) चुनौती बना हुआ है।

    उत्तराखंड के 12 शहरों में 26 लाख मीट्रिक टन लीगेसी वेस्ट बड़ी चुनौती, यहां जमा है पुराना कूड़ा

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड के 91 नगर निकायों से रोजाना निकलने वाले 1639 मीट्रिक टन कचरे का भले ही निस्तारण हो रहा हो, लेकिन 12 शहरों में वर्षों से जमा 26 लाख मीट्रिक टन लीगेसी वेस्ट (पुराना और प्रत्यक्त कूड़ा) बड़ी चुनौती बना है। यह पर्यावरण को तो प्रदूषित कर ही रहा है, स्थानीय निवासियों के लिए भी मुसीबत खड़ी किए हुए है। लंबे इंतजार के बाद अब लीगेसी वेस्ट के निस्तारण को लेकर सरकार सक्रिय हुई है। इस कड़ी में संबंधित नगर निकायों में लीगेसी वेस्ट स्क्रीनिंग मशीनें स्थापित करने की मुहिम शुरू की गई है। 

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    लीगेसी वेस्ट की गहराती समस्या को देखते हुए पूर्व में शहरी विकास महकमे ने टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियरिंग के सहयोग से इसका आकलन कराया। टाटा कंसल्टेंसी ने इसके निस्तारण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी तैयार की। इसमें 12 शहरों में जमा 26 लाख मीट्रिक टन लीगेसी वेस्ट के निस्तारण पर 130 करोड़ रुपये की लागत आने की बात कही गई। इससे सरकार की पेशानी पर बल पड़ने स्वाभाविक थे। इसके बाद देश के विभिन्न शहरों में ऐसे कचरे के निस्तारण को उठाए गए कदमों की जानकारी जुटाई गई। 

    पंजाब के नवाशहर में लीगेसी वेस्ट स्क्रीनिंग मशीन का इस्तेमाल किए जाने की जानकारी मिलने के बाद सरकार ने यहां भी ऐसे कदम उठाने का निश्चय किया। साथ ही साफ किया गया कि निकाय स्तर से ही इस कचरे का निस्तारण होगा। अब इसके लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। रुद्रपुर, मुनिकी रेती और श्रीनगर में एक-एक मशीन स्थापित की जा चुकी है। मशीन की क्षमता प्रतिदिन 50 टन कूड़ा प्रसंस्करण की है। कचरे से प्लास्टिक, मैटल को अलग कर इसे निकाय बेचेंगे। इस पहल से जहां निकायों को वर्षों पुराने कचरे से निजात मिलेगी। वहीं, जिस भूमि पर यह जमा है वह उसे मिल सकेगी। इस भूमि को कुछ वर्षों बाद दूसरे कार्यां के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा।

    इन शहरों में जमा है पुराना कूड़ा 

    देहरादून, मसूरी, हरिद्वार, ऋषिकेश, रुड़की, कोटद्वार, श्रीनगर, रुद्रपुर, काशीपुर, हल्द्वानी, रामनगर और अल्मोड़ा।  बिजली बनाने में भी उपयोग 

    लीगेसी वेस्ट का उपयोग कचरे से बिजली बनाने में भी किया जाएगा। रुड़की में स्थापित होने वाले वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में यह प्रयोग किए जाने की संभावना है।

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    शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि 'लीगेसी वेस्ट को सरकार ने चुनौती के रूप में लिया और अब शहरी क्षेत्रों को इससे निजात दिलाने को गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, रुड़की, हल्द्वानी, देहरादून, काशीपुर, कोटद्वार और अल्मोड़ा की डीपीआर तैयार हो चुकी है। कोटद्वार और डोईवाला में तो लीगेसी वेस्ट स्क्रीनिंग मशीन क्रय करने की कार्यवाही चल रही है।' 

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