देहरादून के प्रेमनगर में सरकारी पुश्ते पर ही चिन दी दीवार Dehradun News
जिला प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली का उदाहरण इससे बड़ा क्या होगा कि प्रेमनगर में सड़क चौड़ीकरण के लिए जो पुश्ता बन रहा उसी पर दीवार चिनकर दुकान खड़ी कर दी गई।
देहरादून, जेएनएन। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अतिक्रमण पर जिला प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली का उदाहरण इससे बड़ा क्या होगा कि प्रेमनगर में सड़क चौड़ीकरण के लिए जो पुश्ता बन रहा, उसी पर दीवार चिनकर दुकान खड़ी कर दी गई। अतिक्रमणकारियों के हौसले इस तरह बुलंद हैं कि तीन मर्तबा अवैध कब्जे तोड़े जाने के बावजूद वे सरकारी भूमि पर लगातार कब्जा करने में लगे हुए। इसकी शिकायत रविवार को जिलाधिकारी डा. आशीष श्रीवास्तव के पास आई तो उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने प्रशासन की टीम को अवैध कब्जे तोडऩे के निर्देश दिए हैं।
प्रेमनगर बाजार में हटाए गए अतिक्रमण की जगह दोबारा पक्की और कच्ची दुकानें तैयार हो गई हैं। अफसरों की अनेदखी और नेताओं की शह से यहां बाजार दोबारा पुराने स्वरूप में आ गया है और सरकारी जमीनों पर फिर कब्जे हो गए। प्रेमनगर में मुश्किलों के बाद 14 सितंबर 2018 को प्रशासन द्वारा अतिक्रमण पर कार्रवाई की गई थी। बाजार में 155 छोटे व बड़े अतिक्रमण ध्वस्त किए गए थे और इससे प्रेमनगर का स्वरूप बदल गया था। बाजार व राजमार्ग तक बेहद खुले रूप में आ गए थे। लेकिन, समय बीतने के साथ ही अफसरों ने आंखें मूंद लीं, फायदा नेताओं ने उठाया और चोरी-छिपे यहां फिर अतिक्रमण कराने की मंजूरी दे दी। प्रशासन ने सितंबर-2019 में प्रशासन ने यहां दोबारा कार्रवाई की लेकिन राजनेता आड़े आ गए। जिससे अभियान रुक गया।
इस बीच पिछले दिनों प्रशासन ने प्रेमनगर में सड़क चौड़ीकरण का काम शुरू कराया। इसमें जेसीबी से चट्टान गिराई जा रहीं और चट्टान के ऊपर बने अवैध कब्जे फिर तोड़े जा रहे। इसके साथ ही पुश्ते का निर्माण भी कराया जा रहा। जिसमें पिछले दिनों अवैध कब्जा कर बनाई गईं कईं दुकानें खुद ध्वस्त हो चुकी हैं। बीते रोज भी पुश्ता बनाते वक्त तीन अवैध दुकानें खुद गिर गईं। अब इनमें से एक व्यापारी ने रातों-रात सरकारी पुश्ते पर ही अपनी दुकान की दीवार चिनवा फिर से अवैध निर्माण करा लिया। सबकुछ वहां मौजूद नेशनल हाइवे के अफसरों के सामने हुआ, लेकिन व्यापारियों के दबाव के आगे वे कुछ न कर सके। अब जिलाधिकारी की ओर से कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
राजनीतिक दबाव में थमा अभियान
हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए 18 जून 2018 को दून अतिक्रमण हटाने पर कड़े आदेश जारी किए थे। इसमें सड़कों, नाली, फुटपॉथ, सरकारी जमीनों व कॉलोनी आदि हिस्सों से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश पर 27 जून से प्रशासन ने शहर को चार जोन में बांटकर चिह्निकरण शुरू किया। शुरुआत में हाईकोर्ट के डर से शासन व प्रशासन के अधिकारियों ने दिलचस्पी दिखा अभियान को गंभीरता से संचालित किया। मगर, इस बीच वर्षा, विधानसभा सत्र, इन्वेस्टर्स मीट आदि का आयोजन होने पर पुलिस फोर्स की कमी बता अफसरों ने अभियान से मुंह मुडऩा शुरू कर दिया। 14 सितंबर-2018 को प्रेमनगर में अतिक्रमण पर बड़ी कार्रवाई हुई तो अतिक्रमण को संरक्षण देने वाले भी परेशान दिखे। मगर, प्रेमनगर की कार्रवाई के बाद प्रशासन ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली। इसके बाद जिलाधिकारी तो दूर कोई पटवारी तक शहर की सड़क पर अतिक्रमण देखने नहीं गया। अतिक्रमण पर लगाए गए लाल निशान को लोगों ने मिटा दिए। जहां अतिक्रमण हटाया गया था, उन स्थानों पर दोबारा अतिक्रमण हो गया। इसका उदाहरण प्रेमनगर बाजार है। जहां दोबारा अतिक्रमण का बाजार सज गया है। एक वर्ष बाद फिर प्रशासन ने सितंबर-2019 में अतिक्रमण पर डंडा चलाया और प्रेमनगर में अवैध दुकानों को ध्वस्त कर दिया। इस दौरान राजनीतिक दबाव हावी होने से अभियान रोकना पड़ा।
हाईकोर्ट ने ये दिए थे आदेश
- चार सप्ताह में दून की सड़कों से हटाएं अतिक्रमण।
- अतिक्रमण के दौरान दून में तैनात रहे अधिकारियों पर कार्रवाई करें सीएस।
- निर्धारित समय में अतिक्रमण न हटाने पर सीएस होंगे व्यक्तिगत जिम्मेदार।
- अतिक्रमण हटाने के लिए पूरी ताकत झोंक दें और जरूरत पड़ने पर धारा 144 लागू करें।
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जिलाधिकारी डा. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि सरकारी जमीन पर बनाए जा रहे पुश्ते पर अवैध निर्माण करने की शिकायत मिली है। अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जल्द ही अतिक्रमण के विरुद्ध फिर अभियान चलेगा।
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