यूटीयू ने की पीएचडी संशोधन अध्यादेश को निरस्त करने की सिफारिश, जानिए वजह
लॉकडाउन के बाद यूटीयू विवि की पहली महत्वपूर्ण बैठक में पीएचडी संशोधन अध्यादेश 2018 को निरस्त करने के साथ ही कुछ पाठ्यक्रम में बदलाव की भी सिफारिश की गई है।
By Edited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 09:04 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 11:21 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) ने विद्या परिषद (ऐकेडमिक काउंसिल) की बैठक में यूटीयू पीएचडी संशोधन अध्यादेश 2018 को निरस्त कर इसके स्थान पर यूजीसी पीएचडी रेगुलेशन एक्ट-2020 को लागू करने की सिफारिश की। मंगलवार को विवि परिसर में कुलपति प्रो. एनएस चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित विद्या परिषद की बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। लॉकडाउन के बाद विवि की पहली महत्वपूर्ण बैठक में यूटीयू के कुछ पाठ्यक्रम में बदलाव की भी सिफारिश की गई। यह बदलाव अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की सिफारिशों के अनुरूप होंगे।
बैठक में चर्चा की गई कि कोरोना संक्रमण के कारण देशभर में अभी तक जेईई मेन की परीक्षा आयोजित नहीं हुई है, जिससे बीटेक में दाखिला प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है। प्रवेश में और अधिक विलंब न हो इसे देखते हुए विवि की विद्या परिषद ने बीटेक में सीधे प्रवेश के लिए काउंसिल बोर्ड का गठन किया है। यह बोर्ड प्रदेश सरकार से इस बारे में राय लेगा कि बीटेक में प्रवेश सीधे 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाए। सरकार की ओर से इस बारे में जो गाइडलाइन दी जाएगी, उसी के अनुसार यूटीयू के राजकीय और निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीटेक में प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी।
इस मौके पर यह भी निर्णय लिया गया कि चार अगस्त से सभी कक्षाओं की ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की जाएगी। एक सितंबर 2020 से अंतिम सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षा होगी। परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन होगी। इस बारे में निर्णय कोरोना संक्रमण की तत्कालीन स्थिति और विवि से संबद्ध कॉलेजों में ऑनलाइन परीक्षा संसाधनों को मद्देनजर रखते हुए लिया जाएगा। विवि के विद्या परिषद की बैठक में जिन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई उन्हें कार्य परिषद में अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। बैठक में विवि की कुलसचिव डॉ. अनीता रावत, डॉ. जीएस तोमर, डॉ. यशपाल नेगी, शिवानंद पाटिल, संदीप विजय, एसपी गुप्ता आदि मौजूद रहे।
पीएचडी धांधली में विवि की हुई फजीहत
उत्तराखंड तकनीकी विवि की साख पर पीएचडी भर्ती धांधली सबसे बड़ा धब्बा है। वर्ष 2012 से 2017 के बीच करीब दो सौ से अधिक छात्र-छात्राओं ने विवि से विभिन्न विषयों में शोध कर डिग्रियां प्राप्त की। विवि प्रशासन से ही कुछ लोगों ने पीएचडी में धांधली को लेकर सरकार से शिकायत की। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि पीएचडी के सभी नियम-कानूनों को दरकिनार करते हुए अयोग्य अभ्यर्थियों को भी पीएचडी में दाखिला दिया गया।
पीएचडी करने के निर्धारित समय से पूर्व ही कुछ छात्रों को डिग्री दे दी गई। मामले के तूल पकड़ने के बाद प्रदेश सरकार ने शासन स्तर पर जांच बैठाई। इसके बाद मामला विजिलेंस को जांच के लिए सौंप दिया गया है। दूसरी ओर विवि में यूटीयू पीएचडी संशोधन अध्यादेश 2018 के तहत इसी वर्ष जनवरी में रुकी हुई पीएचडी प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई थी, लेकिन अब विवि की विद्या परिषद ने यूटीयू पीएचडी संशोधन अध्यादेश 2018 को निरस्त कर दिया है।
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