Move to Jagran APP

Uttarakhand Wildlife News: उत्तराखंड में हाथियों के बढ़े कुनबे के साथ बढ़ी ये चुनौतियां भी, जानिए

उत्तराखंड में बाघों के बाद अब राष्ट्रीय विरासत पशु हाथी के कुनबे में इजाफा होने के साथ ही चुनौतियां भी बढ़ गई हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 08:30 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 09:09 PM (IST)
Uttarakhand Wildlife News: उत्तराखंड में हाथियों के बढ़े कुनबे के साथ बढ़ी ये चुनौतियां भी, जानिए
Uttarakhand Wildlife News: उत्तराखंड में हाथियों के बढ़े कुनबे के साथ बढ़ी ये चुनौतियां भी, जानिए

देहरादून, राज्य ब्यूरो। वन्यजीव संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहे उत्तराखंड में बाघों के बाद अब राष्ट्रीय विरासत पशु हाथी के कुनबे में इजाफा होने के साथ ही चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। जिस हिसाब हाथियों की संख्या बढ़ी है, उसे देखते हुए वासस्थल विकास पर ध्यान केंद्रित करने की चुनौती है।

loksabha election banner

वैसे भी राज्य में यमुना नदी से लेकर शारदा नदी तक के क्षेत्र में हाथियों का बसेरा है और इसमें भी उन्हें आवाजाही में तमाम गतिरोधों से दो-चार होना पड़ रहा है। हालांकि, इनकी आवाजाही के लिहाज से 11 परंपरागत गलियारे चिह्नित हैं, मगर कहीं मानव बस्तियां उग आने तो कहीं सड़क और रेल मार्गों के कारण ये बाधित हैं। ऐसे में हाथियों की स्वच्छंद आवाजाही पर असर पड़ा है। परिणामस्वरूप हाथी और मनुष्य के बीच भिड़ंत भी निरंतर हो रही है। इन चुनौतियों से पार पाने के लिए वन महकमे को कमर कसनी होगी। इस लिहाज से अब मंथन भी शुरू हो गया है।

282 टस्कर और 22 मखना

राज्य में हाल में हुई हाथी गणना के आंकड़ों को देखें तो यहां 304 नर हाथी हैं। इनमें 282 टस्कर (बाहरी दांत वाले) और 22 मखना (जिनके बाहरी दांत नहीं होते) हैं। मादा हाथियों की संख्या 771 है। इसके अलावा पांच से 15 साल के 447, एक से पांच साल के 285 और एक साल से कम के 172 हाथी हैं। 47 हाथियों के लिंग की पहचान नहीं हो पाई।

ये हैं चुनौतियां

-हाथियों की बढ़ी संख्या के हिसाब से उनके लिए वासस्थल का विकास। 

-स्वच्छंद आवाजाही के लिए गलियारों को निर्बाध करना। 

-जंगलों से गुजर रही सड़कों और रेल मार्गों पर इनके आवागमन को रास्ते छोड़ना। 

-जंगलों पर तेजी से बढ़ रहे जैविक और विकासात्मक दबाव को कम करना। 

राज्य में हाथी गलियारे

कासरो-बड़कोट

चीला-मोतीचूर

मोतीचूर-गौहरी

रवासन-सोनानदी (लैंसडौन)

रवासन-सोनानदी (बिजनौर)

दक्षिण पतली दून-चिलकिया

चिलकिया-कोटा

कोटा-मैलानी

फतेहपुर-गदगदिया

गौला रौखड़-गौराई-टाडा

किलपुरा-खटीमा-सुरई

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में बढ़ा गजराज का कुनबा, 2026 हुई हाथियों की संख्या

वन और पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बताया कि निश्चित रूप से हाथियों की संख्या बढऩे के साथ ही वन महकमे की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। इसी के मद्देनजर यमुना से लेकर शारदा तक के क्षेत्र के जंगलों में हाथियों की धारण क्षमता का अध्ययन कराया जा रहा है। वासस्थल विकास के अलावा गलियारे निर्बाध करने की दिशा में भी नई रणनीति के साथ कदम बढ़ाए जाएंगे। 

यह भी पढ़ें: राजाजी की रियासत में गूंजेगी दहाड़, बढ़ेगा बाघों का कुनबा; जानिए क्या है योजाना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.