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    उत्तराखंड में बढ़ा गजराज का कुनबा, 2026 हुई हाथियों की संख्या

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Mon, 29 Jun 2020 09:16 PM (IST)

    प्रदेश में गजराज का कुनबा बढ़ा है। 2020 की गणना के नतीजे राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में जारी किए गए।

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    उत्तराखंड में बढ़ा गजराज का कुनबा, 2026 हुई हाथियों की संख्या

    देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में गजराज का कुनबा बढ़ा है। 2020 की गणना के नतीजे राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में जारी किए गए। इसमें हाथियों की संख्या 2026 पाई गई। आपको बता दें कि 2017 में प्रदेश में हाथियों की संख्या 1839 थी। इसके साथ ही मगरमछ, घड़ियाल और ऊदबिलाव की गणना के नतीजे भी घोषित किए गए हैं। पहली बार राज्य स्तर पर हुई इस गणना के अनुसार मगरमच्छ की संख्या 451, घड़ियाल की 77 और ऊदबिलाव की 194 है।

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    सचिवालय में उत्तराखंड राज्य वन्य जीव सलाहकार बोर्ड की 15वीं बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की। बैठक में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने जानकारी दी कि छह जून से आठ जून तक तीन दिन उत्तराखंड में हाथियों की गणना की गई। इसमें पाया गया कि राज्य में कुल 2026 हाथी हैं। वर्ष 2012 में 1559, जबकि 2017 में 1839 हाथी थे। इस प्रकार वर्ष 2017 से हाथियों की संख्या में 10.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह 22 से 24 फरवरी 2020 में जलीय जीवों की गणना की गई। इसमें पाया गया कि राज्य में 451 मगरमच्छ, 77 घड़ियाल और 194 ऊदबिलाव हैं। बताया गया कि वर्ष 2020 से 2022 तक राज्य में स्नो-लैपर्ड की जनसंख्या का आकलन भी किया जाएगा। राज्य के 23 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में स्नो-लैपर्ड हैं।

    बैठक में लिए गए फैसलों का समय पर हो अनुपालन 

    सीएम ने कहा कि बैठकों में लिए गए फैसलों का अनुपालन समय के साथ सुनिश्चित किया जाना चाहिए। कार्यवाही केवल पत्राचार तक ही सीमित न रहें, बल्कि इसका आउटपुट भी दिखना चाहिए। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी बैठक का कार्यवृत्त उसी दिन बन जाना चाहिए। एनएच 72-ए उत्तराखंड के लिए बहुत अधिक महत्व का है। इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, स्वीकृतियों के लिए आवश्यक औपचारिकताओं में किसी तरह की देरी न हो। 

    इंटीग्रेटेड अप्रोट पर हो चौरासी कुटिया का विकास 

    कॉर्बेट रिजर्व और राजाजी टाइगर रिजर्व में गैंडे के रिइन्ट्रोडक्शन का काम टाइमबाउंड तरीके से हो। राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत चैरासी कुटिया का विकास इंटीग्रेटेड अप्रोच के आधार पर किया जाए। इसकी कार्ययोजना में वन्यजीवन, आध्यात्मिकता, संस्कृति सहित सभी पहलुओं का समावेश किया जाए। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में स्थित गरतांग गली ट्रेल के मार्ग का पुनरूद्धार, इसकी मौलिकता को परिरक्षित रखते हुए किया जाए। आरक्षित वन क्षेत्रों में टोंगिया ग्रामों को राजस्व ग्रामों का दर्जा देने और संरक्षित क्षेत्रों से ग्रामों के विस्थापन के बाद वन भूमि पर बसाए गए नए स्थलों के नवीनीकरण और डिनोटिफिकेशन का काम शीघ्र किया जाए।

    बैठक में गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण विभिन्न मार्गों के निर्माण के लिए प्रस्तावों को अनुमति के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजे जाने पर सहमति दी गई। इसी प्रकार सौंग बांध परियोजना के निर्माण से संबंधित वन भूमि हस्तांतरण और जौलीग्रान्ट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए वन भूमि हस्तांतरण के लिए अनुमति का प्रस्ताव भी राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजा जाएगा।

    बैठक में बताया गया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों और जंगली हाथियों की धारण क्षमता का अध्ययन भारतीय वन्यजीव संस्थान से कराने के लिए प्रस्ताव प्राप्त हो गया है। इसी प्रकार गैंडे के रिइन्ट्रोडक्शन के लिए साइट सूटेबिलिटी रिपेार्ट मिल गई है। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा के रैशनलाइजेशन के लिए संबंधित जिलाधिकारियों, प्रभागीय वनाधिकारियों और भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रतिनिधि की एक समिति का गठन कर लिया गया है।

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    बैठक में वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत, विधायक धन सिंह नेगी, दीवान सिंह बिष्ट, सुरेश राठौर, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, सचिव दिलीप जावलकर, सौजन्या, डीजीपी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार सहित बोर्ड के अन्य सदस्य उपस्थित थे। 

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