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राजाजी की रियासत में गूंजेगी दहाड़, बढ़ेगा बाघों का कुनबा; जानिए क्या है योजाना

राजाजी नेशनल पार्क में अब बाघों के कुनबे में इजाफा होगा। बाघों के लिहाज से वीरान पड़े पार्क के 550 वर्ग किलोमीटर के मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में भी इनकी दहाड़ गूंजेगी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 04:52 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 04:52 PM (IST)
राजाजी की रियासत में गूंजेगी दहाड़, बढ़ेगा बाघों का कुनबा; जानिए क्या है योजाना
राजाजी की रियासत में गूंजेगी दहाड़, बढ़ेगा बाघों का कुनबा; जानिए क्या है योजाना

देहरादून, राज्य ब्यूरो। राजाजी नेशनल पार्क में अब बाघों के कुनबे में इजाफा होगा। बाघों के लिहाज से वीरान पड़े पार्क के 550 वर्ग किलोमीटर के मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में भी इनकी दहाड़ गूंजेगी। पिछले तीन साल से इस क्षेत्र के लिए चल रही बाघ शिफ्टिंग की योजना चार माह बाद आकार ले लेगी। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत केंद्र सरकार ने वहां बाघ शिफ्टिंग को 40 लाख रुपये अवमुक्त कर दिए हैं। कॉर्बेट नेशनल पार्क से यहां बाघ लाए जाएंगे और अक्टूबर में मोतीचूर में पहला बाघ शिफ्ट किया जाएगा। इससे वहां वर्षों से अकेली रह रहीं दो बाघिनों को साथी भी मिल जाएगा। इसके बाद चार अन्य बाघ यहां शिफ्ट किए जाएंगे।

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820 वर्ग किलोमीटर में फैला राजाजी नेशनल पार्क 20 बाघ प्रति सौ वर्ग किमी के मानक के हिसाब से 150 से ज्यादा बाघों को धारण करने की क्षमता रखता है। इसके विपरीत वहां बाघों की संख्या तीन दर्जन के आसपास है और वह भी चीला, गौहरी, रवासन के 270 वर्ग किमी के दायरे में। शेष 550 वर्ग किमी में फैला मोतीचूर- धौलखंड क्षेत्र इस लिहाज से वीरान सा है। वहां पिछले सात साल से सिर्फ दो बाघिनें हैं।

असल में पार्क से गुजर रहे हाइवे और रेल लाइन के कारण बाघों की आवाजाही एक से दूसरे क्षेत्र में नहीं हो पाती। यही कारण है कि गंगा के दूसरी तरफ के चीला, गौहरी और रवासन से बाघ मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में नहीं आ पाते। ऐसे में वहां बाघों का कुनबा पनप नहीं पाया है।

2016 में मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में कॉर्बेट से बाघ शिफ्ट करने की योजना बनी। 2017 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इसे मंजूरी दी। तब से इसके लिए कसरत चल रही है। पार्क के निदेशक अमित वर्मा बताते हैं कि बीते वर्ष प्रोजेक्ट टाइगर में करीब 50 लाख की राशि मिली थी, जिससे क्षेत्र में बाघ बाड़ा, मॉनीटरिंग को टावर समेत अन्य इंतजाम किए गए। अब प्रोजेक्ट टाइगर में बाघ शिफ्टिंग को 40 लाख रुपये केंद्र ने अवमुक्त किए हैं। अक्टूबर में कार्बेट से एक बाघ मोतीचूर में शिफ्ट किया जाएगा, जहां दो बाघिनें हैं। इसके बाद परिस्थितियों का अध्ययन कर चार अन्य बाघों को लाया जाएगा।

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उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने बताया कि राजाजी में बाघ शिफ्टिंग की महत्वाकांक्षी योजना की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। अब प्रोजेक्ट टाइगर में बाघ शिफ्ट करने को धनराशि जारी हो चुकी है और अक्टूबर में यह मुहिम परवान चढ़ेगी।

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