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किसानों की उम्मीदों पर मौसम ने फेरा पानी, इन फसलों को हुआ भारी नुकसान; सरकार पर टिकी हैं नजरें

काश्तकारों की मेहनत पर मौसम ने पानी फेर दिया है। लॉकडाउन के बाद मौसम फलों का दुश्मन बन गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 08:54 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 08:54 PM (IST)
किसानों की उम्मीदों पर मौसम ने फेरा पानी, इन फसलों को हुआ भारी नुकसान; सरकार पर टिकी हैं नजरें

चकराता(देहरादून), चंदराम राजगुरु। फलों की बंपर पैदावार की उम्मीद लगाए बैठे काश्तकारों की मेहनत पर मौसम ने पानी फेर दिया है। लॉकडाउन के बाद मौसम फलों का दुश्मन बन गया है। बे-मौसम बारिश और ओलावृष्टि से देहरादून के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में काश्तकारों को भारी नुकसान हुआ है। बागवानी पर निर्भर जनजाति क्षेत्र के सैकडों ग्रामीणों को मौसम ने गहरे जख्म दे दिए हैं। उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ओलावृष्टि से फलों के उत्पादन को 60 से 70 फीसद नुकसान होने की आशंका है।

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देहरादून जनपद के सबसे अधिक सेब उत्पादन वाले जौनसार-बावर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कृषि-बागवानी होती है। उद्यान विभाग के आंकड़े इस बात तस्दीक कर रहे हैं। फल पट्टी कहे जाने वाले बावर, शिलगांव, देवघार, भरम, कोटी-कनासर, फनार, लखौ, बाणाधार और चकराता क्षेत्र में खेती-बागवानी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने चार उद्यान सचल केंद्र खोले हैं। जिसमें बावर-देवघार-शिलगांव क्षेत्र के ग्रामीण किसान-बागवानों के लिए चौसाल और त्यूणी में दो उद्यान सचल केंद्र और भरम-चकराता क्षेत्र के किसान-बागवानों की सुविधा को कोटी-कनासर और चकराता में दो अलग उद्यान सचल दल केंद्र खोले गए हैं।

उद्यान विभाग के अनुसार यहां पिछले दो साल में 18 से 25 हजार मीटिक टन के बीच सेब उत्पादन हुआ। इसके अलावा अन्य पर्वतीय फलों में आडू, खुमानी, अखरोट, पुलम और नाशपाती का उत्पादन भी अच्छा रहा। शुरुआती दौर में मौसम के साथ देने से सेब बागवानी के लिए सबसे मुफीद माने जाने वाले दिसबंर से जनवरी के बीच चिलिंग पीरियड के दौरान हुई अच्छी बर्फबारी से बागवानों को इस बार सेब की बंपर पैदावर होने की उम्मीद जागी थी। लेकिन, फ्लोरिंग के बाद सेब बगीचों में आए दाने बारिश, आंधी-तूफान और ओलावृष्टि से तबाह हो गए। पिछले दस दिनों में चार बार ओलावृष्टि से बगीचों में लगे फल और पत्तियां झड़कर जमीन पर गिर गईं।

सरकार से मुआवजे की आस

स्थानीय बागवानों में बृनाड़-बास्तील के चमन सिंह चौहान, कोटी-कनासर के धन सिंह राणा, जगतराम नौटियाल, पूरचंद राणा, चिल्हाड़ के पिताबंर दत्त बिजल्वाण, छजाड़ के जयंद्र सिंह चौहान, डिरनाड के रमेश चौहान मेघाटू के नारायणचंद, केवलराम जिनाटा, भाटगढ़ी के लायकराम शर्मा, किस्तुड़ के संतराम चौहान, भूठ के जवाहर सिंह राणा, बालम सिंह राणा, बृजपाल सिंह, कुल्हा के जेआर शर्मा, मोहनलाल शर्मा आदि ने कहा पिछले बार उनके यहां बगीचे में तीन से पंद्रह लाख का सेब हुआ। लेकिन इस बार बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से बागवानी चौपट हो गई। जिससे सेब उत्पादन में 60 से 70 फीसद गिरावट आएगी। ओलावृष्टि से बागवानों की सारी मेहनत बेकार चली गई। मौसम की मार से बेहाल क्षेत्र के सैकडों किसान-बागवानों ने नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से उचित मुआवजे की मांग की है।

20 से 22 हजार बागवानी से जुड़े

उद्यान सचल दल केंद्र चौसाल, त्यूणी, कोटी-कनासर व चकराता चारों केंद्र से क्षेत्र के 20 से 22 हजार ग्रामीण बागवानी जुड़े हैं। यहां 15 से 18 हजार हेक्टेअर (क्षेत्रफल) में बागवानी होती है। पिछले बार मौसम के साथ देने से यहां 20 से 25 हजार मीटिक टन सेब उत्पादन हुआ, जबकि इस बार मौसम की मार से सेब उत्पादन में भारी गिरावट आएगी।

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चौसाल-त्यूणी केंद्र के प्रभारी उद्यान अधिकारी आरपी जसोला, कोटी-कनासर केंद्र के प्रभारी उद्यान अधिकारी डीएस चौधरी और चकराता केंद्र के प्रभारी उद्यान अधिकारी चंद्रराम नौटियाल ने कहा इस बार बेमौसम बारिश, आंधी-तूफान और ओलावृष्टि के चलते सेब-बागवानी को 60 से 70 फीसद नुकसान हुआ है। इसके अलावा कृषि व नकदी फसलों को करीब 50 फीसद नुकसान हुआ है। क्षेत्र में रेड डिलीसियस, रॉयल डेलीसियस, गोल्डन, स्पर, रिचा रेड, ऑर्गन और स्पर सेब की कई प्रजातियां है।

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