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    Uttarakhand: प्रभावित क्षेत्रों में वन सीमा पर सोलर फेंसिंग और सेंसर आधारित अलर्ट सिस्टम, मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 06:36 PM (IST)

    उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कई कदम उठाने की घोषणा की है। वन्यजीव प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्ष ...और पढ़ें

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    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।

    राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून: उत्तराखंड में गहराते मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती से निबटने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की है।

    उन्होंने वन्यजीव प्रभावित क्षेत्रों में आमजन की सुरक्षा के दृष्टिगत वन सीमा पर सोलर फेंसिंग और सेंसर आधारित अलर्ट सिस्टम स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं, राज्य के प्रत्येक जिले में वन्यजीव बंध्याकरण (नसबंदी) केंद्र और रेस्क्यू व पुनर्वास केंद्र भी खोले जाएंगे।

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    मुख्यमंत्री धामी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य के उन क्षेत्रों में जहां हाथी, गुलदार, बाघ, भालू, नीलगाय, बंदर समेत दूसरे वन्यजीवों द्वारा कृषि एवं औद्यानिकी फसलों, भौतिक अवस्थापनाओं, मानव जीवन की क्षति पहुंचाई जाती है, वहां चरणवार एवं योजनाबद्ध रूप से सोलर फेंसिंग और सेंसर आधारित अलर्ट सिस्टम से सुरक्षा तंत्र विकसित किया जाएगा।

    उन्होंने कहा कि बंदर, लंगूर, सूअर, भालू जैसे वन्यजीवों की संख्या नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक जिले में आधुनिक नसबंदी केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा प्रत्येक जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष में चिह्नित वन्यजीवों के रेस्क्यू व पुनर्वास केंद्र खोलने को पर्वतीय क्षेत्र में न्यूनतम 10 नाली और मैदानी क्षेत्र में एक एकड़ भूमि आरक्षित की जाएगी।


    उन्होंने कहा कि इन सभी कार्यों की आवश्यकता को देखते हुए इन्हें शीर्ष प्राथमिकता से किया जाएगा। दो सप्ताह की अवधि में इन योजनाओं को क्रियान्वित करने की रणनीति प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने कहा कि जाल, पिंजरा, ट्रेंकुलाइजेशन गन समेत अन्य संसाधनों की उपलब्धता के लिए वन विभाग को पांच करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि दी जाएगी।

    उन्होंने यह भी कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की प्रभावी रोकथाम को वन्यजीव अधिनियम के प्रविधानों में हिंसक जीवों को निषिद्ध करने के लिए अधिकारों का विकेंद्रीकरण कर वन विभाग के रेंजर स्तर के अधिकारियों को सशक्त बनाया जाएगा। इसके लिए नियमों में जरूरत के अनुसार संशोधन किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि गत दिवस उनकी इस विषय पर केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से भी वार्ता हुई है।

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