उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने दी चेतावनी, आरक्षण खत्म किया तो याद रहेगा आंदोलन
उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने सरकार को चेतावनी दी है कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म किया गया तो उनके आंदोलन को सरकार वर्षों तक याद रखेगी।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन ने सरकार को चेतावनी दी है कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म किया गया तो उनके आंदोलन को सरकार वर्षों तक याद रखेगी। फेडरेशन सरकार के लिए बुद्धा चौक पर बुद्धि-शुद्धि यज्ञ करेगा।
लैंसडौन चौक स्थित एक होटल में पत्रकारों से वार्ता में फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करमराम ने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में यह नहीं कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण को खत्म कर दिया जाए, बल्कि कोर्ट ने इस पर सरकार को निर्णय लेने को कहा है। ऐसे में सरकार को इंदु कुमार और जस्टिस इरशाद हुसैन कमेटी की सिफारिशों पर गौर करते हुए सरकारी सेवाओं में आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व का आकलन कर फैसला लेना होगा।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार आरक्षित वर्ग को अभी तक उत्तराखंड में सरकारी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इसके बाद भी जनरल ओबीसी वर्ग सरकार पर दबाव बनाने में जुटा है, लेकिन हमारी सरकार को चेतावनी और नसीहत दोनों है कि वह किसी के दबाव में न आए। यदि किसी के दबाव में पदोन्नति में आरक्षण को खत्म किया गया तो वह सड़क पर उतरने को बाध्य हो जाएंगे। उनके आंदोलन को सरकार आने वाले कई वर्षों तक याद रखेगी।
भर्तियां खोलने पर जताया विरोध: फेडरेशन ने प्रदेश में सीधी भर्ती में नवीन रोस्टर प्रणाली लागू किए बगैर भर्तियां खोलने पर विरोध जताया है। करमराम ने कहा कि सरकार पहले तो इन भर्तियों को रोके और जब तक रोस्टर में पहला पद आरक्षित वर्ग को देने का निर्णय नहीं आ जाता, तब तक कोई भर्ती न की जाए। उन्होंने कहा कि रोस्टर को लेकर शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया रोकी जानी चाहिए।
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जनगणना में नहीं बताएंगे हिंदू धर्म
करमराम ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने एससी-एसटी कार्मिकों के हित पर कुठाराघात किया तो वह जल्द शुरू होने वाली जनगणना में अपना धर्म हिंदू न बताकर बौद्ध या फिर और धर्म बताएंगे। ऐसे में सरकार आरक्षण पर कोई निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर ले।
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