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    Uttarakhand lockdwon: दिखा खाकी का सामाजिक चेहरा, गरीबों का भर रहे पेट; जरूरत पर तुरंत पहुंचा रहे मदद

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Thu, 02 Apr 2020 05:18 PM (IST)

    इन दिनों पुलिसकर्मी इस तरह लोगों की सेवा में जुटे हैं मानो सामाजिक कार्यकर्ता हों। खाकी वाले न केवल राशन बांट रहे हैं बल्कि उनके लिए खाना तैयार कराकर भी पहुंचा रहे हैं।

    Uttarakhand lockdwon: दिखा खाकी का सामाजिक चेहरा, गरीबों का भर रहे पेट; जरूरत पर तुरंत पहुंचा रहे मदद

    देहरादून, संतोष तिवारी। लॉकडाउन ने पुलिस का वो सामाजिक चेहरा भी सामने ला दिया है, जिसके बारे में लोग कम ही जानते हैं। इन दिनों पुलिसकर्मी इस तरह लोगों की सेवा में जुटे हैं, मानो सामाजिक कार्यकर्ता हों। जिन इलाकों में गरीब लोग रहते हैं, वहां जाकर खाकी वाले न केवल राशन बांट रहे हैं बल्कि उनके लिए खाना तैयार कराकर भी पहुंचा रहे हैं। डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने भी जवानों को संदेश दे रखा है कि इस समय लोग संकट में हैं, उनकी सेवा करो। अपराध और अपराधियों से बाद में निपट लेंगे। संदेश का असर इस कदर है कि सीओ से लेकर थानेदार तक जगह-जगह भोजन वितरित कर रहे हैं। लोग भी कहने लगे हैं कि इन मुश्किल हालात में पुलिस इस तरह नहीं जुटती तो कोरोना से अधिक मौतें भूख और अन्य कारणों से हो जाती। जाहिर है कि नेतृत्व बेहतर हो तो फिर सिस्टम बेहतर हो जाता है।

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    समाज सेवा को किया लॉकडाउन

    कोरोना महामारी का खतरा बढ़ने के बाद रोजगार से खाली हुए लोग पैदल ही घर की यात्र पर निकल रहे हैं। ऐसे जरूरतमंदों की मदद के लिए तमाम समाज सेवी संस्थाएं हाथ बढ़ाकर उनकी निस्वार्थ सेवा रही हैं। इन जरूरतमंद लोगों और उनके परिवारों को खाने के पैकेट से लेकर राशन तक पहुंचाया जा रहा है। इस काम की हर ओर तारीफ भी हो रही है। मगर, परेशानी की बात यह है कि इसकी आड़ में कुछ लोग 10-12 लोगों के लिए चाय और चंद बिस्किट के पैकेट लेकर सड़कों पर निकल रहे हैं। जिससे लॉकडाउन बेअसर साबित होने लगा है। यही वजह है कि पुलिस को आखिरकार कहना पड़ा कि अब जो भी राहत सामग्री बंटेगी वह पुलिस की जानकारी में होगी। ताकि समाज सेवा को टाइम पास का जरिया बना रहे लोगों को लॉकडाउन के उल्लंघन का मौका न मिले। यही सबकी सेहत और सुरक्षा के जरूरी है।

    समाज के दुश्मनों का इलाज

    समाज के दुश्मन हर जगह मिल जाएंगे। इस समय भी यही देखने को मिल रहा है। मगर सुकून इस बात का है कि देश में इसके लिए भी कानून है। यह कानून सवा सौ साल से भी अधिक पुराना है, लेकिन चर्चा में अब आया है। अब तक राज्य में लॉकडाउन उल्लंघन के साढ़े चार सौ से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।

    2300 से अधिक गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं। इन लोगों को जब पुलिस ने बताया कि इस कानून के तहत उन्हें दो साल तक की सजा होने के साथ जुर्माना भी लग सकता है तो सरकार के आदेशों के उल्लंघन की खुमारी पल भर में उतर गई। अब वह खुद तो घर मे रहना बेहतर समझ ही रहे हैं, दूसरों को भी यही सलाह दे रहे हैं। यानी लॉकडाउन के उल्लंघन को हंसी-खेल मानने वालों को कानून की अहमियत समझ आ गई है।

    'कोरोना टूरिज्म' ने बढ़ाई मुसीबत

    सरकार का संदेश है कि इस समय जो जहां है, वहीं रहे। उनके खाने आदि की व्यवस्था वहीं की जाएगी। ऐसा किया भी जा रहा है। इसके बावजूद दूसरे राज्य या शहरों में फंसे लोगों में एक सप्ताह से घर पहुंचने की जल्दबाजी देखी जा रही है। ऐसे में पुलिस को हेल्प डेस्क तक खोलनी पड़ी। अब यहां आने वाले लोगों से पुलिस ठहरने में हो रही परेशानी और गंतव्य तक जाने का कारण पूछ रही है।

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    अधिकांश लोगों के जवाब से ऐसा लग रहा है कि उनकी मंशा सिर्फ पास लेकर वीआइपी की तरह सफर करने और सूनी सड़कों पर फर्राटा भरने की है। जबकि पुलिस ने कई लोगों के घर वालों से बात की तो उनका भी कहना था कि इन हालात में सफर न करना ही बेहतर है। इन हालात में भी सैकड़ों किलोमीटर का सफर करने की इच्छा को कोरोना टूरिज्म नहीं तो और क्या कहेंगे।

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